कुशीनगर, ममता तिवारी (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में नेपाल की भारी बारिश ने एक बार फिर बाढ़ का संकट खड़ा कर दिया है। वाल्मीकिनगर बैराज से पानी के बड़े पैमाने पर डिस्चार्ज के कारण बड़ी गंडक (नारायणी) नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 75 सेमी ऊपर पहुंच गया है। दियारा क्षेत्र के कई गांवों में बाढ़ का अलर्ट जारी कर दिया गया है, और प्रशासन राहत व बचाव कार्यों में जुटा हुआ है। नदी के उफान से किनारे के ग्रामीणों में दहशत फैल गई है, लेकिन दोपहर बाद डिस्चार्ज में कमी आने से थोड़ी राहत मिली है।
नेपाल बारिश का असर: बैराज से डिस्चार्ज बढ़ा, नदी का जलस्तर चेतावनी स्तर पर
नेपाल के पहाड़ी क्षेत्रों में पिछले दो दिनों से हो रही लगातार बारिश के चलते वाल्मीकिनगर बैराज से पानी का डिस्चार्ज तेजी से बढ़ाया जा रहा है। बुधवार सुबह 4 बजे से शुरू हुए इस डिस्चार्ज ने नारायणी नदी के जलस्तर को अचानक बढ़ा दिया। भैसहा गेज पर नदी का जलस्तर चेतावनी बिंदु से 75 सेमी ऊपर 95.75 मीटर तक पहुंच गया, जिससे दियारा क्षेत्र में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा।
सुबह 10 बजे बैराज से 1,97,000 क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ा। मानसून सत्र में अब तक का यह सर्वाधिक डिस्चार्ज था। दोपहर 12 बजे के बाद डिस्चार्ज में कमी आने लगी, जिससे जलस्तर में 5 सेमी की गिरावट दर्ज की गई। शाम 4 बजे तक स्थिति स्थिर हो गई, लेकिन प्रशासन सतर्क मोड पर है।
डिस्चार्ज का समयबद्ध विवरण: बैराज से पानी छोड़े जाने की मात्रा
वाल्मीकिनगर बैराज से बुधवार को हुए डिस्चार्ज का पूरा विवरण निम्नलिखित है:
- सुबह 4 बजे: 1,31,000 क्यूसेक
- सुबह 6 बजे: 1,63,800 क्यूसेक
- सुबह 8 बजे: 1,91,200 क्यूसेक
- सुबह 10 बजे: 1,97,700 क्यूसेक (सर्वाधिक)
- दोपहर 12 बजे: 1,75,000 क्यूसेक
- दोपहर 2 बजे: 1,75,000 क्यूसेक
- शाम 4 बजे: 1,75,000 क्यूसेक
यह डिस्चार्ज नदी के किनारे बसे गांवों के लिए चिंता का विषय बन गया। विशेषज्ञों के अनुसार, 3 लाख क्यूसेक से अधिक डिस्चार्ज होने पर गांवों में पानी घुसने का खतरा बढ़ जाता है।
प्रभावित गांव: दियारा क्षेत्र में दहशत, ग्रामीणों की नींद उड़ी
नदी के बढ़ते जलस्तर से दियारा के शिवपुर, मरिचहवा, हरिहरपुर, नारायनपुर, सालिकपुर, महदेवा, शाहपुर, बसंतपुर और छितौनी जैसे गांव सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। इन गांवों में नदी किनारे बसे हजारों ग्रामीण बाढ़ की आशंका से भयभीत हो उठे। पिछले वर्षों की बाढ़ की यादें ताजा हो गईं, जहां तटबंध टूटने और घरों में पानी घुसने की घटनाएं आम थीं।
एक ग्रामीण ने बताया, “सुबह जलस्तर बढ़ते ही हमने अपना सामान समेटना शुरू कर दिया। बच्चे और बुजुर्गों को सुरक्षित जगह ले जाना पड़ा।” हालांकि, दोपहर बाद जलस्तर में कमी आने से लोगों ने राहत की सांस ली, लेकिन रात भर नदी पर नजर रखी जा रही है।
प्रशासन की सतर्कता: राहत दलों को अलर्ट, तटबंधों की निगरानी
बाढ़ खंड विभाग के एसडीओ मनोरंजन कुमार ने बताया कि विभाग पूरी सतर्कता बरतते हुए तटबंधों और कमजोर स्थानों की लगातार निगरानी कर रहा है। “बैराज से डिस्चार्ज बढ़ रहा है, लेकिन हमारी टीमें 24 घंटे ड्यूटी पर हैं। कोई भी खतरा होने पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी।”
वहीं, एसडीएम रामवीर सिंह ने कहा कि बाढ़ की संभावना को देखते हुए प्रभावित गांवों में राजस्व टीमें सक्रिय हैं। राहत और बचाव दलों को तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें अलर्ट पर हैं, और जरूरी सामग्री जैसे नावें, रेत की बोरियां और भोजन पैकेट स्टॉक में उपलब्ध हैं।
कुशीनगर जिला प्रशासन ने ग्रामीणों से अपील की है कि संदिग्ध स्थिति में तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1077 पर संपर्क करें। साथ ही, नदी किनारे न जाने और पशुओं को सुरक्षित स्थान पर ले जाने की सलाह दी गई है।
कुशीनगर में बाढ़ का इतिहास: नेपाल बारिश का पुराना सिलसिला
कुशीनगर में गंडक नदी की बाढ़ कोई नई समस्या नहीं है। नेपाल के वाल्मीकिनगर बैराज से होने वाला डिस्चार्ज अक्सर जिले के दियारा क्षेत्र को प्रभावित करता है। पिछले मानसून में भी इसी तरह की स्थिति बनी थी, जब जलस्तर 51 सेमी ऊपर पहुंच गया था। तटबंधों की मरम्मत और रिंग बांधों की मजबूती पर काम चल रहा है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि स्थायी समाधान की जरूरत है।
यह घटना उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों जैसे महराजगंज और गोरखपुर में भी सतर्कता बढ़ा रही है। मौसम विभाग के अनुसार, अगले कुछ दिनों में नेपाल में बारिश जारी रहने की संभावना है, जिससे डिस्चार्ज और बढ़ सकता है।