कुशीनगर, ममता तिवारी (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में लंबे समय से प्रतीक्षित छितौनी-तमकुही रेल परियोजना को मंजूरी मिल गई है। रेलवे मंत्रालय ने 67 किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन के लिए 477 करोड़ रुपये से अधिक का बजट स्वीकृत कर दिया है। पिछले 18 वर्षों से अधर में लटकी यह परियोजना अब साकार होने जा रही है, जिससे जिले के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई है। खासकर गंडक तटवर्ती गांवों के लोग इसे क्षेत्रीय विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मान रहे हैं।
किसानों को मुआवजा नहीं, असंतोष बढ़ा
हालांकि परियोजना को मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन खड्डा और विशुनपुरा क्षेत्र के उन किसानों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला है जिनकी भूमि इस रेल लाइन के निर्माण में प्रभावित हो रही है। जबकि बिहार के प्रभावित किसानों को वर्षों पहले मुआवजा मिल चुका है, उत्तर प्रदेश के किसानों को अभी तक राहत नहीं मिल पाई है। इससे किसानों में निराशा और असंतोष बढ़ता जा रहा है।
प्रभावित गांव और किसानों की चिंता
रेल परियोजना के दायरे में आने वाले गांवों में कटाई भरपुरवा, जटहां, जरार, माघी कोठिलवा, अरनहवा, चिरइहवा शामिल हैं। इन गांवों के अधिकृत जमीन मालिकों ने कुशीनगर के सांसद विजय कुमार दुबे और जिलाधिकारी से मुआवजा भुगतान कराने की मांग की है। किसानों का कहना है कि वर्षों से उनके साथ न्याय नहीं हो रहा और किसी जनप्रतिनिधि द्वारा उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
जनप्रतिनिधियों से कार्रवाई की अपील
ग्रामीणों ने प्रशासन से तुरंत मुआवजा भुगतान कर उनकी आजीविका और जीवन को सुरक्षित करने की अपील की है। उनका कहना है कि परियोजना के निर्माण से क्षेत्र का विकास तो होगा, लेकिन यदि समय पर मुआवजा नहीं मिला तो किसान आर्थिक संकट में पड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि जमीन उनके लिए जीवन का आधार है और परियोजना के चलते उनका भविष्य खतरे में पड़ गया है।
प्रशासन की भूमिका पर सवाल
किसानों का आरोप है कि जनप्रतिनिधियों और प्रशासन ने अब तक उनकी समस्या को गंभीरता से नहीं लिया। कई बार आवेदन और शिकायत दर्ज कराने के बावजूद अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। किसानों का कहना है कि उन्हें न्याय दिलाने के लिए प्रशासन को तत्परता दिखानी चाहिए।