कुशीनगर, ममता तिवारी (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में दो रुपए में रसगुल्ला खिलाने वाले प्रसिद्ध बंगाली स्वीट हाउस के मालिक रामसहाय का निधन हो गया। रामसहाय कैंसर से पीड़ित थे और पिछले कई वर्षों से उपचार करा रहे थे।
उनकी मौत के बाद पुत्र न होने पर बड़ी बेटी दिव्या ने पिता को मुखाग्नि देकर महिला सशक्तिकरण की अद्भुत मिसाल पेश की। कसया क्षेत्र में यह घटना चर्चा का विषय बनी हुई है।
रामसहाय की प्रेरक कहानी
रामसहाय का जीवन संघर्ष और मेहनत की मिसाल रहा। 10 साल की उम्र में पिता की मौत के बाद वे रिश्तेदारों की मदद से कोलकाता पहुंचे। वहां मिठाई बनाने की कला सीखी।
वर्ष 2000 में घर लौटकर कसया में 11 नवंबर 2001 को ‘बंगाली स्वीट हाउस’ की शुरुआत की।
शुरुआत में ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए सिर्फ 2 रुपए में रसगुल्ला बेचकर उन्होंने बाजार में तहलका मचा दिया। उनकी यह रणनीति इतनी सफल रही कि दुकान का नाम युवाओं और आम लोगों की जुबान पर चढ़ गया।
रसगुल्ला बच्चों से लेकर आम लोगों तक सभी की पहुंच में आ गया। इसके बाद रामसहाय ने कसया के जानकी नगर मोहल्ले में जमीन खरीदी और हाईवे किनारे दुकान को स्थायी रूप दिया।
कैंसर से जंग और निधन
रामसहाय का जीवन खुशहाल चल रहा था, लेकिन 2016 में उन्हें मुख कैंसर हो गया। इलाज में लाखों रुपये खर्च हुए और तीन बार ऑपरेशन भी कराना पड़ा।
बीते 2 दिन पूर्व रामसहाय का निधन हो गया।
बेटी ने निभाया बेटे का फर्ज
रामसहाय की तीन बेटियां हैं –
दिव्या (शादीशुदा),
खुशी (बीटेक की पढ़ाई कर रही),
अदिति (इंटरमीडिएट छात्रा)।
बेटा न होने के कारण अंतिम संस्कार में मुखाग्नि देने को लेकर दिक्कत हुई। इस पर बड़ी बेटी दिव्या ने आगे आकर समाज के लिए एक उदाहरण पेश किया।
हिरण्यावती नदी के तट पर पिता को मुखाग्नि देकर दिव्या ने नारी शक्ति और साहसिक संकल्प की अद्भुत मिसाल पेश की।