Friday, October 3, 2025
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कानपुर में कर्मवीर पं. सुंदरलाल और गणेश शंकर विद्यार्थी स्मृति समारोह: 26 सितंबर से एक माह की सांस्कृतिक श्रृंखला, ऐतिहासिक विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाएगा

कानपुर, मुकेश शर्मा, (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में स्वतंत्रता संग्राम के दो महान सपूतों—कर्मवीर पं. सुंदरलाल और गणेश शंकर विद्यार्थी—की स्मृति में एक भव्य समारोह का आयोजन होने जा रहा है। महुआ डाबर संग्रहालय द्वारा 26 सितंबर से 25 अक्टूबर 2025 तक एक माह लंबी सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक कार्यक्रमों की श्रृंखला प्रस्तुत की जाएगी। उद्घाटन समारोह जागरण इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड मास कम्युनिकेशन के सभागार में होगा, जहां राष्ट्रवादी पत्रकारिता और स्वतंत्रता आंदोलन की अमिट छाप को याद किया जाएगा। यह आयोजन कानपुर की ऐतिहासिक विरासत को जीवंत करने और युवा पीढ़ी में देशभक्ति का संचार करने का प्रयास है।

महुआ डाबर संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. शाह आलम राना ने बताया कि तैयारियां अंतिम चरण में हैं। यह समारोह न केवल इन महान हस्तियों की स्मृति को ताजा करेगा, बल्कि कानपुर के सांस्कृतिक परिदृश्य को समृद्ध करेगा। पं. सुंदरलाल और विद्यार्थी जी की पत्रकारिता ने ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती दी, और यह आयोजन उसी मिशनरी भावना को आगे बढ़ाएगा।

कर्मवीर पं. सुंदरलाल: चंबल के क्रांतिकारी पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी

पंडित सुंदरलाल (9 अप्रैल 1883 – 25 मई 1972) कानपुर के एक प्रमुख राष्ट्रवादी पत्रकार, इतिहासकार और स्वतंत्रता सेनानी थे। वे सांप्रदायिक सद्भाव के प्रबल समर्थक थे और ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ अपनी कलम से युद्ध लड़े। वायसराय लॉर्ड हार्डिंग पर बम कांड के बाद उन्होंने गुप्त नामों से भूमिगत कार्य किया। नमक सत्याग्रह के दौरान वे आंदोलन के डिक्टेटर बने और आठ बार जेल यात्रा की।

उनकी पुस्तकें जैसे भारत में अंग्रेजी राज ने ब्रिटिश शासन की नींव हिला दी। वे भारतीय संविधान सभा के सदस्य रहे और विश्व शांति परिषद के अध्यक्ष के रूप में चीन, वियना, मॉस्को, लंदन, टोक्यो और वियतनाम में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की। पं. सुंदरलाल 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक थे, जो कई भाषाओं में अनूदित हुईं। पत्रकारिता में उन्होंने स्वराज, कर्मयोगी, भविष्य, विश्ववाणी और नया हिंद जैसे समाचार पत्रों का संपादन किया। उन्होंने गणेश शंकर विद्यार्थी को लेखन के लिए प्रेरित कर ‘विद्यार्थी’ उपनाम दिया और उनकी शहादत के बाद जांच समिति के सचिव बने।

पं. सुंदरलाल की विरासत आज भी कानपुर की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है, जहां उनकी कलम ने सांप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रवाद को मजबूत किया।

स्मृति समारोह की प्रमुख झलकियां: चार सप्ताह की सांस्कृतिक श्रृंखला

समारोह को चार सप्ताह में विभाजित किया गया है, जिसमें विभिन्न प्रतियोगिताएं और कार्यक्रम शामिल हैं। डॉ. शाह आलम राना ने कहा, “यह आयोजन नई पीढ़ी में रचनात्मक अभिव्यक्ति और देशभक्ति को प्रोत्साहित करेगा। विजेताओं को समापन समारोह में सम्मानित किया जाएगा।”

कार्यक्रमों का विवरण

सप्ताह/कार्यक्रमविवरण
चित्रकला एवं निबंध प्रतियोगितापं. सुंदरलाल और विद्यार्थी जी की जीवन यात्रा पर आधारित रचनाएं।
कानपुर हेरिटेज वॉक एवं फोटोग्राफी प्रतियोगिताशहर की ऐतिहासिक धरोहरों का भ्रमण और दस्तावेजीकरण।
पत्रकारिता के पुरखों पर ऑडियो-विजुअल निर्माणडॉक्यूमेंट्री और वीडियो प्रतियोगिता।
समापन समारोह (25 अक्टूबर)विजेताओं का सम्मान, गणेश शंकर विद्यार्थी स्मरण।

उद्घाटन समारोह: 26 सितंबर को भव्य प्रदर्शनी और डॉक्यूमेंट्री

उद्घाटन 26 सितंबर 2025 को प्रातः 11 बजे जागरण इंस्टिट्यूट के प्रांगण में होगा। कैलाश नाथ त्रिपाठी (संस्थापक, गणेश शंकर विद्यार्थी स्मारक शिक्षा समिति) द्वारा प्रदर्शनी का उद्घाटन किया जाएगा। प्रदर्शनी में पं. सुंदरलाल से जुड़े पत्र, डायरी, टेलीग्राम, स्मृति चिन्ह, समाचार पत्र, पत्रिकाएं, पुस्तकें और दुर्लभ तस्वीरें शामिल होंगी।

विशेष प्रस्तुति के रूप में भारत सरकार के आकाशवाणी निदेशालय द्वारा निर्मित डॉक्यूमेंट्री “पं. सुंदरलाल – चंबल के क्रांतिकारी पत्रकार” प्रदर्शित की जाएगी। सभागार में अतिथि वक्ता अनवर नकवी (पं. सुंदरलाल के दत्तक पौत्र) और इतिहासकार देवेंद्र सिंह चौहान मौजूद रहेंगे। “पं. सुंदरलाल और कानपुर” विषय पर पैनल डिस्कशन भी होगा, जो इन महान हस्तियों के योगदान को रेखांकित करेगा।

कानपुर की सांस्कृतिक विरासत: गणेश शंकर विद्यार्थी की भूमिका

गणेश शंकर विद्यार्थी (26 अक्टूबर 1890 – 25 मार्च 1931) कानपुर के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और पत्रकार थे। उन्होंने प्रताप समाचार पत्र के माध्यम से राष्ट्रवाद का प्रचार किया। 1931 के कानपुर दंगों में वे शांति स्थापित करने के प्रयास में शहीद हो गए। उनकी स्मृति में कानपुर एयरपोर्ट का नाम गणेश शंकर विद्यार्थी एयरपोर्ट रखा गया है। GSVM मेडिकल कॉलेज और फूल बाग (गणेश विद्यार्थी उद्यान) भी उनकी स्मृति में हैं। पं. सुंदरलाल ने ही उन्हें ‘विद्यार्थी’ उपनाम दिया, जो उनकी पत्रकारिता की प्रेरणा थे।

यह समारोह कानपुर को एक सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित करेगा, जहां इतिहास और वर्तमान का संगम होगा।

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