— खाद की कमी से परेशान किसान, प्रशासनिक दावे धरातल पर फेल
हरदोई/शाहाबाद, लक्ष्मी कान्त पाठक (वेब वार्ता)। धान की फसल लगाने के बाद एक तरफ मौसम की मार से किसान बिलबिला रहे हैं वहीं दुसरी ओर यूरिया खाद की कमी किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर रही है। हरदोई जिले में यूरिया और डीएपी का संकट इस कदर बढ़ गया है कि किसान समितियों और निजी दुकानों के चक्कर काटते-काटते थक चुके हैं। स्थिति यह है कि शाहाबाद ब्लॉक के दर्जनों गांवों में किसानों को खाद के लिए सुबह चार बजे से लाइनों में खड़ा होना पड़ रहा है, फिर भी उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है।
आपूर्ति नहीं, अव्यवस्था असली संकट
खाद संकट का सबसे बड़ा कारण वितरण व्यवस्था में गड़बड़ी और तस्करी है।हाल ही में जिले के 668 खाद विक्रेताओं के लाइसेंस रद्द कर दिए गए। इनमें से कई शाहाबाद क्षेत्र से जुड़े थे, जिन्होंने विभागीय पोर्टल पर सक्रियता नहीं दिखाई।
प्रशासनिक दावे बनाम जमीनी हकीकत
जिलाधिकारी अनुनय झा ने सभी विक्रेताओं को निर्देश दिए हैं कि खाद केवल प्रिंट रेट पर दी जाए और अधिक दर पर बिक्री करने वालों पर एफआईआर दर्ज की जाए। लेकिन शाहाबाद में निरीक्षण के दौरान एसडीएम व नायब तहसीलदार की टीम को कई समितियां बंद मिलीं।न तो स्टॉक रजिस्टर अपडेट थे, न ही QR कोड भुगतान प्रणाली लागू थी। कई दुकानों पर तय सीमा से अधिक यूरिया देने की शिकायतें सामने आई हैं।
आंकड़ों की ज़ुबानी
विवरण | आँकड़े (जुलाई अंत तक) |
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जिले में खाद की अनुमानित आवश्यकता | 1.2 लाख बोरी |
वर्तमान उपलब्धता | लगभग 67,000 बोरी |
वितरण केंद्रों पर औसत प्रतीक्षा | 2 से 3 घंटे |
प्राइवेट दुकानों पर कालाबाज़ारी दर | 50–80 रु. प्रति बोरी अधिक |