हरदोई, (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के संडीला थाना क्षेत्र अंतर्गत सनई गांव में बुधवार को एक अत्यंत हृदयविदारक घटना घटित हुई। यहां दो मासूम चचेरे भाइयों की तालाब में डूबने से दर्दनाक मौत हो गई। इस दुखद हादसे ने न केवल परिजनों को गहरे शोक में डुबो दिया बल्कि समूचे गांव में मातम का माहौल व्याप्त कर दिया है।
खेलने गए थे, लौटे कभी नहीं…
घटना बुधवार दोपहर की है। गांव के निवासी श्यामू का 7 वर्षीय पुत्र सुभाष और रामबरन का 5 वर्षीय पुत्र रंजीत रोज़ की तरह खेलते-खेलते गांव के पश्चिमी छोर पर स्थित पकरिया तालाब की ओर चले गए। बताया जा रहा है कि दोनों बच्चे भैंसों के साथ थे। भैंस तालाब में उतर गईं, जिन्हें वापस लाने के प्रयास में दोनों मासूम खुद ही गहरे पानी में उतर गए और डूबने लगे।
बचाया न जा सका
ग्रामीणों को जब बच्चों के गायब होने का आभास हुआ तो खोजबीन शुरू हुई। काफी प्रयासों के बाद ग्रामीणों ने बच्चों को तालाब से बाहर निकाला और तुरंत नजदीकी निजी अस्पताल पहुंचाया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया।
ईंट भट्ठे की खुदाई से बना था तालाब
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह तालाब ईंट-भट्ठे की मिट्टी की खुदाई के कारण बना था और वहां कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं था। ना तो कोई चेतावनी बोर्ड, ना बाड़बंदी, और ना ही निगरानी की कोई व्यवस्था। इसी लापरवाही का खामियाजा दो मासूमों को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा।
पुलिस ने शव भेजे पोस्टमार्टम के लिए
संडीला कोतवाली प्रभारी विद्यासागर पाल ने बताया कि दोनों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है और मामले की पूरी विधिक प्रक्रिया पूरी की जा रही है।
गांव में पसरा मातम
गांव में इस घटना के बाद से मातमी सन्नाटा छाया हुआ है। मृत बच्चों की मांओं की करुण चीत्कार, परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल और पड़ोसियों की नम आंखें, पूरे वातावरण को गमगीन बना रही हैं। कोई भी इस दुख को शब्दों में व्यक्त नहीं कर पा रहा।
बच्चों की सुरक्षा पर उठते सवाल
घटना के बाद से गांव में मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है। मासूमों की मांओं की करुण चीत्कार और परिजनों की टूटी हिम्मत ने हर आंख नम कर दी। यह घटना उन अनगिनत ग्रामीण बच्चों की असुरक्षित दिनचर्या की एक दर्दनाक बानगी है, जो हर साल इसी तरह अकाल काल में समा जाते हैं। यह दुखद हादसा ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों की असुरक्षित दिनचर्या और खुले तालाबों, जलाशयों की अनदेखी पर गंभीर सवाल खड़े करता है। ऐसी घटनाएं हर साल होती हैं, लेकिन फिर भी स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों द्वारा कोई ठोस उपाय नहीं किया जाता।