हरदोई, लक्ष्मीकान्त पाठक (वेब वार्ता)। गर्रा नदी के उफान ने हरदोई जनपद के तटवर्ती गांवों में भयावह स्थिति पैदा कर दी है। वासितनगर, उमरिया धानी, कालागाडा, वारी, गनुआपुर, गुजीदेई, परेली, खजुहाई, कहारकोला, अतर्जी, गुटकामऊ, और बैजूपुर जैसे दर्जनों गांवों में पानी भर गया है, जिससे धान, गन्ना, अरहर, और सब्जियों की फसलें बर्बाद हो रही हैं। नदी के कटान ने कई मकानों को भी खतरे में डाल दिया है। वेब वार्ता की खबर के बाद जिला प्रशासन तुरंत हरकत में आया, और जिलाधिकारी अनुनय झा व पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार जादौन ने प्रभावित गांवों का दौरा कर राहत और बचाव कार्य तेज करने के निर्देश दिए।
गर्रा नदी की बाढ़: ग्रामीणों की पुकार
हरदोई के तटवर्ती गांवों में गर्रा नदी का जलस्तर बढ़ने से हालात गंभीर हो गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ ने उनकी खेती, मकान, और आजीविका को तबाह कर दिया है। एक ग्रामीण ने दुखी स्वर में कहा:
“प्रशासन सिर्फ आश्वासन देता है, जमीन पर कोई मदद नहीं मिल रही। अगर हालात यही रहे, तो हमें गांव छोड़कर जाना पड़ेगा।”
वासितनगर के एक किसान ने बताया कि उनकी धान और गन्ने की फसल पूरी तरह जलमग्न हो चुकी है, और नदी के कटान से उनके घर का एक हिस्सा ढह गया। खजुहाई और बैजूपुर के निवासियों ने बताया कि पानी के कारण उनके घरों में रसोई बंद हो गई है, और बच्चों को भूखा रहना पड़ रहा है।
वेब वार्ता की खबर का असर
शुक्रवार सुबह वेब वार्ता न्यूज एजेंसी ने बाढ़ प्रभावित गांवों की दुर्दशा और प्रशासन की चुप्पी पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की। इस खबर का त्वरित असर हुआ, और जिला प्रशासन ने संज्ञान लेते हुए तुरंत कार्रवाई शुरू की। जिलाधिकारी अनुनय झा और पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार जादौन ने पाली क्षेत्र के बाबरपुर सहित कई गांवों का दौरा किया।
जिलाधिकारी ने ग्रामीणों से संवाद करते हुए आश्वासन दिया:
“कोई भी प्रभावित परिवार भूखा नहीं रहेगा। हम सुनिश्चित करेंगे कि हर प्रभावित तक पका भोजन और राहत सामग्री पहुंचे।”
राहत और बचाव कार्यों में तेजी
जिलाधिकारी ने प्रभावित क्षेत्रों में राहत किट और फूड पैकेट का वितरण शुरू करवाया। जिन घरों में खाना बनाना संभव नहीं है, वहां पका हुआ भोजन पहुंचाने के निर्देश दिए गए। इसके अलावा, पालतू पशुओं के लिए अलग शरणालय और चारा की व्यवस्था करने का आदेश दिया गया।
पाली और सांडी क्षेत्रों में मेडिकल कैंप और पशु चिकित्सा कैंप स्थापित किए गए हैं। जिलाधिकारी ने स्वास्थ्यकर्मियों को बीमार लोगों को तुरंत दवाएं उपलब्ध कराने और पशुपालन विभाग को बीमार पशुओं की नियमित जांच करने के निर्देश दिए।
स्वास्थ्य और स्वच्छता पर विशेष ध्यान
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में महामारी की आशंका को देखते हुए जिलाधिकारी ने क्लोरीन की गोलियां वितरित करने और गांव-गांव में फॉगिंग कराने के आदेश दिए। उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी कि राहत कार्यों में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अपर जिलाधिकारी (न्यायिक) प्रफुल्ल त्रिपाठी, उप जिलाधिकारी मयंक कुंडू, नगर मजिस्ट्रेट सुनील कुमार त्रिवेदी, और प्रभारी जिला सूचना अधिकारी दिव्या निगम सहित कई अधिकारी निरीक्षण के दौरान मौजूद रहे।
चुनौतियां और भविष्य की जरूरतें
हालांकि प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई शुरू की है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता है। नदी कटान को रोकने के लिए तटबंधों का निर्माण और नदी की गाद निकालने की प्रक्रिया शुरू करने की मांग उठ रही है। इसके अलावा, कृषि नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजा और बीमा सहायता की जरूरत है।
निष्कर्ष
गर्रा नदी की बाढ़ ने हरदोई के तटवर्ती गांवों को संकट में डाल दिया है, लेकिन वेब वार्ता की रिपोर्ट और प्रशासन की त्वरित कार्रवाई ने राहत की उम्मीद जगाई है। जिलाधिकारी अनुनय झा और पुलिस अधीक्षक नीरज कुमार जादौन के नेतृत्व में राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं। फिर भी, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य, स्वच्छता, और दीर्घकालिक समाधान पर ध्यान देना जरूरी है। यह घटना दर्शाती है कि मीडिया और प्रशासन के सहयोग से समाज में सकारात्मक बदलाव संभव है।
आइए, हम सब मिलकर हरदोई के प्रभावित ग्रामीणों के प्रति एकजुटता दिखाएं और उनकी सहायता के लिए आगे आएं।
गर्रा नदी का उफान, हरदोई संकट में
वेब वार्ता रिपोर्ट के बाद हरकत में आया प्रशासन।
डीएम-एसपी ने बाढ़ प्रभावित गांवों का किया निरीक्षण
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