Friday, October 3, 2025
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हरदोई में जमीन हड़पने का फर्जीवाड़ा: ब्राह्मण किसान हरद्वारी ने CM से लगाई न्याय की गुहार, वकील-रजिस्ट्रार पर कार्रवाई की मांग

हरदोई, लक्ष्मीकांत पाठक (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में जमीन विवाद और फर्जी दस्तावेजों के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे। डबल इंजन सरकार के बावजूद जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार और हेराफेरी की घटनाएं आम हो चुकी हैं। ग्राम भेलावा, पोस्ट बघौली निवासी हरद्वारी पुत्र आत्माराम (जाति ब्राह्मण) ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जनसुनवाई के माध्यम से पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगाई है। उन्होंने आरोप लगाया है कि ग्राम ढकिया (बेनीगंज कोतवाली क्षेत्र) में स्थित उनकी पैतृक जमीन को फर्जी हरद्वारी पासी के नाम पर हड़प लिया गया। इस मामले में वकील और रजिस्ट्रार पर भी शिकंजा कसने की मांग की गई है।

यह घटना न केवल एक किसान की परेशानी को दर्शाती है, बल्कि जिले में बढ़ते भूमि माफिया के हौसले को भी उजागर करती है। पीड़ित हरद्वारी का कहना है कि इस फर्जीवाड़े से उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया है, और वे अब मुख्यमंत्री से न्याय की उम्मीद कर रहे हैं।

जमीन विवाद की पूरी कहानी: 50 साल पुरानी पैतृक संपत्ति पर साया

हरद्वारी ब्राह्मण ने अपने पत्र में विस्तार से बताया कि वे पिछले 50 वर्षों से ग्राम ढकिया खुर्द (मौजा कोथावा, तहसील संडीला) स्थित गाटा संख्या 1092 और 1093 की भूमि पर खेतीबाड़ी कर रहे हैं। यह जमीन उनकी पैतृक संपत्ति है, जिस पर उनका कब्जा और नाम दर्ज है। लेकिन, विपक्षी पक्ष ने संडीला के ग्राम न्यायालय में कार्यरत एडवोकेट शिवेंद्र सिंह की मिलीभगत से फर्जी दस्तावेज तैयार करवाए और उनकी आधी जमीन हड़प ली।

शिकायत के अनुसार, 22 जनवरी 2025 को एक फर्जी व्यक्ति हरद्वारी पुत्र आत्माराम (जाति पासी) को खड़ा करके दस्तावेज तैयार करवाए गए। इस फर्जी हरद्वारी के नाम पर रेनू पत्नी नन्हेलाल, सुष्मी देवी पत्नी शिशुपाल और गुड्डी पत्नी ब्रह्मादीन के नाम बैनामा करा दिया गया। असली हरद्वारी ब्राह्मण का नाम और पहचान बदलकर जमीन का हस्तांतरण कर दिया गया, जिससे उनकी आधी संपत्ति पर कब्जा हो गया।

पीड़ित ने बताया, “मैंने अपनी मेहनत से इस जमीन को संवारा है। अब ये लोग फर्जी कागजातों से मुझे बेघर करने पर तुले हैं।” घटना की जानकारी मिलने के बाद से उनका स्वास्थ्य खराब हो गया है, और वे इलाज के लिए परेशान हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की है कि इस फर्जीवाड़े की पूरी जांच हो और दोषियों को सजा दी जाए।

आरोपी पक्ष पर गंभीर आरोप: वकील की साजिश और रजिस्ट्रार की लापरवाही

हरद्वारी के पत्र में एडवोकेट शिवेंद्र सिंह पर मुख्य रूप से आरोप है कि उन्होंने विपक्षी महिलाओं के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज तैयार करवाए। रेनू, सुष्मी देवी और गुड्डी ने इस साजिश में हिस्सा लिया, जबकि फर्जी हरद्वारी पासी को मोहरा बनाया गया। इसके अलावा, रजिस्ट्रार कार्यालय पर भी लापरवाही का आरोप लगाया गया है, क्योंकि बैनामा के दौरान पहचान सत्यापन की कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई।

पीड़ित ने मांग की है कि:

  • एडवोकेट शिवेंद्र सिंह के खिलाफ बार काउंसिल में शिकायत दर्ज हो और लाइसेंस रद्द किया जाए।
  • रेनू पत्नी नन्हेलाल, सुष्मी देवी पत्नी शिशुपाल, गुड्डी पत्नी ब्रह्मादीन और फर्जी हरद्वारी पुत्र आत्माराम (पासी) के खिलाफ धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और भूमि हड़पने के तहत IPC की धाराओं में मुकदमा दर्ज हो।
  • रजिस्ट्रार कार्यालय की जांच हो और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए।
  • उनकी जमीन का नाम पुनः बहाल किया जाए और मुआवजा दिया जाए।

यह मामला हरदोई जिले में चल रहे अन्य भूमि विवादों से मिलता-जुलता है, जहां फर्जी दस्तावेजों से गरीब किसानों की संपत्ति हड़पी जा रही है।

डबल इंजन सरकार के दावों पर सवाल: जमीनी कार्रवाई कब?

उत्तर प्रदेश सरकार लगातार भूमाफियाओं पर कार्रवाई और जेल भेजने के दावे कर रही है, लेकिन हरदोई जैसे जिलों में फर्जीवाड़ा रुकने का नाम नहीं ले रहा। पिछले वर्षों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां वकीलों और रजिस्ट्रारों की मिलीभगत से जमीनें हड़पी गईं। स्थानीय प्रशासन ने अभी तक इस शिकायत पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन जनसुनवाई पोर्टल पर दर्ज पत्र के बाद कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही है।

कुशवाहा समाज या ब्राह्मण संगठनों ने भी इस मामले में पीड़ित का समर्थन किया है और जिला प्रशासन से त्वरित न्याय की मांग की है। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, “ऐसे मामलों में जातिगत भेदभाव भी दिखता है। ब्राह्मण किसान को पासी के नाम पर ठगा गया, जो अन्यायपूर्ण है।”

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