लखनऊ (वेब वार्ता)। समाजवादी पार्टी (SP) के अध्यक्ष अखिलेश यादव का दीपोत्सव पर दिया गया बयान राजनीतिक विवादों का केंद्र बन गया है। उन्होंने अयोध्या में दीयों पर होने वाले खर्च को “फिजूल” बताते हुए क्रिसमस से तुलना की, जिससे BJP और VHP जैसे संगठनों ने कड़ी निंदा की। अखिलेश ने कहा कि सरकार अयोध्या में हर साल दीयों पर इतना धन क्यों खर्च कर रही है, यह समझ से परे है। दुनिया के अन्य देशों में क्रिसमस पर महीनों रोशनी रहती है, उनसे सीखना चाहिए। साथ ही, SP सत्ता में आने पर हर साल कुम्हारों से 1 करोड़ दीये खरीदेगी।
यह बयान शनिवार को लखनऊ में SP मुख्यालय पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आया। BJP ने इसे हिंदू संस्कृति का अपमान बताया, जबकि SP ने स्पष्ट किया कि यह फिजूलखर्ची पर सवाल था, परंपरा पर नहीं।
अखिलेश का बयान: “क्रिसमस से सीखें, फिजूल खर्च बंद करें”
अखिलेश ने कहा, “भगवान श्री राम के नाम पर सुझाव देना चाहता हूं। दुनिया में क्रिसमस का समय है, शहर जगमगा जाते हैं, महीनों जगमाते रहते हैं। उन्हीं से सीख लो। क्यों खर्चा करना बार-बार दियों का, मोमबत्तियों का? इस सरकार से क्या उम्मीद? हटाइए इस सरकार को, हम बहुत सुंदर रोशनी कराएंगे।” उन्होंने SP सत्ता में आने पर कुम्हारों से 1 करोड़ दीये खरीदने का वादा किया।
BJP की निंदा: “सनातन विरोधी सोच, नाम बदल लो”
BJP ने अखिलेश पर तीखा प्रहार किया। BJP प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, “अयोध्या चमक रही है, तो अखिलेश यादव को समस्या। सैफई में गाने-नाचने पर खर्च करते थे, लेकिन अयोध्या में दीपोत्सव पर जलन। जब अयोध्या चमक रही है, तो अखिलेश को समस्या।”
मध्य प्रदेश के मंत्री विश्वास सारंग ने कहा, “अखिलेश नाम का व्यक्ति ऐसा बयान दे सकता है। यादव परिवार ने सनातन का विरोध किया है। 1990 में कारसेवकों पर गोली चलवाई थी। अब राम मंदिर में दीप जलेंगे तो उनके पेट में दर्द होगा। नाम अंटोनी या अकबर रख लें।”
VHP नेता विनोद बंसल ने कहा, “दीये बनाने वाले कुम्हार समाज को अपमान। अखिलेश वेटिकन सिटी जाकर क्रिसमस मनाएं।”
SP का बचाव: “फिजूलखर्ची पर सवाल, परंपरा पर नहीं”
SP ने स्पष्ट किया कि बयान फिजूलखर्ची पर था। SP प्रवक्ता ने कहा, “हम दीपावली की परंपराओं का सम्मान करते हैं। सरकार की बर्बादी पर सवाल उठाना जरूरी है। SP सत्ता में कुम्हारों से 1 करोड़ दीये खरीदेगी।”
सियासी संदर्भ: अयोध्या दीपोत्सव पर विवाद
यह बयान अयोध्या दीपोत्सव (22 अक्टूबर, 26 लाख दीये) के ठीक पहले आया, जो BJP की सांस्कृतिक छवि को मजबूत कर रहा है। BJP ने इसे सनातन विरोधी करार दिया, जबकि SP ने फिजूलखर्ची का मुद्दा उठाया।