तिरुवनंतपुरम, (वेब वार्ता)। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बृहस्पतिवार को कहा कि ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) मसौदा नियम 2025’ न केवल उच्च शिक्षा में राज्य सरकारों की भूमिका को कम करते हैं, बल्कि वास्तव में उन्हें दरकिनार करते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मसौदा नियमों के तहत राज्य द्वारा स्थापित विश्वविद्यालयों में कुलपतियों (वीसी) और सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति में राज्यों की कोई भूमिका नहीं है और उन्होंने इसे ‘‘अलोकतांत्रिक और मनमाना’’ करार दिया।
उन्होंने यहां विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के 2025 के मसौदा नियमों पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद इसे संबोधित किया। इस कार्यक्रम में पड़ोसी राज्यों तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु के मंत्रियों ने भी भाग लिया।
उन्होंने कहा कि कुलपतियों की नियुक्ति का अधिकार कुलाधिपतियों को दिया गया है, जो केंद्र द्वारा नियुक्त राज्यपाल होते हैं और इसलिए इनकी नियुक्ति में राजनीति से प्रेरित चयन की गुंजाइश है जो देश में उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए हानिकारक होगा।
उन्होंने दावा किया कि देश में पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और केरल सहित कई विपक्षी दलों के शासन वाले राज्यों ने ‘‘राज्यपाल की ज्यादतियों’’ को अनुभव किया है।
विजयन ने कहा कि राज्यपालों ने कुलाधिपति के रूप में राज्यों के विश्वविद्यालयों में राजनीतिक हस्तक्षेप किया है और मसौदा नियमों के तहत इसमें वृद्धि होने की उम्मीद है।
मुख्यमंत्री ने केरल के पूर्व राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के साथ अपनी सरकार के अनुभव को भी साझा किया और बताया कि कैसे उन्होंने राज्य में विश्वविद्यालयों के प्रशासन से संबंधित विभिन्न विधेयकों को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था, जिसके कारण राज्य सरकार को सर्वोच्च न्यायालय का रुख करना पड़ा था।
विजयन ने कहा कि मसौदा नियमों में शैक्षणिक कर्मचारियों की पदोन्नति के लिए नए और मनमाने मानदंड भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि ये नियम ‘‘केंद्र सरकार द्वारा राज्यों के अधिकारों का उल्लंघन करने के अलावा कुछ नहीं हैं।’’
मुख्यमंत्री ने केंद्र द्वारा कथित तौर पर राज्यों के वित्तीय संसाधनों को हथियाने का मुद्दा भी उठाया क्योंकि ‘‘राज्यों को खुद की योजनाओं के लिए केंद्रीय आवंटन का हिस्सा साल-दर-साल कम होता जा रहा है और राज्य सरकारों को अधिक से अधिक योगदान देना पड़ रहा है’’।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार राज्यों के अधिकारों को हड़पने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करने वाले केरल के उच्च शिक्षा मंत्री आर. बिंदु और तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त किए।
बिंदु ने कहा कि मसौदा नियम न केवल संवैधानिक प्रावधानों में घुसपैठ है, बल्कि इससे राज्य के विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक गुणवत्ता ‘‘कमजोर’’ होगी।