नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। राष्ट्रीय राजधानी में रविवार बीते जमाने की दुर्लभ और प्रतिष्ठित कारों की भव्य परेड का दिन रहा। बहुप्रतिक्षित 58वीं वार्षिक ‘द स्टेट्समैन विंटेज एंड क्लासिक’ कार रैली में दिल्ली और दूसरे प्रांतों के पुरानी कारें रखने के शौकीन लोगों ने सहेज कर रखे गये अपने खूबसूरत वाहनों की नुमाइश की। रैली में 1914 से 1960 के दशक तक की 100 से अधिक कारें शामिल थीं। दिल्ली के दिल कनॉट प्लेस के स्टेट्समैन हाउस से शुरू हुई ऐतिहासिक कार रैली को इंडियन ऑयल के अध्यक्ष मुख्य अतिथि अरविंदर सिंह साहनी ने आज हरी झंड़ी दिखाकर रवाना किया। कारें लगभग 44 किलोमीटर की रैली के रास्ते में दर्शकों को लुभाते हुए यह राजधानी के नेशनल स्टेडियम में पहुंची।
पूरी देखरेख, मूल रूप में रखरखाव के साथ दुल्हन की तरह से सजा कर लायी गयीं ये कारें समापन समारोह के लिए इंडिया गेट के पास नेशनल स्टेडियम के बाहरी लॉन में एकत्र हुईं, जहां इन्हें देखने के लिए बड़ी संख्या में दर्शक एकत्रित हुए थे, जिनमें कई विदेशी राजनयिक मिशनों के लोग भी शामिल हुए। रंगारंग समापन कार्यक्रम में कार स्वामियों को विंटेज और क्लासिकल वर्ग में कारों के उल्लेखनीय रखरखाव और साज-सज्जा के लिये विशिष्ट अतिथि दिल्ली के पर्यावरण एवं वन मंत्री मंजिन्दर सिंह सिरसा, स्टेट्समैन समूह के अध्यक्ष आर. पी. गुप्ता, स्टेट्समैन के प्रबंध निदेशक रवीन्द्र कुमार, विधि एवं कानून मंत्रालय में अपर सचिव मनोज कुमार, निदेशक विनीत गुप्ता ने विजेताओं को ट्रॉफियां प्रदान कीं।
रैली का नेतृत्व 11 महिला बाइकर (मोटरसाइकिल चालक महिलाएं) कर रही थी, जिसमें सबसे आगे गीता बत्रा थी। स्टेट्समैन के निदेशक विनीत गुप्ता और महादेव स्वामी ने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से आयी इन बाइक चलाने वाली महिलाओं को पुरस्कृत किया। इस बार की रैली भाग लेने वाली विंटेज श्रेणी के वाहनों में सबसे पुरानी कार-जॉन मॉरिस फायर इंजन (निजाम स्टेट नम्बर 1) राजधानी के राष्ट्रीय रेल संग्रहालय आयी थी, जो 1914 की बनी हुई है। अब इस तरह की मात्र दो वाहन बचे हुये हैं, दूसरा वाहन मैनचेस्टर लंदन के संग्रहालय में रखा गया है। यह वाहन हैदराबाद के निजाम की रियासत की रेलवे कंपनी ने खरीदा था। यह 1960 तक सेवा में थी। करीब 80 हॉर्स पावर के चार सिलेंडर वाले इंजन की यह गाड़ी प्रति मिनट 400 गैलन पानी छोड़ती है। एक लीटर प्रति किलोमीटर की औसत वाली यह कार लगातार इस रैली में पुरस्कृत होती रही है। अब इसका रखरखाव रेलवे संग्रहालय के जिम्मे है।
इससे पहले शुक्रवार और शनिवार को द स्टेट्समैन विंटेज और क्लासिक रैली में भाग लेने वाली कारों का प्री -जजिंग कार्यक्रम यहां बाराखंभा रोड स्थित मॉडर्न स्कूल में आयोजित किया गया था, जहां 100 से अधिक विंटेज और क्लासिक कारों का बहुत ही सावधानी से मूल्यांकन किया गया। इस साल रैली के विशेष आकर्षण में अहमदाबाद के दमन ठाकुर की 1950 की एमजी वाईटी कन्वर्टिबल है, जिसे उनके परिवार ने “लाल परी” नाम दिया है। ठाकुर इस कार को लेकर 2023 में दुबई के रास्ते लंदन तक ले गये थे। करीब 73 दिन की यात्रा तय कर लंदन पहुंचने पर मॉरिस गेरिसन (एमजी) कंपनी निर्माता कंपनी की ओर से ऑक्सफोर्डशायर के एबिंगडन में इसका स्वागत किया गया और कारखाने की एक ईंट भेंट की गयी। कार मालिक ठाकुर ने इस ईंट को कार के बोनट पर प्रदर्शित किया था।
श्री ठाकुर ने कहा, “यह कार एक दुर्लभ रत्न है। इस तरह की केवल 900 कारें बनायी गयीं थी और आज दुनिया भर में केवल 150-200 ही बची हैं।” रैली में गुरप्रीत सिंह अपनी 1928 की रोल्स रॉयस फैंटम 1 ओपन टूर को इस रैली में लेकर आये, जिसे मूल रूप से भावनगर के महाराजा ने खरीदी थी। रैली में अशोक गुप्ता की 1936 की रॉलस रॉयस, बरेली के कलीम खान की 1919 की सिट्रॉन, डॉ एस हुसैन की 1926 में अमेरिका में बनी ओकलैंड, अवनि अम्बुज की 1926 की ऑस्टिन (ब्रिटेन), देवमोहन गुप्ता की 1929 में अमेरिका में बनी और आज भी चमचमाती बुइक कार, संदीप सिंघल 1930 की फाेर्ड, जावेद खान की 1930 की अमेरिकी स्टडबेकर, कबीर सेठ की ब्रिटेन में 1934 की बनी लागोंडा, इंद्रजीत सरकार की इटली की 1961 में फियेट, देवमोहन गुप्ता की 1938 में बनी मर्सिडीज बेंज, 1948 की बनी ब्रिगेडियर नरेश बजाज की सिंगर रोडस्टार और उदयबहादुर की 1947 में ब्रिटेन में बनी एमजी कार दर्शकों के काैतूहल का प्रमुख केन्द्र रही।
विंटेज ऑटोमोबाइल के प्रति जुनून अब भी बरकरार है। रैली के निर्णायक मंडल के एक सदस्य ज्ञान शर्मा ने विंटेज कार संस्कृति को बनाये रखने के लिये सरकारी सहायता की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “बढ़ते ड्राइविंग प्रतिबंधों और बढ़ते रखरखाव लागतों के कारण, कम युवा उत्साही लोग इस तरह की रैली में शामिल हो रहे हैं। यह एक समय में एक संपन्न शौक था लेकिन अब केवल कुछ समर्पित लोग ही इसे अपना रहे हैं। इस परंपरा को जीवित रखने के लिए स्टेट्समैन को श्रेय दिया जाना चाहिए।” मूल्यांकन प्रक्रिया पर चर्चा करते हुए निर्णायक मंडल के एक अन्य सदस्य प्रमोद भसीन ने कहा कि वाहनों का मूल्यांकन मौलिकता, रखरखाव, पेंट की गुणवत्ता तथा साजो-सामान की गुणवत्ता के आधार पर किया गया।