राज्यपाल और मुख्यमंत्री की उपस्थिति में हुआ ऐतिहासिक एमओयू (CSR-MoU), 550 स्कूलों में होगी स्मार्ट सुविधाओं की शुरुआत
देहरादून, (वेब वार्ता)। उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था में एक ऐतिहासिक बदलाव लाने की दिशा में राज्य सरकार ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। राजभवन देहरादून में आयोजित “भविष्य के लिए तैयार स्कूलों के निर्माण (Building Future Ready Schools through CSR-MoU)” कार्यक्रम में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि.) और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में शिक्षा विभाग और उद्योग जगत के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।
550 सरकारी स्कूलों में शुरू होगी स्मार्ट शिक्षा पहल
इस समझौते के तहत राज्य के 550 प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों को कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) के अंतर्गत अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया जाएगा। इस मुहिम का फोकस पर्वतीय क्षेत्रों के स्कूलों पर अधिक रहेगा, ताकि विषम भौगोलिक परिस्थितियों में भी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।
एमओयू में भाग लेने वाले प्रतिष्ठित कॉर्पोरेट समूहों में शामिल हैं:
इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (IGL)
रिलैक्सो फुटवियर
कन्विजीनियस
ताज ग्रुप
गोंडवाना रिसर्च
इन सुविधाओं का होगा विकास
इस अनुबंध के अंतर्गत निम्नलिखित सुविधाएं विकसित की जाएंगी:
स्मार्ट क्लासरूम
कंप्यूटर लैब
साइंस लैब
पुस्तकालय
खेल सामग्री और मैदान
स्वच्छ शौचालय
फर्नीचर
चारदीवारी और अन्य आधारभूत ढांचा
राज्यपाल और मुख्यमंत्री के वक्तव्य
राज्यपाल गुरमीत सिंह ने कहा कि यह कदम उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। “यह पहल शिक्षा के क्षेत्र में एक नव युग का आरंभ है। इससे विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित होगा।”
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि “देश के प्रतिष्ठित उद्योग समूह और प्रवासी उत्तराखंडी अब उत्तराखंड के स्कूलों को गोद ले रहे हैं। यह न केवल CSR का एक बेहतरीन उदाहरण है, बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में जनभागीदारी और सामाजिक जिम्मेदारी का भी प्रतिबिंब है।”
उन्होंने यह भी कहा कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू किया। इसके अलावा:
बाल वाटिका की शुरुआत
सरकारी स्कूलों में एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों की अनिवार्यता
भारत भ्रमण योजना जैसी पहलें भी राज्य की शिक्षा प्रणाली को मजबूत बना रही हैं।
उद्योग व शिक्षा का समन्वय
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उत्तराखंड में औद्योगिक विकास के लिए 30 से अधिक नीतियां जैसे कि:
औद्योगिक नीति
स्टार्टअप नीति
एमएसएमई नीति
लॉजिस्टिक नीति
को प्रभावी ढंग से लागू किया गया है, जिससे राज्य में निवेश को प्रोत्साहन मिला है। उन्होंने बताया कि सिंगल विंडो सिस्टम के जरिए लाइसेंसिंग प्रक्रिया को आसान बनाया गया है।
शिक्षा मंत्री का बयान और भावी योजनाएं
शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने जानकारी दी कि राज्य के सभी विधायक अपने-अपने क्षेत्र में एक-एक विद्यालय को विकसित करने हेतु इच्छुक हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पुराने छात्र (Alumni) भी स्कूलों को गोद लेना चाहते हैं, पर SOP (Standard Operating Procedure) के अभाव में बाधा आ रही है। शिक्षा विभाग शीघ्र ही एक विशेष SOP जारी करेगा।
उपस्थित प्रमुख अधिकारी
सचिव: श्री रविनाथ रामन
अपर सचिव: श्रीमती रंजना राजगुरु
निदेशक माध्यमिक शिक्षा: डॉ. मुकुल कुमार सती
निदेशक प्रारंभिक शिक्षा: अजय नौटियाल
निष्कर्ष
यह समझौता न केवल उत्तराखंड की शिक्षा प्रणाली को वैश्विक मानकों पर ले जाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि सार्वजनिक-निजी सहभागिता (Public-Private Partnership) का एक आदर्श उदाहरण भी है। इससे राज्य के दूरदराज क्षेत्रों में पढ़ रहे लाखों बच्चों को गुणवत्तापूर्ण और आधुनिक शिक्षा मिल सकेगी।