Tuesday, November 18, 2025
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उत्तराखंड आपदा : राज्य सरकार के आकलन से कम राहत पैकेज पर कांग्रेस ने जताई निराशा, पुनर्वास के लिए अतिरिक्त मदद की मांग

देहरादून, (वेब वार्ता)। उत्तराखंड आपदा: उत्तराखंड में हाल ही में आई भीषण प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों की मदद के लिए केंद्र सरकार द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज को लेकर कांग्रेस ने नाराज़गी और निराशा जताई है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा घोषित मात्र 1200 करोड़ रुपये का राहत पैकेज राज्य सरकार के आकलन से कहीं कम है। कांग्रेस ने इसे राज्यवासियों के साथ अन्याय करार दिया और केंद्र सरकार से अतिरिक्त आर्थिक सहायता की पैरवी करने की मांग की।

राजीव भवन में कांग्रेस की पत्रकार वार्ता

शुक्रवार को राजीव भवन, देहरादून में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और केंद्रीय चुनाव समिति के सदस्य तथा पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने संयुक्त पत्रकार वार्ता की। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदा से राज्य में जनहानि और धनहानि दोनों हुई है, ऐसे में कम राहत राशि से पीड़ितों की अपेक्षाओं पर चोट पहुँची है।

हरीश रावत ने कहा, “प्रधानमंत्री से राज्यवासियों की बड़ी उम्मीदें थीं कि राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित राशि के अनुरूप आर्थिक मदद मिलेगी, लेकिन कम राशि की घोषणा ने लोगों को निराश कर दिया है।” उन्होंने कहा कि 2013 की दैवीय आपदा के समय कांग्रेस सरकार ने राहत मानकों में व्यापक बदलाव कर प्रभावितों का पुनर्वास और विस्थापन बेहतर तरीके से कराया था।

मलिन बस्तियों पर कार्रवाई का विरोध

प्रीतम सिंह ने केंद्र और राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि एलिवेटेड रोड के नाम पर मलिन बस्तियों को उजाड़ने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस हमेशा से मलिन बस्तियों के साथ खड़ी रही है। हमने पहले चरण में 582 मलिन बस्तियों को चिन्हित कर उन्हें मालिकाना हक देने का काम शुरू किया था। यह एक्ट विधानसभा से पारित भी है।”

उन्होंने राज्य सरकार से अपेक्षा जताई कि प्रभावित परिवारों की पुनर्वास योजनाओं को प्राथमिकता दी जाए और उन्हें पर्याप्त आर्थिक सहायता प्रदान की जाए।

पुनर्निर्माण और पुनर्वास में सहयोग की आवश्यकता

कांग्रेस नेताओं ने केंद्र और राज्य सरकार से अनुरोध किया कि राहत पैकेज में बढ़ोतरी कर प्रभावितों के पुनर्निर्माण, विस्थापन और जीवन-यापन में मदद की जाए। उन्होंने कहा कि आपदा पीड़ितों को राहत देने में कोई कसर नहीं छोड़ी जानी चाहिए और उनके साथ संवेदनशीलता बरती जाए।

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