Friday, October 3, 2025
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सोनीपत में प्रीमैच्योर जुड़वा नवजातों के इलाज में लापरवाही का आरोप: आयुष्मान कार्ड पर सिर्फ एक का लाभ, AAP नेता देवेंद्र गौतम ने परिवार से मिलकर की फ्री इलाज की मांग

सोनीपत, राजेश आहूजा (वेब वार्ता)। हरियाणा के सोनीपत जिले में एक गरीब परिवार के प्रीमैच्योर जुड़वा नवजातों के इलाज में लापरवाही का गंभीर आरोप लगा है। जटवाड़ा के पास खातियान मोहल्ला निवासी एक महिला ने PGI खानपुर में 16 सितंबर को जुड़वा बेटों को जन्म दिया, जो समय से पहले हुआ था। एक बच्चे का वजन मात्र 900 ग्राम और दूसरे का करीब 1 किलो था। अस्पतालों में NICU (नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) की जगह न मिलने से परिवार नेस्ट अस्पताल पहुंचा, जहां आरोप है कि अस्पताल ने आयुष्मान भारत योजना के तहत सिर्फ एक बच्चे का इलाज किया और दूसरे पर परिवार से खर्च मांगा। इस मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता देवेंद्र गौतम ने परिवार से मिलकर सरकार और अस्पताल से सवाल किए और दोनों बच्चों का इलाज मुफ्त करने की मांग की। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द कार्रवाई न हुई, तो आंदोलन किया जाएगा।

यह घटना गरीब परिवारों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और सरकारी योजनाओं की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े करती है। परिवार का कहना है कि अस्पताल ने 18,000 रुपये जमा करवाए और एक NGO ने वीडियो बनाकर फंड जुटाने की बात की, लेकिन अब बोझ परिवार पर ही है। AAP नेता ने इस पर जांच की मांग की है, जो स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को उजागर कर रहा है।

घटना का पूरा विवरण: PGI से नेस्ट अस्पताल तक का सफर

सोनीपत के जटवाड़ा क्षेत्र में रहने वाली महिला ने PGI खानपुर में प्रीमैच्योर डिलीवरी से जुड़वा बेटों को जन्म दिया। नवजातों की हालत नाजुक होने से डॉक्टरों ने NICU में रखने की सलाह दी। लेकिन PGI खानपुर और रोहतक दोनों जगह NICU में जगह न मिलने पर परिवार सिविल अस्पताल सोनीपत पहुंचा। वहां भी कोई समाधान न होने पर एंबुलेंस ड्राइवर की सलाह पर वे अग्रसेन चौक स्थित नेस्ट अस्पताल ले गए।

परिवार ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि एक बच्चे का इलाज आयुष्मान कार्ड से होगा, लेकिन दूसरे का खर्च परिवार को खुद उठाना पड़ेगा। गरीब परिवार के पास पैसे न होने पर बच्चों को कहीं और ले जाने की बात कही गई। लेकिन वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. हिमांशु ने हस्तक्षेप कर दोनों बच्चों को एडमिट किया और कहा कि एक NGO से मदद मिल जाएगी।

18 सितंबर को एक NGO/मीडिया टीम ने अस्पताल में बच्चों और मां का वीडियो बनाया, जिसमें फंड जुटाने की मंशा बताई गई। टीम ने बताया कि बच्चों को कम से कम 2 महीने NICU में रहना होगा और लगभग 10 लाख रुपये का खर्च आएगा। परिवार के लिए यह राशि असंभव है। परिवार ने आरोप लगाया कि अस्पताल ने पहले ही 18,000 रुपये (10,000 नगद + 8,000 चेकअप के नाम पर) जमा करवा लिए और आश्वासन दिया कि NGO से पैसे आने पर लौटा दिए जाएंगे।

AAP नेता देवेंद्र गौतम का हस्तक्षेप: फ्री इलाज और जांच की मांग

इस अमानवीय परिस्थिति की जानकारी मिलने पर AAP के हरियाणा सोनीपत लोकसभा क्षेत्र अध्यक्ष और सोनीपत विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी देवेंद्र गौतम 19 सितंबर को पीड़ित परिवार से मिलने उनके घर पहुंचे। उन्होंने बच्चों की मां और दादी से मुलाकात की और उनके दर्द को सुना। गौतम ने कहा, “जब एक बच्चे का इलाज आयुष्मान कार्ड पर हो रहा है, तो दूसरे को इसका लाभ क्यों नहीं मिलेगा? कहां लिखा है कि जुड़वा बच्चों में सिर्फ एक को ही योजना का फायदा? गरीबों के लिए बनी सरकारी योजनाएं आखिर किस काम की हैं, जब जरूरत पड़ने पर लाखों का बोझ डाल दिया जाता है?”

गौतम ने सरकार और प्रशासन से मांग की:

  • दोनों बच्चों का इलाज पूरी तरह मुफ्त करवाया जाए।
  • परिवार से लिए गए रुपये तुरंत वापस किए जाएं।
  • मामले की निष्पक्ष जांच हो, जिसमें NGO का रोल भी जांचा जाए।
  • निजी अस्पतालों द्वारा गरीबों से जबरन पैसे लेने पर सख्त कार्रवाई की जाए।
  • आयुष्मान भारत योजना को प्रभावी ढंग से लागू कर जरूरतमंदों को तुरंत लाभ दिलाया जाए।

उन्होंने चेतावनी दी कि यदि बच्चों के इलाज में कोई कोताही बरती गई या सरकार/अस्पताल जिम्मेदारी नहीं उठाता, तो इस मुद्दे को बड़े आंदोलन का रूप दिया जाएगा। गौतम ने कहा कि यह सिर्फ एक परिवार की समस्या नहीं, बल्कि गरीबों की स्वास्थ्य पहुंच की बड़ी चुनौती है।

आयुष्मान भारत योजना: क्या हैं नियम, और क्यों विवाद?

आयुष्मान भारत योजना (PMJAY) के तहत गरीब परिवारों को 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मिलता है। योजना के दिशानिर्देशों में जुड़वा बच्चों के इलाज पर स्पष्ट प्रावधान है कि दोनों को लाभ मिल सकता है, यदि परिवार पात्र हो। लेकिन आरोप है कि अस्पतालों में लापरवाही से सिर्फ एक को लाभ दिया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि योजना में आधार लिंकिंग और परिवार कार्ड के आधार पर लाभ दिया जाता है, लेकिन जुड़वा नवजातों के मामले में रजिस्ट्रेशन में देरी से समस्या हो सकती है।

हरियाणा स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले पर अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन AAP की मांग से जांच की संभावना बढ़ गई है।

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