सोनीपत, राजेश आहूजा (वेब वार्ता)। हिंदी दिवस के अवसर पर ज्ञान गंगा मांटेसरी एंड मॉडल स्कूल में हर्षोल्लास का वातावरण छाया रहा। 14 सितंबर को मनाए जाने वाले इस पावन पर्व पर स्कूल में विभिन्न प्रतियोगिताओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लेकर हिंदी भाषा के महत्व को न केवल समझा, बल्कि अपनी रचनात्मकता से इसे जीवंत भी बनाया। यह कार्यक्रम न केवल भाषाई एकता का प्रतीक बना, बल्कि छात्रों में हिंदी के प्रति रुचि जगाने का माध्यम भी साबित हुआ।
हिंदी दिवस भारत की सांस्कृतिक धरोहर को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। इस दिन संविधान सभा द्वारा हिंदी को राजभाषा के रूप में अपनाए जाने की याद ताजा की जाती है। स्कूलों में ऐसे आयोजन छात्रों को अपनी मातृभाषा से जोड़ते हैं, जो आज के डिजिटल युग में अंग्रेजी के प्रभुत्व के बीच और भी प्रासंगिक हो गया है।
कार्यक्रम का विवरण: प्रतियोगिताओं से सजी शाम
स्कूल प्रांगण में आयोजित हिंदी दिवस समारोह में सुलेख लेखन, निबंध लेखन, भाषण, स्लोगन लेखन और कविता पाठ जैसी विविध प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इनमें कक्षा 1 से 10 तक के सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। प्रतिभागियों ने अपनी कलम और वाणी से हिंदी की महत्ता को उकेरा, जिससे माहौल उत्साहपूर्ण हो गया।
प्रतियोगिताओं के अलावा, सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। छात्रा जिया, विवेक और अंश ने हिंदी भाषा के महत्व पर प्रभावी भाषण दिए, जिसमें उन्होंने बताया कि हिंदी न केवल संवाद का माध्यम है, बल्कि राष्ट्रीय एकता का प्रतीक भी है। वहीं, जानवी, रिद्धिमा, दिव्यांका और ध्वनि ने कविताओं के माध्यम से राष्ट्र की पहचान भाषा से जोड़ने पर जोर दिया।
प्रिया ने एक मधुर गीत प्रस्तुत कर सबको भावुक कर दिया, जबकि गरिमा का नृत्य प्रदर्शन दर्शकों के ठहराव का कारण बना। तनव, तनिष्का, मन्नत और रिद्धिमा ने एक छोटा नाटक मंचित किया, जिसमें हिंदी के संरक्षण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया। इसी क्रम में गौरवी, गीतांशी, भावना, विधि, देहर और हंसिका ने लघु नाटिका के जरिए हिंदी की वैज्ञानिकता और सरलता को रेखांकित किया।
छात्राओं का अनोखा प्रदर्शन: भारत की विविधता का चित्रण
कार्यक्रम का एक आकर्षक हिस्सा तब बना जब छात्राओं ने भारत माता का रूप धारण किया। उन्होंने विभिन्न राज्यों की पारंपरिक परिधानों में सज-धजकर मंच पर उतरे और भारत की सांस्कृतिक विविधता को जीवंत कर दिया। यह प्रदर्शन दर्शाता है कि हिंदी कैसे देश की एकता को पिरोती है, भले ही क्षेत्रीय भाषाएं अलग-अलग हों।
यशिका और चैतन्या ने कुशलतापूर्वक मंच संचालन किया, जिससे कार्यक्रम सुचारू रूप से चला। हिंदी अध्यापिका सीमा ने अपनी भावपूर्ण कविता “हिंदी का दर्द” सुनाकर समापन किया, जो हिंदी के वर्तमान संकट पर एक करारा व्यंग्य था।
प्राचार्या का संदेश: हिंदी को अपनाएं, संरक्षित करें
प्राचार्या मीनाक्षी खुराना ने समारोह की शुरुआत में छात्रों को हिंदी दिवस की बधाई दी। उन्होंने कहा, “भारत की सांस्कृतिक और भाषाई विविधता में हिंदी सदियों से एकता का सूत्र बंधन रही है। यह भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है और स्वतंत्रता संग्राम से ही राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक बनी हुई है। हिंदी की ताकत इसकी वैज्ञानिकता, मौलिकता और सरलता में निहित है।”
प्राचार्या ने आगे जोर देकर कहा कि 14 सितंबर का दिन विशेष है, क्योंकि इसी दिन संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा घोषित किया था। महात्मा गांधी द्वारा हिंदी को ‘जनमानस की भाषा’ कहे जाने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इंटरनेट पर हिंदी का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है, जो सकारात्मक संकेत है। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे हिंदी का अधिक उपयोग करें और अंग्रेजी के साथ इसे आत्मीयता से अपनाएं। “हिंदी का संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है,” उन्होंने संकल्प दिलाते हुए कहा।
उपस्थित अतिथि और स्टाफ
इस समारोह में स्कूल की समस्त अध्यापिका टीम ने सक्रिय भागीदारी निभाई। कविता, पूनम, रोजी, मेघा, काजल, शालू, भावना, दिव्या, पूजा, नीरू, सीमा, रितिका, ज्योति, कविता नैन, कोमिला, रजनी, पारस, निशी, पिंकी, अंकिता, मोनिका दूहन, पीटीआई पारस शर्मा, अध्यापक सतीश और वेद प्रकाश गुप्ता सहित सभी स्टाफ सदस्य मौजूद रहे। उनका सहयोग कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण रहा।
निष्कर्ष: हिंदी दिवस का संदेश
ज्ञान गंगा मांटेसरी एंड मॉडल स्कूल का यह हिंदी दिवस समारोह छात्रों में भाषा के प्रति जागरूकता बढ़ाने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। ऐसे आयोजन न केवल परंपराओं को जीवित रखते हैं, बल्कि युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ते भी हैं। उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में ऐसे और अधिक कार्यक्रम आयोजित होंगे, जो हिंदी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।