सोनीपत, राजेश आहूजा (वेब वार्ता)। सोनीपत जिले में साइबर अपराधियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए थाना साइबर पुलिस ने नकली पुलिस अधिकारी बनकर डिजिटल अरेस्ट के जरिए ठगी करने वाले गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान नीरज पुत्र ग्यासीराम, कृष्णपाल पुत्र उनमान, और भागवत पुत्र मुलायम, सभी निवासी जिला शिवपुरी, मध्य प्रदेश, के रूप में हुई है। इन अपराधियों ने सोनीपत के एक व्यक्ति से फर्जी FIR और गिरफ्तारी की धमकी देकर 3,87,410 रुपये ठग लिए थे।
घटना का विवरण: फर्जी FIR और डिजिटल अरेस्ट का डर
जून 2025 में, सोनीपत के गांव नया बांस निवासी विकास ने थाना साइबर सोनीपत में शिकायत दर्ज की थी। विकास ने बताया कि 5 जून 2025 को उनके मोबाइल पर सत्य यादव नामक व्यक्ति का फोन आया, जिसने खुद को दिल्ली के करोल बाग चौकी नंबर 64 से बोलने वाला बताया। उसने दावा किया कि विकास के खिलाफ एक FIR दर्ज हुई है, जिसमें आरोप था कि दिल्ली के जी.बी. रोड पर एक लड़की ड्रग्स बेचते हुए पकड़ी गई है और विकास भी ड्रग्स बेचने में शामिल है।
विकास ने जवाब में कहा कि वह ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं हैं। इसके बाद, उसी व्यक्ति की वीडियो कॉल आई, जिसमें उसने विकास को डराया कि उनकी FIR हो चुकी है और पुलिस उनके घर गिरफ्तारी के लिए आएगी। उसने कहा कि अगर विकास केस बंद करवाना चाहते हैं, तो उन्हें “फाइन” देना होगा। डर के मारे विकास ने पहले 7,210 रुपये और फिर 10,600 रुपये भेज दिए। अगले तीन दिनों तक अपराधियों ने कॉल करके और पैसे की मांग की, जिसके चलते विकास ने कुल 3,87,410 रुपये ट्रांसफर कर दिए।
13 जून को जब एक और कॉल आई और विकास को दिल्ली के करोल बाग थाने बुलाया गया, तब उन्हें ठगी का अहसास हुआ। उन्होंने तुरंत थाना साइबर सोनीपत में शिकायत दर्ज की, जिसके आधार पर मामला दर्ज किया गया।
पुलिस की कार्रवाई: तीनों आरोपी शिवपुरी से गिरफ्तार
पुलिस आयुक्त सोनीपत ममता सिंह के नेतृत्व और पुलिस उपायुक्त (पश्चिम) एवं साइबर कुशल पाल सिंह के मार्गदर्शन में थाना साइबर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की। साइबर थाना प्रबंधक निरीक्षक बसंत कुमार की अगुवाई में एक विशेष टीम, जिसमें एएसआई जोगिंदर, मुख्य सिपाही गुलशन, जितेंद्र, और सिपाही नवीन शामिल थे, ने मध्य प्रदेश के शिवपुरी जाकर तीनों आरोपियों—नीरज, कृष्णपाल, और भागवत—को गिरफ्तार किया।
पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 24,000 रुपये नकद, तीन मोबाइल फोन, और 2,20,000 रुपये बैंक खातों में जब्त किए। आरोपियों को न्यायालय के आदेश पर पुलिस रिमांड पर लिया गया, जहां गहन पूछताछ के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया। जांच में पता चला कि ये अपराधी इंस्टाग्राम के जरिए अपने शिकार तलाशते थे और नकली पुलिस अधिकारी बनकर डिजिटल अरेस्ट की धमकी देकर ठगी करते थे।
डिजिटल अरेस्ट: साइबर ठगी का नया हथकंडा
डिजिटल अरेस्ट साइबर अपराध का एक नया और खतरनाक तरीका है, जिसमें ठग खुद को पुलिस, सीबीआई, या अन्य सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर लोगों को वीडियो कॉल के जरिए डराते हैं। वे फर्जी FIR, गिरफ्तारी वारंट, या अन्य दस्तावेज दिखाकर पीड़ितों को मानसिक दबाव में डालते हैं और पैसे ऐंठते हैं। इस मामले में भी आरोपियों ने विकास को फर्जी दस्तावेज भेजकर डराया और लाखों रुपये ठग लिए।
पुलिस उपायुक्त कुशल पाल सिंह ने बताया कि डिजिटल अरेस्ट का कोई कानूनी आधार नहीं है। असली पुलिस कभी भी वीडियो कॉल पर गिरफ्तारी, बयान दर्ज करने, या पैसे की मांग नहीं करती। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अनजान कॉल, लिंक, या मैसेज पर भरोसा न करें और संदिग्ध गतिविधियों की तुरंत शिकायत करें।
साइबर ठगी से बचाव के उपाय
पुलिस उपायुक्त ने साइबर अपराध से बचने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए:
अनजान नंबरों से आने वाले कॉल या मैसेज पर व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें।
केवल विश्वसनीय वेबसाइट्स और ऐप्स का उपयोग करें।
लालच में न आएं और संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से बचें।
साइबर ठगी का शिकार होने पर तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करें या साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें।
साइबर अपराध पर अंकुश: पुलिस की प्रतिबद्धता
सोनीपत पुलिस साइबर अपराधों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है। यह गिरफ्तारी साइबर ठगी के खिलाफ एक बड़ी सफलता है। पुलिस ने लोगों से जागरूक रहने और संदिग्ध गतिविधियों की तुरंत जानकारी देने की अपील की है। इस मामले में जांच जारी है, और अन्य संलिप्त अपराधियों की तलाश की जा रही है।