नेमरा (झारखंड), (वेब वार्ता)। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड आंदोलन के अग्रणी आदिवासी नेता शिबू सोरेन का मंगलवार को उनके पैतृक गांव नेमरा में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार के समय पूरा गांव शोकमग्न था, जहां हजारों की भीड़ ने नम आंखों से ‘दिशोम गुरु’ को अंतिम विदाई दी। पुत्र और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिता को मुखाग्नि दी। अंतिम यात्रा में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राजद नेता तेजस्वी यादव, और अन्य कई वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया।
सोमवार को दिल्ली के एक निजी अस्पताल में 81 वर्ष की आयु में किडनी की बीमारी के चलते शिबू सोरेन का निधन हुआ था। वह झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के सह-संस्थापक थे और लगभग चार दशक तक पार्टी का नेतृत्व करते रहे।
🙏 अंतिम विदाई का दृश्य
शिबू सोरेन की अंतिम यात्रा बेहद भावुक और श्रद्धा से भरी रही। झारखंड सशस्त्र पुलिस (JAP) ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया। अंतिम संस्कार के दौरान ‘गुरुजी अमर रहें’ के नारे गूंजते रहे। उनके शव को आदिवासी रीति-रिवाजों के अनुसार तिरंगे और झामुमो के झंडे में लिपटे ताबूत में फूलों से सजी चारपाई पर रखा गया।
पत्नी रूपी सोरेन व्हीलचेयर पर बैठी अपने आंसू नहीं रोक पा रहीं थीं, वहीं हेमंत, बसंत और बहू कल्पना सोरेन शांत भाव से शोक में डूबे दिखे।
🚗 नेता पहुंचे श्रद्धांजलि देने
राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे मौसम खराब होने के कारण हेलीकॉप्टर से न आकर सड़क मार्ग से नेमरा पहुंचे। तेजस्वी यादव, अर्जुन मुंडा और सुदेश महतो सहित कई नेता भीड़ और ट्रैफिक जाम के बीच बाइक से गांव पहुंचे। संजय सिंह (आप), शताब्दी रॉय (टीएमसी), और पप्पू यादव (पूर्व सांसद) भी श्रद्धांजलि देने पहुंचे।
🕯️ अंतिम दर्शन में उमड़ी भीड़
नेमरा गांव में हजारों की भीड़ जुटी थी। जब पार्थिव शरीर को रांची से गांव लाया गया, तो रास्ते भर लोगों की भीड़ ‘गुरुजी अमर रहें’ के नारों के साथ विदाई देती रही। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पारंपरिक आदिवासी परिधान में पिता के शव के साथ मौजूद थे।
🏛️ विधानसभा में भी दी श्रद्धांजलि
शिबू सोरेन के पार्थिव शरीर को झारखंड विधानसभा भी लाया गया, जहां राज्यपाल संतोष गंगवार, विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, और कई मंत्री एवं विधायक मौजूद रहे। कई सरकारी स्कूल बंद रहे और शांति प्रार्थनाएं की गईं।
🌾 शिबू सोरेन: आदिवासी आंदोलन का चेहरा
11 जनवरी 1944 को जन्मे शिबू सोरेन ने अपना जीवन आदिवासी अधिकारों के संघर्ष को समर्पित कर दिया। उनके पिता की 1957 में साहूकारों द्वारा हत्या ने उन्हें अन्याय के खिलाफ खड़ा किया। उन्होंने 1973 में ए.के. रॉय और बिनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर झामुमो की स्थापना की।
उनका आंदोलन सामंती शोषण, आदिवासी अधिकार और पृथक राज्य निर्माण जैसे मुद्दों के इर्द-गिर्द केंद्रित रहा। 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य का गठन उनकी उपलब्धियों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
🏛️ केंद्रीय मंत्री से मुख्यमंत्री तक
शिबू सोरेन कई बार दुमका लोकसभा सीट से निर्वाचित हुए और उन्होंने केंद्रीय कोयला मंत्री के रूप में भी कार्य किया। वे झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री रहे।
अंतिम जोहार, दिशोम गुरु शिबू सोरेन जी।
आप आदिवासी अस्मिता और जल-जंगल-जमीन के अडिग रक्षक, न्याय के मार्गदर्शक थे।
अलविदा नहीं…आपकी हूल जैसी चेतना, और धरती आबा सा संकल्प हमारे गीतों, हमारी मिट्टी, हमारी सोच में हमेशा जीवित रहेगी। pic.twitter.com/WvzAY0muBK
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 5, 2025