नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के छैनागाड़ गांव में बादल फटने की घटना के बाद राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) ने त्वरित कार्रवाई करते हुए राहत और बचाव कार्य शुरू किया। भारी बारिश और प्राकृतिक आपदा से उत्पन्न हुए हालात से निपटने के लिए NDRF की टीमें स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर दिन-रात काम कर रही हैं। इस घटना में NDRF ने मलबा हटाने और स्थानीय लोगों के लिए सुरक्षित आवागमन सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
छैनागाड़ में बादल फटने की घटना
उत्तराखंड में लगातार हो रही भारी बारिश ने कई क्षेत्रों में तबाही मचाई है। रुद्रप्रयाग के छैनागाड़ गांव में 02 सितंबर 2025 को बादल फटने की घटना ने स्थिति को और गंभीर कर दिया। इस आपदा के तुरंत बाद NDRF की टीम ने घटनास्थल पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। टीम ने मलबा हटाने का कार्य शुरू किया और स्थानीय लोगों के लिए सुरक्षित रास्ते सुनिश्चित किए। इस ऑपरेशन में NDRF ने राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), जिला आपदा प्रतिक्रिया बल (DDRF), और सिविल प्रशासन के साथ समन्वय बनाकर काम किया।
“NDRF ने छैनागाड़ में मलबा हटाने और स्थानीय लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कार्रवाई की। यह ऑपरेशन SDRF, DDRF और सिविल प्रशासन के सहयोग से किया गया।” – NDRF प्रवक्ता
सौभाग्यवश, इस घटना में अभी तक किसी के हताहत होने की सूचना नहीं मिली है। NDRF की त्वरित प्रतिक्रिया और समन्वित प्रयासों ने स्थिति को नियंत्रण में लाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
चंबा में मणिमहेश यात्रा के दौरान राहत कार्य
रुद्रप्रयाग के अलावा, NDRF ने चंबा जिले में श्री मणिमहेश जी यात्रा के दौरान भी महत्वपूर्ण राहत कार्य किए। दोनाली क्षेत्र में भारी बारिश और भूस्खलन के कारण कई दुकानदार, स्थानीय लोग, और तीर्थयात्री फंस गए थे। NDRF की टीम ने कठिन परिस्थितियों में काम करते हुए 125 लोगों को सुरक्षित निकाला। इस ऑपरेशन में यात्रियों की सुरक्षा और उनके लिए आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित की गईं। यह कार्य NDRF की आपदा प्रबंधन में विशेषज्ञता और समर्पण का उदाहरण है।
तेलंगाना में NDRF की सक्रियता
NDRF की टीमें न केवल उत्तराखंड, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी आपदा प्रभावित क्षेत्रों में सक्रिय हैं। तेलंगाना के मेडक जिले के घनपुर में बाढ़ के कारण एक व्यक्ति कार की छत पर फंस गया था। NDRF ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उसे सुरक्षित बचा लिया। इसके साथ ही, NDRF ने लोगों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में वाहन चलाने से बचने की सलाह दी है, ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
उत्तराखंड में बारिश और आपदा की स्थिति
उत्तराखंड में इस मानसून सीजन में भारी बारिश, बादल फटने, और भूस्खलन की घटनाओं ने कई क्षेत्रों को प्रभावित किया है। रुद्रप्रयाग, चमोली, और उत्तरकाशी जैसे जिलों में बार-बार बादल फटने की घटनाएं सामने आई हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने उत्तराखंड के कई जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की है।
इन परिस्थितियों में NDRF, SDRF, भारतीय सेना, और ITBP जैसी एजेंसियां लगातार राहत और बचाव कार्यों में जुटी हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों को तेज करने के निर्देश दिए हैं।
NDRF की भूमिका और चुनौतियां
NDRF की टीमें कठिन परिस्थितियों में भी अपने कार्य को बखूबी अंजाम दे रही हैं। बादल फटने और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं में मलबे के नीचे फंसे लोगों को निकालना और सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है। इसके बावजूद, NDRF ने अपनी उन्नत तकनीकों, जैसे रेस्क्यू रडार, थर्मल इमेजिंग ड्रोन, और स्निफर डॉग्स का उपयोग कर कई जिंदगियां बचाई हैं।
NDRF के एक अधिकारी ने बताया, “हमारी टीमें हर स्थिति के लिए तैयार हैं। हमारा लक्ष्य है कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों में कोई भी व्यक्ति असुरक्षित न रहे।”
जनता के लिए सलाह
NDRF और स्थानीय प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे मौसम विभाग की चेतावनियों का पालन करें और बाढ़ या भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में अनावश्यक यात्रा से बचें। इसके अलावा, आपदा की स्थिति में तुरंत स्थानीय प्रशासन या NDRF की हेल्पलाइन से संपर्क करने की सलाह दी गई है।
निष्कर्ष: NDRF का सराहनीय योगदान
रुद्रप्रयाग के छैनागाड़ गांव में बादल फटने की घटना के बाद NDRF का त्वरित और समन्वित रेस्क्यू ऑपरेशन आपदा प्रबंधन में उनकी विशेषज्ञता को दर्शाता है। चंबा और तेलंगाना में किए गए राहत कार्य भी उनकी प्रतिबद्धता का प्रमाण हैं। उत्तराखंड सहित देश के अन्य हिस्सों में NDRF की टीमें न केवल जिंदगियां बचा रही हैं, बल्कि आपदा प्रभावित लोगों में उम्मीद भी जगा रही हैं। अधिक जानकारी के लिए NDRF या स्थानीय प्रशासन से संपर्क करें।