कोलकाता, (वेब वार्ता)। आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले में एक नया विवाद सामने आया है। पीड़िता के पिता ने सोमवार को आरोप लगाया कि एक निजी अस्पताल ने उनकी पत्नी की मेडिकल रिपोर्ट में हेरफेर किया है। यह घटना उस समय की है जब 9 अगस्त को ‘नबन्ना अभियान’ (राज्य सचिवालय तक मार्च) के दौरान पुलिस कार्रवाई में उनकी पत्नी घायल हो गई थीं।
पीड़िता के पिता ने बताया कि पुलिस लाठीचार्ज के दौरान उनकी पत्नी के सिर में चोट लगी, जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। रविवार को जब उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली, तब उन्हें दी गई डिस्चार्ज रिपोर्ट में चोट के कारण का विवरण बदलकर “रैली में हुई दुर्घटना” लिखा गया था।
परिवार का आरोप है कि भर्ती के समय मरीज का बयान लिया गया था, जिसमें स्पष्ट रूप से बताया गया था कि चोट पुलिस कार्रवाई में लगी है। लेकिन यह बयान डिस्चार्ज रिपोर्ट में शामिल नहीं था। पिता और उनके वकील ने अस्पताल प्रशासन के सामने आपत्ति जताई, जिसके बाद रिपोर्ट में संशोधन कर “पुलिस द्वारा चोट पहुंचाने” का उल्लेख जोड़ा गया।
नियमों के मुताबिक, किसी भी चोटिल मरीज की मेडिकल रिपोर्ट में उसके बयान को दर्ज करना डॉक्टर की जिम्मेदारी होती है। पीड़िता की मां ने भी आरोप लगाया कि पुलिस ने उनकी पिटाई की थी, जिससे उन्हें गंभीर चोट लगी।
पीड़िता के पिता ने कहा, “डिस्चार्ज के समय जो रिपोर्ट मुझे दिखाई गई, वह उस रिपोर्ट से अलग थी जिस पर मैंने भर्ती के समय हस्ताक्षर किए थे। यह एक गंभीर मामला है और इसकी शिकायत दर्ज करानी चाहिए।”
इस मामले पर अस्पताल प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं, पीड़िता का परिवार इसे कलकत्ता उच्च न्यायालय में उठाने की योजना बना रहा है।
इस बीच, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पीड़िता की हत्या और बलात्कार की दोबारा जांच की मांग करने वाली याचिका पर राज्य सरकार से हलफनामा मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी।