जींद, रजनीकांत चौधरी (वेब वार्ता)। किशोरावस्था एक ऐसा दौर है जो जीवन में सबसे अधिक चुनौतियों और परिवर्तनों से भरा होता है। इस चरण में न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक, भावनात्मक, संज्ञानात्मक और सामाजिक बदलाव तेजी से होते हैं। इन्हीं पहलुओं पर जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से आज गांव रूपगढ़-जीतगढ़ स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में “किशोरावस्था की समझ: मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक कल्याण” विषय पर एक विशेष सेमिनार आयोजित किया गया।
सेमिनार के मुख्य वक्ता मंडलीय बाल कल्याण अधिकारी रोहतक एवं राज्य नोडल अधिकारी अनिल मलिक ने विद्यार्थियों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि किशोरावस्था के दौरान हार्मोनल और भावनात्मक बदलाव व्यक्ति की सोचने, महसूस करने और निर्णय लेने की प्रक्रिया को गहराई से प्रभावित करते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति न केवल अधिक ऊर्जावान और प्रेरित होते हैं, बल्कि जीवन में संतुष्टि और खुशहाली भी प्राप्त करते हैं।
अनिल मलिक ने विद्यार्थियों को समझाया कि भावनात्मक कल्याण के लिए अपनी भावनाओं को पहचानना, स्वीकार करना और उनका सही प्रबंधन करना जरूरी है, चाहे वे सकारात्मक हों या नकारात्मक। साथ ही उन्होंने स्वस्थ संबंध बनाने और जीवन की चुनौतियों का डटकर सामना करने की भी सलाह दी।
परामर्शदाता नीरज कुमार ने कहा कि किशोरों के लिए अपने माता-पिता और शिक्षकों से खुलकर संवाद करना बहुत जरूरी है। उन्होंने सुझाव दिया कि बदलावों को समझने और सही निर्णय लेने के लिए समय-समय पर मार्गदर्शन लेना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए स्कूल प्राचार्य सुरेंद्र कुमार मलिक ने कहा कि आत्मप्रेरणा और जागरूकता जीवन में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक है। उन्होंने बताया कि “मनोवैज्ञानिक परामर्श” न केवल मानसिक स्वास्थ्य के लिए बल्कि व्यक्तित्व विकास के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इस अवसर पर राज्य बाल कल्याण परिषद के आजीवन सदस्य नीरज कुमार, प्रवक्ता पवन बूरा, इन्दु शास्त्री, पिंकी, शालिनी जागलान, सीमा, सविता समेत विद्यालय के शिक्षक व विद्यार्थी उपस्थित रहे।




