शिमला, (वेब वार्ता)। हिमाचल प्रदेश में मॉनसून ने भारी तबाही मचाई है। बादल फटने, भूस्खलन, और भारी बारिश के कारण कई जिलों में हालात बिगड़ गए हैं, और जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, शनिवार सुबह तक 3 राष्ट्रीय राजमार्गों सहित 557 सड़कें बंद रहीं। बिजली और पेयजल आपूर्ति भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। मौसम विभाग ने आज और कल के लिए भारी से बहुत भारी वर्षा का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।
मंडी में बादल फटने से भारी नुकसान
मंडी जिले के गोहर थाना अंतर्गत नांडी पंचायत में शुक्रवार देर रात बादल फटने की घटना हुई। कटवांढ़ी नाले में आए सैलाब ने 4 दुकानें, एक कार, और एक कट स्टोन इंडस्ट्री को पूरी तरह नष्ट कर दिया। चार दुकानों में पानी और मलबा भर गया, जिससे भारी नुकसान हुआ। राहत की बात यह रही कि इस हादसे में कोई जानी नुकसान नहीं हुआ। चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाईवे भी खोतीनाला के पास भूस्खलन के कारण बंद हो गया, जहां पहाड़ से गिरे मलबे ने यातायात ठप कर दिया। पुलिस की सतर्कता से बड़ा हादसा टल गया, लेकिन हाईवे की बहाली में समय लग सकता है।
शिमला में भूस्खलन, मकान ढहे
शिमला जिले के रामपुर में भूस्खलन की दो घटनाओं ने तबाही मचाई। पटवार वृत देवठी के शील प्रोग गांव में तुलसी दास, लेखराज, और हरीश कुमार के तीन मकान क्षतिग्रस्त हो गए। वहीं, थाला गांव में गोपी चंद और प्यारे लाल के मकान पूरी तरह ढह गए। इस हादसे में प्यारे लाल और उनके बेटे हेमंत घायल हो गए, जिन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया।
चंबा में रेस्क्यू अभियान तेज
चंबा जिले में भारी बारिश के कारण 300 सड़कें, 400 ट्रांसफार्मर, और 150 पेयजल योजनाएं प्रभावित हैं। मणिमहेश यात्रा के दौरान फंसे 4,000 श्रद्धालुओं को सुरक्षित निकाला गया, लेकिन चंबा-पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग के बंद होने से कई यात्री बीच रास्ते में फंसे हैं। मौसम साफ होने पर रेस्क्यू कार्य में तेजी लाई जाएगी। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू आज चंबा पहुंचकर भरमौर और मणिमहेश का हवाई सर्वे करेंगे और राहत कार्यों की समीक्षा करेंगे।
कांगड़ा और सिरमौर में बाढ़ जैसे हालात
कांगड़ा जिले में पौंग बांध का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है, जिससे फतेहपुर और इंदौरा उपमंडलों में बाढ़ जैसे हालात हैं। प्रशासन रेस्क्यू अभियान चला रहा है। कांगड़ा और सिरमौर में आज सभी शिक्षण संस्थान बंद रखे गए हैं।
बिजली और पेयजल आपूर्ति ठप
राज्य आपदा प्रबंधन केंद्र के अनुसार, 936 बिजली ट्रांसफार्मर और 223 पेयजल योजनाएं ठप हैं। मंडी में 213 सड़कें और 651 ट्रांसफार्मर, कुल्लू में 160 सड़कें और 189 ट्रांसफार्मर, सिरमौर में 38 सड़कें और 40 ट्रांसफार्मर, और शिमला में 28 सड़कें और 52 पेयजल योजनाएं प्रभावित हैं।
भारी नुकसान: 317 मौतें, 2,774 करोड़ का आर्थिक नुकसान
इस मॉनसून सीजन में हिमाचल में 317 लोगों की मौत हो चुकी है, 40 लोग लापता हैं, और 374 लोग घायल हुए हैं। मंडी में 51, कांगड़ा में 49, चंबा में 36, शिमला और किन्नौर में 28-28, और कुल्लू में 26 मौतें दर्ज हुई हैं। 3,889 मकान क्षतिग्रस्त हुए, जिनमें 795 पूरी तरह ध्वस्त हो गए। 466 दुकानें, 3,486 पशुशालाएं, 1,865 पालतू पशु, और 25,755 पोल्ट्री पक्षी नष्ट हुए। अब तक 2,774 करोड़ रुपये से अधिक का आर्थिक नुकसान हुआ है।
बार-बार की आपदाएं
इस मॉनसून में 90 फ्लैश फ्लड, 87 भूस्खलन, और 42 बादल फटने की घटनाएं दर्ज हुई हैं। लाहौल-स्पीति में 52 फ्लैश फ्लड, कुल्लू में 15, शिमला में 14, और मंडी में 12 भूस्खलन हुए। मंडी में 18 बार बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गई हैं।
राहत और भविष्य की चुनौतियां
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने राहत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। प्रशासन और एसडीआरएफ प्रभावित क्षेत्रों में सक्रिय हैं, लेकिन बंद सड़कों और बाधित बिजली-पानी की आपूर्ति से चुनौतियां बढ़ रही हैं। मौसम विभाग ने 31 अगस्त तक भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है।