चंडीगढ़, (वेब वार्ता)। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने गलती से पेंशन में अतिरिक्त भुगतान होने के चलते भूल सुधार के लिए 15 महीने विधवा की फैमिली पेंशन रोकने को मानमाना, संवेदनशील व अमानवीय रवैया करार देते हुए हरियाणा सरकार को जमकर फटकार लगाई है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने याची को मुआवजे का हकदार मानते हुए सरकार पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
याचिका दाखिल करते हुए भिवानी निवासी सर्वेश देवी ने बताया था कि उसका पति लीडिंग फायरमैन पद पर कार्य करता था। एक दुर्घटना के चलते सेवा में रहते हुए उनकी 2003 में मौत हो गई थी। नियम के अनुसार याची को फैमिली पेंशन का भुगतान शुरू कर दिया गया। नियम के अनुसार पहले सात साल वेतन का 50 प्रतिशत फैमिली पेंशन के रूप में दिया जाता है और बाद में इसे 30 प्रतिशत कर दिया जाता है।
2009 में नियमों में संशोधन किया गया और पहले 10 वर्ष 50 प्रतिशत राशि पेंशन तय की गई थी। याची को 2013 तक 50 प्रतिशत वेतन का भुगतान करना था लेकिन गलती से जुलाई 2021 तक 50 प्रतिशत भुगतान हुआ। इसके बाद अगस्त 2021 से अगले 15 महीने तक कोई भुगतान नहीं किया गया और अक्तूबर 2022 में दोबारा पेंशन तय की गई। इस दौरान जो अतिरिक्त भुगतान किया गया था उसकी रिकवरी के लिए प्रतिमाह पेंशन से 9 हजार रुपये की कटौती का निर्णय लिया गया।
हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में याची की कोई गलती नहीं थी फिर भी उसे 15 महीने के लिए पेंशन से वंचित कर दिया गया। अब दोबारा पेंशन तय की गई तो उसमें से 9 हजार रुपये प्रतिमाह की कटौती का निर्णय ले लिया गया जो सही नहीं है। हाईकोर्ट ने अब सरकार को अगले 39 माह तक प्रतिमाह 4500 रुपये की पेंशन से कटौती का आदेश दिया है। साथ ही याची को हुई परेशानी के चलते उसे एक लाख रुपये का मुआवजा जारी करने का आदेश दिया है।