पटना, (वेब वार्ता)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के युवाओं के लिए एक अहम घोषणा की है। अब बिहार में होने वाली शिक्षक बहालियों में राज्य के निवासियों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके लिए डोमिसाइल नीति (निवास प्रमाण आधारित आरक्षण व्यवस्था) को औपचारिक रूप से लागू कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस निर्णय की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) के जरिए साझा की। उन्होंने लिखा,
“नवंबर 2005 से ही हम बिहार की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। अब शिक्षकों की बहाली में बिहार के डोमिसाइल उम्मीदवारों को वरीयता दी जाएगी।”
टीआरई-4 से लागू होगी नई व्यवस्था
नीतीश कुमार ने यह भी बताया कि यह डोमिसाइल नीति वर्ष 2025 में आयोजित होने वाली शिक्षक भर्ती परीक्षा (TRE-4) से लागू होगी। इसके बाद 2026 में TRE-5 परीक्षा कराई जाएगी और उसके पहले STET (राज्य स्तरीय शिक्षक पात्रता परीक्षा) आयोजित होगी।
राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग को मौजूदा नियमों में संशोधन कर इस नई नीति को लागू करने का निर्देश दे दिया है।
रसोइयों और शिक्षा कर्मियों के मानदेय में दोगुनी बढ़ोतरी
इस निर्णय से पहले, 1 अगस्त को मुख्यमंत्री ने शिक्षा व्यवस्था में लगे सहायक कर्मियों के लिए भी बड़ी घोषणा की थी।
उन्होंने कहा,
“रसोइया, रात्रि प्रहरी और शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशक जैसे कर्मियों की अहम भूमिका को देखते हुए उनके मानदेय में सम्मानजनक बढ़ोतरी की गई है।”
रसोइयों का मानदेय ₹1,650 से बढ़ाकर ₹3,300 प्रति माह
रात्रि प्रहरियों का मानदेय ₹5,000 से बढ़ाकर ₹10,000 प्रति माह
शारीरिक शिक्षा व स्वास्थ्य अनुदेशकों का मानदेय ₹8,000 से बढ़ाकर ₹16,000 प्रति माह
मुख्यमंत्री ने कहा कि ये सभी सुधार शिक्षा व्यवस्था की मजबूती की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
यह फैसला क्यों अहम है?
बिहार में लंबे समय से युवाओं द्वारा स्थानीय उम्मीदवारों को वरीयता देने की मांग की जा रही थी। खासकर शिक्षकों की नियुक्ति में बाहरी राज्यों के उम्मीदवारों की बढ़ती संख्या पर सवाल उठते रहे हैं। ऐसे में डोमिसाइल नीति का लागू होना राज्य के युवाओं के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है।



