चंपावत, (वेब वार्ता)। मुख्यमंत्री की विधानसभा के तल्लादेश क्षेत्र का बकोड़ा गांव आज भी सड़क सुविधा से वंचित है। यह दर्दनाक हकीकत रविवार को एक बार फिर सामने आई, जब गांव की 65 वर्षीय कलावती देवी को गंभीर हालत में 15 किलोमीटर कंधों पर ढोकर सड़क तक लाना पड़ा।
सुबह अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई और सांस लेने में दिक्कत होने लगी। गांव में न सड़क है, न स्वास्थ्य केंद्र और न ही एंबुलेंस की सुविधा। मजबूर होकर ग्रामीणों ने डंडे और कपड़े से एक डोली बनाई और बारिश व फिसलन भरे रास्तों से होते हुए चार घंटे में 15 किलोमीटर का सफर तय किया।
मनीष बोहरा, प्रकाश बोहरा, राहुल बोहरा, मनोज, विनोद, नरेंद्र, दयाल और विकास बारी-बारी से कंधा देते हुए कलावती को सड़क तक लाए। वहां से वाहन से 35 किलोमीटर दूर चंपावत के एक निजी अस्पताल में पहुंचाया गया, जहां समय पर इलाज मिलने से उनकी जान बच पाई।
ग्रामीणों का कहना है कि मंच-बकोड़ा सड़क परियोजना 2012 में स्वीकृत हुई थी, लेकिन अब तक निर्माण शुरू नहीं हो सका। गांव में स्कूल भी केवल आठवीं कक्षा तक है, जिससे बच्चों को रोज़ 15 किलोमीटर पैदल पढ़ाई के लिए जाना पड़ता है।
ग्राम प्रधान रवींद्र रावत ने कहा, “कई बार शासन-प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन सिर्फ आश्वासन मिला। यहां इंसान और खच्चरों में कोई फर्क नहीं।”
लोक निर्माण विभाग चंपावत खंड के अधिशासी अभियंता मोहन चंद्र पलडिया ने बताया कि परियोजना में वन अनापत्ति की बाधा थी। एक माह पहले इसे प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) में स्थानांतरित किया गया है। पीएमजीएसवाई के अधिशासी अभियंता त्रिभुवन नारायण बिष्ट ने कहा कि “पत्रावली अभी प्राप्त नहीं हुई है, मिलने के बाद प्रस्ताव भेजा जाएगा।”
फिलहाल, बकोड़ा के लोगों का संघर्ष जारी है और वे उम्मीद लगाए बैठे हैं कि एक दिन सड़क उनके दरवाजे तक पहुंचेगी।