Sunday, December 15, 2024
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जनता लगातार मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने का मन बना चुकी है : मोहन यादव

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के साथ कृष्णमोहन झा का विशेष साक्षात्कार…

गत वर्ष के अंत में संपन्न मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनावों में भाजपा की प्रचंड विजय के पश्चात जब पार्टी हाईकमान ने डा मोहन यादव को राज्य ‌के मुख्यमंत्री पद की बागडोर सौंपने का फैसला किया तब वह फैसला भले ही आश्चर्य का विषय बन गया हो परन्तु पांच माहों से भी कम समय में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता की खुशहाली के लिए उठाए गए अनेकानेक प्रभावशाली कदमों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इतना प्रभावित किया कि प्रधानमंत्री अपने भाषणों में भी एकाधिक बार उनकी कार्य क्षमता, कर्तव्य परायणता और नेतृत्व कौशल का उल्लेख कर चुके हैं। इसमें दो राय नहीं हो सकती कि मुख्यमंत्री मोहन यादव भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की हर कसौटी पर खरे उतरे हैं। प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों पर भाजपा की विजय सुनिश्चित करने के संकल्प के साथ उन्होंने संपूर्ण प्रदेश में पार्टी के चुनाव अभियान का कुशल नेतृत्व किया वह भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं के मनोबल को ऊंचा बनाए रखने में महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ। गत दिवस जब उन्होंने भगवान परशुराम जयंती के शुभ अवसर पर उनकी पावन जन्मस्थली जानापाव के लिए प्रस्थान किया तब कार में ही उनके साथ ज्वलंत मुद्दों पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने इस संक्षिप्त किन्तु सारगर्भित साक्षात्कार में हर प्रश्न का अपनी चिर-परिचित शैली और नपे तुले शब्दों में जबाब दिया। यहां प्रस्तुत हैं उक्त साक्षात्कार के महत्वपूर्ण अंश:-

प्रश्न: देश के विकसित राज्यों की कतार में मध्यप्रदेश को अग्रणी बनाए रखने के लिए आपके मन में जो परिकल्पना है, उसके बारे में भी कुछ जानकारी साझा करेंगे?

मोहन यादव: मध्यप्रदेश की जनता को सभी तरह की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना हमारी सरकार की पहली प्राथमिकता है। समाज के कमजोर और वंचित वर्ग के लोगों , विशेष रूप से आदिवासियों और गरीब मजदूरों , छोटे किसानों के आर्थिक उन्नयन के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध है। युवाओं को रोजगार और महिलाओं को समानता का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए मध्यप्रदेश में पहले से ही उल्लेखनीय योजनाएं संचालित की जा रही हैं। हमारी सरकार उनका दायरा बढ़ाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है और उसके अच्छे परिणाम भी सामने आने लगे हैं।

प्रश्न: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की बागडोर आपके पास आने के बाद राज्य सरकार ने अनेक साहसिक फैसले लिए हैं जनहित में किए गए फैसलों का त्वरित क्रियान्वयन सुनिश्चित करने में आप सफल रहे हैं। आप अपनी उपलब्धियों से कितने संतुष्ट हैं।

मोहन यादव: मुझे जब भी सत्ता अथवा संगठन में कोई जिम्मेदारी सौंपी गई है मैंने उसे हमेशा सहज रूप में स्वीकार किया और पूरे समर्पण और ईमानदार के के साथ उस जिम्मेदारी का निर्वहन करने का प्रयास किया है। इसे मैं अपना सौभाग्य मानता हूं कि मुझे पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभालने का मौका दिया। मैं केंद्रीय नेतृत्व के विश्वास की कसौटी पर खरा था उतरने में कोई कसर बाकी नहीं रखूंगा।

प्रश्न: लोकसभा चुनावों के लिए मतदान प्रक्रिया के चार चरण पूरे हो चुके हैं, आप की राय में क्या देश की जनता नरेंद्र मोदी को ही लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहती है?

मोहन यादव: निश्चित रूप से। नरेन्द्र मोदी आज अगर लोकप्रियता के शिखर पर आसीन हैं तो इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि वे समाज के हर वर्ग की खुशहाली को अपना मिशन बना चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने सबका साथ, सबका विकास का जो नारा दिया था उस पर लोगों का पूरा विश्वास है।आज सारा देश और प्रदेश मोदी मय हो चुका है। इसमें किसी को संदेह नहीं होना चाहिए कि भारत की जनता नरेंद्र मोदी को तीसरी बार सत्ता सौंपने का मन बना चुकी है।
प्रश्न: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आजकल अपनी चुनावी रैलियों में कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति को लेकर बहुत तीखे प्रहार कर रहे हैं। आपने भी अपने भाषणों में कांग्रेस की इस नीति को हमेशा निशाने पर रखा है। क्या आपको ऐसा लगता है कि कांग्रेस तुष्टिकरण की इस नीति का परित्याग करने का साहस दिखाएगी?

मोहन यादव: नहीं , कांग्रेस से यह उम्मीद कभी नहीं की जा सकती। आजादी के बाद से लेकर अभी तक कांग्रेस उसी नीति पर चलती रही है। अंग्रेजी शासन भी फूट डालो राज करो की नीति पर चलकर अपना स्वार्थ सिद्ध करते रहे। भारत से अंग्रेजों के जाने के बाद कांग्रेस ने उसे चुनाव जीतने का जरिया बना लिया परंतु अब जनता समझ चुकी है इसलिए कांग्रेस के लिए अब चुनाव जीतना टेढ़ी खीर हो गया है। प्रधानमंत्री तुष्टिकरण की नीति को लेकर कांग्रेस पर जो तीखे हमले कर रहे हैं उनमें छिपी सच्चाई को जनता भी स्वीकार कर रही है। कांग्रेस अब उस नीति के सहारे चुनावी नैया पार नहीं लगा सकती।

प्रश्न : चुनावों में भाजपा नीत एनडीए को चुनौती देने के लिए बहुत से विरोधी दलों ने मिलकर इंडिया गठबंधन बनाया है परन्तु उसके घटक दल कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं इस विरोधाभास को आप कैसे देखते हैं?

मोहन यादव: लोकसभा चुनावों में भाजपा को चुनौती देने के लिए इंडिया गठबंधन के रूप में जो विरोधी दल एकजुट हुए हैं उनका कोई सर्वमान्य नेता नहीं है। इस गठबंधन के घटक दल अपनी ढपली अपना राग कहावत चरितार्थ कर रहे हैं। दिल्ली की सत्ता हासिल करने के लिए उन्होंने अपने सिद्धांतों और नीतियों को ताक पर रख दिया है। जनता इस बात को अच्छी तरह समझती है कि जब ये अभी एक जुट नहीं हो पा रहे हैं तो चुनाव होने के बाद तो इस गठबंधन को बिखरते देर नहीं लगेगी।ये सब दल मिलकर भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की करिश्माई लोकप्रियता की ऊंचाई को नहीं छू सकते।

प्रश्न: क्या आप मानते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वैश्विक मंच पर ग्लोबल लीडर के रूप में विशिष्ट पहचान बनाई है उससे अंतरराष्ट्रीय समीकरणों में भी बदलाव आने की संभावना है?

मोहन यादव: मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की साख उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है।आज विश्व के बड़े बड़े राष्ट्र भी महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भारत की राय जानने के लिए न उत्सुक रहते हैं बल्कि हमारी राय को अहमियत भी प्रदान करते हैं। आतंकवाद पर हमारी नीति को हमेशा अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिला है। इस मामले में भारत ने जो कठोर रुख अख्तियार किया है उससे पाकिस्तान के हौसले पस्त हो चुके हैं।भारत की जनता भी मानती है कि मोदी है तो मुमकिन है।

प्रश्न: मैंने अपनी दो पुस्तकों ‘यशस्वी मोदी’ और ‘महानायक मोदी’ में प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तित्व और कृतित्व का जिस तरह मूल्यांकन किया है उससे आप कितने सहमत हैं?

मोहन यादव: आपकी किताबें मैंने पढ़ी हैं। आपने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उल्लेखनीय उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें पहले यशस्वी और फिर महानायक कहा है। मैं इस आकलन से पूरी तरह सहमत हूं। और भी अनेक विश्लेषकों ने प्रधानमंत्री की महत्वपूर्ण उपलब्धियों की सूक्ष्म विवेचना की है लेकिन आपकी कृतियों ने मुझे विशेष प्रभावित किया है। मैं मानता हूं कि प्रधानमंत्री के प्रेरक व्यक्तित्व और कृतित्व पर जितना लिखा गया है वह उनके विराट व्यक्तित्व की तुलना में काफी कम है।

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