भिंड, मुकेश शर्मा (वेब वार्ता)। भारत तिब्बत सहयोग मंच (BTSM) के युवा विभाग के नेतृत्व में भिंड में कैलाश मानसरोवर मुक्ति के लिए एक ऐतिहासिक सामूहिक संकल्प लिया गया। इस अवसर पर संतों, युवाओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और जागरूक नागरिकों ने एक स्वर में “कैलाश मुक्त होगा, भारत का होगा” का नारा दिया।
यह आयोजन श्रावण मास के पावन अवसर पर श्री बोरेश्वर महादेव मंदिर परिसर से प्रारंभ हुआ और जन-जागरण अभियान का रूप लेता गया। कार्यक्रम के दौरान कैलाश मानसरोवर को भारत की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत मानते हुए, उसकी मुक्ति के लिए संगठित प्रयासों की शपथ ली गई।
🙏 कैलाश मानसरोवर – केवल तीर्थ नहीं, आत्मा का प्रतीक
इस संकल्प समारोह में भारत तिब्बत सहयोग मंच के राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष अर्पित मुदगल ने कहा:
“कैलाश केवल एक तीर्थ नहीं, भारत की आत्मा का प्रतीक है। यह हमारा सांस्कृतिक अधिकार है। जब तक कैलाश मुक्त नहीं होता, यह जन-जागरण अभियान निरंतर जारी रहेगा।”
उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वे भारत की खोई हुई सांस्कृतिक धरोहर की पुनः प्राप्ति हेतु इस अभियान से जुड़ें। अर्पित मुदगल ने यह भी कहा कि मानसरोवर और कैलाश भारत की चेतना के केंद्र हैं, और इनके बिना भारत अधूरा है।
🔱 संतों और समाजसेवियों का समर्थन
कार्यक्रम में भिंड जिले के अनेक संत, मंदिर महंत, गुरुओं, समाजसेवियों और शिक्षाविदों ने भाग लिया। सभी ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि कैलाश मानसरोवर पर भारत का नैतिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अधिकार है, जिसे शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीकों से पुनः प्राप्त किया जाना चाहिए।