Tuesday, December 23, 2025
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बेमिसाल कलम के लिए जाने जाते थे पत्रकार ज्ञानेंद्र शर्मा, आलोचना का भी था अलग सलीका : प्राे. रमेश दीक्षित

-ज्ञानेंद्र शर्मा उत्कृष्ट पत्रकारिता सम्मान से नवाजे गए वरिष्ठ पत्रकार नवीन जोशी

लखनऊ, (वेब वार्ता)। यूपी प्रेस क्लब में रविवार काे जाने माने पत्रकार स्वर्गीय ज्ञानेंद्र शर्मा काे याद किया गया।इस दाैरान उनकी पांच दशक की पत्रकारीय जीवन पर चर्चा की गई। यूपी जर्नलिस्ट गिल्ड की तरफ से शहर के सीनियर सहाफियों ने अपने अग्रज ज्ञानेंद्र शर्मा को याद करते हुए अतीत की सुनहरी पत्रकारिता के जिक्र किए। इस दाैरान अर्द्धशताब्दी के लम्बे समयकाल तक जारी रही ज्ञानेंद्र जी की कलमनवीसी की यात्रा के सहयात्रियों की इस महफिल में विख्यात पत्रकार नवीन जोशी को ज्ञानेन्द्र शर्मा स्मृति उत्कृष्ट पत्रकारिता के सम्मान से नवाजा गया।

इस दाैरान प्राे. रमेश दीक्षित ने बताया कि इंटरनेट, मोबाइल फोन और कंप्यूटर के आम रिवाज के बिना सटीक, निरपेक्ष, संतुलित पत्रकारिता रिफरेन्स, साक्ष्यों और आंकड़ों के धागों से कसी होती थीं। उस जमाने की सहाफत के सुपर हीरो पत्रकार, संपादक और पहले मुख्य सूचना आयुक्त रहे ज्ञानेंद्र शर्मा ने बदलती पत्रकारिता के दौर में नई तकनीक का भी दामन थामा। हाथ से कॉपी लिखने के दौर में जब कंप्यूटर टाइपिंग को सबसे पहले अपनाने से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के शुरुआती दौर में कैमरे से भी वो बेहिचक रूबरू हुए थे।

उन्हाेंने कहा कि ज्ञानेंद्र ने राजनीतिक रिपोर्टिंग को एक नया आयाम दिया। उनकी आलोचना का भी एक अलग सलीका था। पत्रकारिता तो बेमिसाल थी ही जिन्दगी जीने का उनका शऊर बेमिसाल था। उन्होंने अपनी लाइफस्टाइल में रहन-सहन ,खान पान, नौकरी,दोस्ती यहां तक कि शराब तक में अपनी नंबर वन पसंद के साथ कभी समझौता नहीं किया।

गोष्ठी की शुरुआत यूपी प्रेस क्लब के पूर्व सेक्रेटरी वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह के संबोधन से हुई। श्री सिंह ने स्व. शर्मा के साथ बिताए दिनों को याद करते हुए कहा कि स्व. शर्मा पत्रकारिता की खुली किताब थे। जिसे पढ़कर आज के युवा सच्ची पत्रकारिता सीख सकते हैं। उन्होंने बताया कि स्व. शर्मा आज के दौर की पत्रकारिता के गिरते स्तर को लेकर चिंतित रहा करते थे। खासकर इस बात पर कि युवा पत्रकारों में सीखने की ललक खत्म होती जा रही है।

उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के अध्यक्ष हेमंत तिवारी ने स्वर्गीय शर्मा को याद करते हुए उन्हें अपना गुरु बताया। उन्होंने कहा कि वह मेजर असाइनमेंट पर हमेशा अच्छे से अच्छा आउटपुट चाहते थे। स्वर्गीय शर्मा आज की तुलना में पत्रकारिता के गूगल थे। किसी भी खबर पर उनका रेफरेंस बहुत ही जोरदार रहता था। वह मीटिंग में पूरी तैयारी से आते थे। उनसे नई पीढ़ी को सीखना चाहिए।

वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान ने कहा कि जब उन्होंने अपनी पहली किताब लिखी तो उसमें सहयोग के लिए और सबसे पहले स्वर्गी शर्मा के पास ही गए क्योंकि उन्हें पता था कि उनके पास जो जानकारी होगी और किसी और के पास नहीं मिलेगी। उनसे उन्होंने पत्रकारिता के सही वैल्यू सीखे। उन्होंने वाकई सच्ची पत्रकारिता की जबकि आज के दौर में चाटुकारिता, पत्रकारिता पर भारी है।

इस माैके पर राम दत्त त्रिपाठी, सुरेश बहादुर सिंह, पी. के. तिवारी के साथ प्रदुम्न तिवारी, जगदीश जोशी, हरीश मिश्रा, सिद्धांत कलहंस, घनश्याम दुबे, राजू मिश्रा, दीपक गिनवानी, राजू तिवारी बाबा, अशोक राजपूत,टी बी सिंह, आशु बाजपेई, टी. के. मिश्रा, जितेन्द्र शुक्ला, संदीप रस्तोगी जैसे लखनऊ की पत्रकारिता से जुड़े साथीगण उपस्थित रहे।

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