Friday, March 14, 2025
Homeराज्यफरीदाबाद : सूरजकुंड में छेनी और हथौड़ों की ठक-ठक से उकेरी जा...

फरीदाबाद : सूरजकुंड में छेनी और हथौड़ों की ठक-ठक से उकेरी जा रही है शिलाओं पर संस्कृति

-शिल्प मेले में युवा मूर्तिकारों को 25 मूर्तिकला विशेषज्ञ दे रहे हैं प्रशिक्षण

-हरियाणा का कला एवं संस्कृति विभाग कर रहा है अनूठी पहल

फरीदाबाद, (वेब वार्ता)। कहते हैं जिस पत्थर को छेनी और हथौड़े की मार से दर्द हो वह कभी मूर्ति नहीं बन सकती। मूर्ति बनने के लिए चाहिए सहनशक्ति, एकाग्रता, विश्वास और इन्हीं तत्व से मिलकर मूर्ति को उसका रूप दिया जाता है। यही कहानी कुछ इस तरह की फरीदाबाद के सूरजकुंड के अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेले में बयां हो रही है, जहां पर विभिन्न मूर्तिकार तांबे की धातुओं पर विभिन्न संस्कृति से रूबरू कराती हुई मूर्तियां बना रहे हैं। उनकी ठक-ठक की आवाज से हर एक उनकी ओर खिंचा आता है। मूर्ति बनाने को लेकर बनाए गए इस पंडाल में करीब 25 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के मूर्ति कलाकार अपनी छैनी और हथौड़े के बल पर विभिन्न संस्कृतियों को अपनी मूर्तियों में उकेर रहे हैं। इस कला को मूर्त रूप देने का काम कला एवं संस्कृति कार्य विभाग हरियाणा बखूबी रूप से कर रहा है, जिसका श्रेय विभाग के आयुक्त डा. अमित कुमार अग्रवाल तथा महानिदेशक के. मकरंद पांडुरंग के साथ-साथ विभिन्न अधिकारियों को जाता है, जिन्होंने इस कला को आगे बढ़ाने का काम किया। कला एवं संस्कृति कार्य विभाग के कला एवं संस्कृति अधिकारी (मूर्तिकला) हृदय कौशल भी अपनी छैनी और हथौड़े से तांबे की प्लेट पर वार कर अपने मनोभावों को दर्शा रहे हैं। हृदय कौशल ने जानकारी देते हुए बताया कि विलुप्त होती कला को बचाने का यह एक पड़ाव है, जो निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि विभाग के महानिदेशक के. मकरंद पांडुरंग के निर्देश पर मूर्तिकला को बचाने की यह अहम भूमिका अदा की गई है। इसके लिए करीब 25 मूर्ति कला विशेषज्ञ इसमें अपने भावों को उकेर रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह एक ऐसी कला है जो रेवाड़ी के ठठेरा गली से पनपी थी और वहीं पर समाप्त हो गई, लेकिन इसे आगे बढ़ाने का काम विभाग द्वारा किया जा रहा है। इस पंडाल में युवाओं को इससे जोडऩे की मुहिम पर जोर दिया जा रहा है, जिसमें हैदराबाद से डा. ललिता प्रसाद, गुरुग्राम से ललित, कला अकादमी से जुड़ी गायत्री देवी, जोधपुर से डा. लीला दीवान जो स्वयं मूर्ति कला आर्ट को बनाने के काम के साथ-साथ एक लेखक भी हैं, मोहम्मद यूसुफ, मोहम्मद याकूब और फारूक खान जोकि अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र के कलाकार हैं उनकी पांचवीं पीढ़ी इस कार्य में लगी जैसे महान कलाकार इस कला को आगे बढ़ा रहे हैं। हृदय कौशल ने बताया कि उड़ीसा से राकेश पटनायक, उत्तर प्रदेश से डा. रश्मि, हिसार के 20 वर्षीय रोहतास, रोहतक से दिनेश, कैथल से नरेंद्र, सिरसा से विशाल व राखी, सोनीपत से स्विपराज के साथ-साथ डा. कमलजीत, करनाल से नंदकिशोर, बस्ती यूपी से शालिनी, गिरीश, यमुनानगर से साहिल व अन्य मूर्तिकार कला को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। हृदय कौशल ने बताया कि इस शिल्प मेले में असली शिल्प का काम मूर्तिकला के रूप में किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यह मूर्तियां 24 कैरेट के शुद्ध प्लेट पर तैयार की जा रही है। गेरू और लार जो कि एक तरह का पेड़ से निकलने वाला बेराज (गोंद) कहा जाता है, उसे उबालकर सरसों का तेल मिलाकर पेस्ट बनाकर तैयार किया जाता है। सूखने के बाद इस पर 24 कैरेट शुद्ध तांबे की प्लेट को चिपका कर उस पर कलाकार अपने मनोभावों को दर्शाता है। इस कार्य में मूर्तिकार के रूप में रिटायर्ड आईएएस वीएस कुंडू भी अपनी बचपन की यादें, गांव की परंपराओं को चित्रकारी के रूप में उकेर रहे हैं। हृदय कौशल ने बताया कि यह लुप्त होती कला है। खासकर राखीगढ़ी में जो विलुप्त होती परंपराएं मिली हैं, उन्हें उकेर कर चिरकाल तक जीवित रखने का प्रयास किया जा रहा है। यही नहीं रोहतक के दिनेश तांबे की 24 कैरेट के शुद्ध प्लेट पर दादा लख्मीचंद की मूर्ति को उकेर रहे हैं और रोहतक के अजायब गांव के नरेंद्र पानी लाने वाली पनिहारी जिसका शीर्षक पानी आली पानी प्यादे दिया गया है, मूर्ति को बना रहे हैं। कैथल के विशाल राखीगढ़ी में मिली शिल्पकला को अपनी मूर्तियों पर उतारने का काम कर रहे हैं।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

हमारे बारें में

वेब वार्ता समाचार एजेंसी

संपादक: सईद अहमद

पता: 111, First Floor, Pratap Bhawan, BSZ Marg, ITO, New Delhi-110096

फोन नंबर: 8587018587

ईमेल: webvarta@gmail.com

सबसे लोकप्रिय

Recent Comments