Friday, March 14, 2025
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पूर्व छात्र नेता शेहला राशिद को बड़ी राहत, कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को देशद्रोह का केस वापस लेने की मंजूरी दी

नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की पूर्व छात्र नेता शेहला राशिद शोरा को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने साल 2019 के देशद्रोह मामले में उनके खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस लेने की दिल्ली पुलिस की अर्जी स्वीकार कर ली है। शेहला के खिलाफ यह मामला भारतीय सेना को लेकर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक ट्विट्स करने के बाद दर्ज किया गया था।

इस बारे में जानकारी देते हुए पुलिस सूत्रों ने बताया कि अदालत ने दिल्ली पुलिस को जेएनयू की पूर्व उपाध्यक्ष शेहला राशिद शोरा के खिलाफ सेना पर उनके ट्वीट के लिए मामला वापस लेने की अनुमति दे दी है। मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अनुज कुमार सिंह ने अभियोजन पक्ष द्वारा दायर एक आवेदन पर 27 फरवरी को यह आदेश पारित किया। शेहला के खिलाफ यह मामला देशद्रोह समेत धर्म, भाषा, नस्ल और जन्म स्थान आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और दंगे भड़काने जैसे विभिन्न अपराधों के लिए दर्ज किया गया था। इन आरोपों में अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।

स्क्रीनिंग कमेटी की सिफारिश पर एलजी ने वापस ली मंजूरी

पुलिस ने केस वापस लेने की अपील तब की जब दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने शोरा के खिलाफ मुकदमा चलाने की अपनी मंजूरी वापस ले ली। एलजी का यह आदेश स्क्रीनिंग कमेटी की सिफारिश पर आया। दिल्ली पुलिस की तरफ से कोर्ट में दिए गए आवेदन में बताया गया कि, ‘दिल्ली के उपराज्यपाल ने स्क्रीनिंग कमेटी की सिफारिश को मंजूरी दे दी है…।’ उपराज्यपाल ने यह मंजूरी 23 दिसंबर, 2024 को दी थी।

शेहला ने सेना को लेकर किया था आपत्तिजनक ट्वीट

शेहला ने 18 अगस्त, 2019 को किए गए अपने ट्वीट में भारतीय सेना पर कश्मीर में घरों में घुसने और स्थानीय लोगों को यातना देने का आरोप लगाया था। हालांकि सेना ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया था। उनकी इसी पोस्ट को लेकर अलख आलोक श्रीवास्तव नाम के शख्स ने नई दिल्ली के स्पेशल सेल पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी। जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ ट्वीट के माध्यम से विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और सद्भाव बिगाड़ने वाले कृत्यों में शामिल होने को लेकर मामला दर्ज किया गया था। एलजी कार्यालय ने कहा कि अभियोजन स्वीकृति का प्रस्ताव दिल्ली पुलिस द्वारा पेश किया गया था और दिल्ली सरकार के गृह विभाग द्वारा इसका समर्थन किया गया था।

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