भोपाल (Bhopal), 25 जुलाई (वेब वार्ता)। मध्य प्रदेश में सरकारी स्कूलों की बदहाली को लेकर अब एनएसयूआई ने बड़ा आंदोलन छेड़ दिया है। केंद्र सरकार के यू-डाइस डेटा और हालिया पीएबी बैठक में प्रस्तुत राज्य की शिक्षा रिपोर्ट के चौंकाने वाले आंकड़ों के बाद एनएसयूआई ने शुक्रवार को प्रदेशव्यापी “स्कूलों की पोल खोल” अभियान की शुरुआत की। इस अभियान का उद्देश्य सरकारी स्कूलों की जमीनी सच्चाई उजागर कर सरकार की जवाबदेही तय करना है।
बच्चों के भविष्य से मज़ाक कर रही सरकार: एनएसयूआई
प्रदेश अध्यक्ष आशुतोष चौकसे ने प्रेस वार्ता में अभियान की घोषणा करते हुए कहा कि सरकार सिर्फ नाम और नारों में व्यस्त है, जबकि हकीकत यह है कि बच्चों के सिर पर छत नहीं, कक्षाएं अधूरी, और शिक्षक नदारद हैं। उन्होंने कहा, “12,200 स्कूल ऐसे हैं, जहां केवल एक शिक्षक है। 9,500 स्कूल अब भी बिजली से वंचित हैं और 1,700 से अधिक स्कूलों में शौचालय तक नहीं हैं। ये सिर्फ आंकड़े नहीं, ये बच्चों के भविष्य की हत्या है।”
उन्होंने भोपाल के ऐतिहासिक जहांगीरिया स्कूल का उदाहरण देते हुए कहा कि जहां से देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल शर्मा ने शिक्षा ली थी, आज वहां की छत से प्लास्टर गिर रहा है और पूरा फ्लोर खतरनाक घोषित कर बंद कर दिया गया है।
व्हाट्सएप नंबर पर भेजें स्कूलों की तस्वीरें
अभियान के तहत एनएसयूआई ने एक व्हाट्सएप नंबर भी जारी किया है, जिस पर छात्र, अभिभावक और जागरूक नागरिक अपने क्षेत्र के स्कूलों की तस्वीरें, वीडियो और शिकायतें भेज सकते हैं। संगठन इन सभी सूचनाओं को एकत्र कर सरकार पर शिक्षा बजट की पारदर्शिता और ज़मीनी उपयोग सुनिश्चित करने का दबाव बनाएगा।
शिक्षा मंत्री पर गंभीर आरोप
चौकसे ने शिक्षा मंत्री के गृह जिले नरसिंहपुर का हवाला देते हुए कहा कि वहां कई स्कूल ऐसे हैं, जहां 8 साल से छात्र नहीं, लेकिन शिक्षक अब भी लाखों का वेतन ले रहे हैं। इसी तरह रायसेन जिले के चांदबड़ गांव में एक करोड़ों की लागत से बना स्कूल भवन 8 साल से बंद पड़ा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार केवल ब्रांडिंग में व्यस्त है। “सांदीपनि स्कूलों” की झूठी ब्रांडिंग की जाती है, जबकि हकीकत में बच्चे टीन की छतों के नीचे टपकते पानी में पढ़ने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि करोड़ों का शिक्षा बजट कहां खर्च हो रहा है, इसकी जनता के सामने पारदर्शी रिपोर्टिंग होनी चाहिए।
अभियान की अगुवाई करेंगे युवा नेता
एनएसयूआई ने इस अभियान की जिम्मेदारी तनय शर्मा, गगन सिंह और अमन पठान को सौंपी है। साथ ही अभियान में सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं को भी जोड़ने की योजना है। प्रेस वार्ता में विदुषी शर्मा, वंश कनोजिया, नबील असलम, शिवांश तोमर सहित कई एनएसयूआई कार्यकर्ता मौजूद रहे।
रिपोर्ट के प्रमुख तथ्य :
12,200 स्कूलों में सिर्फ 1 शिक्षक
9,500 स्कूलों में बिजली नहीं
1,700+ स्कूलों में शौचालय की सुविधा नहीं
1,022 स्कूल पूरी तरह जर्जर हालत में
कई स्कूल करोड़ों की लागत के बावजूद वर्षों से बंद
सांदीपनि स्कूल योजना सिर्फ ब्रांडिंग, जमीनी स्तर पर स्थिति खराब
बिल्डिंगों में ताले, शिक्षक वेतन ले रहे – लेकिन छात्र मौजूद नहीं
एनएसयूआई की माँगें:
सभी स्कूलों की बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं
शिक्षा बजट की पारदर्शी रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए
फर्जी वेतन भुगतान की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई हो
जर्जर स्कूल भवनों की मरम्मत और अधूरे क्लासरूम का निर्माण तुरंत किया जाए
“सांदीपनि स्कूल” जैसी योजनाओं की जमीनी सत्यता की जांच कराई जाए