“मेरी सुपारी लेने वालों में विद्युत कर्मचारी के वेश में कुछ अराजक तत्व भी शामिल”
लखनऊ, (वेब वार्ता)। उत्तर प्रदेश सरकार के ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा ने सोमवार को एक बेहद चौंकाने वाला और विवादास्पद बयान दिया। उन्होंने आरोप लगाया है कि कुछ विद्युत कर्मचारी नेता या उनके वेश में अराजक तत्व उनकी ‘सुपारी’ लेकर उन्हें नुकसान पहुंचाने की साजिश में शामिल हैं।
ऊर्जा मंत्री के कार्यालय के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट ‘X’ (पूर्व ट्विटर) से एक पोस्ट के माध्यम से यह दावा किया गया, जिसे स्वयं मंत्री शर्मा ने भी री-शेयर किया।
🔥 मुख्य आरोप: ‘सुपारी लेकर मंत्री को निशाना बना रहे लोग’
पोस्ट में सीधे-सीधे आरोप लगाया गया है कि—
“ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा की सुपारी लेने वालों में विद्युत कर्मचारी के वेश में कुछ अराजक तत्व भी शामिल हैं।”
इस पोस्ट के निष्कर्ष में कहा गया—
“ऐसा लगता है कि शर्मा जी से जलने वाले सारे लोग एकजुट हो गए हैं। लेकिन ईश्वर और जनता उनके साथ हैं। शर्मा जी की मंशा सिर्फ बेहतर बिजली व्यवस्था और जनसेवा की है—और कुछ नहीं।”
⚡ ऊर्जा मंत्री बनते ही संघर्षों की शुरुआत
ऊर्जा मंत्री के कार्यालय ने उल्लेख किया कि—
तीन वर्षों के कार्यकाल में चार बार हड़तालें हुईं
पहली हड़ताल मंत्री बनने के तीन दिन बाद ही शुरू हो गई थी
इन हड़तालों के कारण उच्च न्यायालय को हस्तक्षेप करना पड़ा
“कुछ कर्मचारी नेता इसलिए परेशान हैं क्योंकि मंत्री जी उनके आगे झुकते नहीं हैं।”
🔍 मंत्री के आवास पर ‘अभद्रता’ का आरोप
ऊर्जा मंत्री के कार्यालय ने यह भी खुलासा किया कि—
“कुछ दिन पहले इन अराजक तत्वों ने निजीकरण के विरोध में मंत्री जी के आवास पर पहुंचकर छह घंटे तक अभद्र भाषा का प्रयोग किया और उनके परिवार को भी अपमानित किया।”
बावजूद इसके, मंत्री ने उन्हें मिठाई खिलाई, पानी पिलाया और ढाई घंटे तक मिलने के लिए इंतजार भी किया। यह बयान मंत्री की संयमित प्रतिक्रिया का उदाहरण पेश करता है।
🏢 निजीकरण पर सरकार का पक्ष और सवाल
पोस्ट में मंत्री के कार्यालय ने निजीकरण के आरोपों पर सफाई देते हुए कई सवाल उठाए:
“जब 2010 में आगरा में टोरेंट कंपनी को बिजली निजीकरण के तहत सौंपा गया तब ये यूनियन लीडर कहां थे?”
– आरोप है कि उस समय कुछ नेता विदेश पर्यटन पर चले गए थे।“क्या निजीकरण का निर्णय अकेले मंत्री शर्मा ले सकते हैं?”
– जवाब में कहा गया कि:एक JE का तबादला तक मंत्री नहीं कर सकते
UPPCL प्रबंधन स्वतंत्र रूप से काम करता है
निजीकरण का निर्णय राज्य सरकार की टास्क फोर्स और मुख्य सचिव के नेतृत्व में हुआ है।
🤔 सवाल उठते हैं: क्या मंत्री निशाने पर हैं?
ऊर्जा मंत्री की ओर से इस तरह का सीधा और भावनात्मक हमला असामान्य है। इससे यह संकेत मिलता है कि:
ऊर्जा विभाग में आंतरिक संघर्ष चरम पर है
कर्मचारी संगठनों और सरकार के बीच टकराव बढ़ रहा है
मंत्री स्वयं को लक्षित मान रहे हैं और स्पष्ट रूप से चेतावनी दे रहे हैं
📌 विपक्ष और कर्मचारियों की प्रतिक्रिया अब तक क्या रही?
अब तक बिजली कर्मचारी यूनियनों या विपक्षी दलों की कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि यह निश्चित है कि इस बयान से राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में उथल-पुथल मच सकती है।
ऊर्जा मंत्री श्री ए के शर्मा की सुपारी लेने वालों में विद्युत कर्मचारी के वेश में कुछ अराजक तत्व भी हैं …
कुछ विद्युत कर्मचारी नेता काफ़ी दिनों से परेशान घूम रहे हैं क्योंकि उनके सामने ऊर्जा मंत्री जी झुकते नहीं हैं।
ये वही लोग हैं जिनकी वजह से बिजली विभाग बदनाम हो रहा…
— AK Sharma Office (@AKSharmaOffice) July 28, 2025