नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 को लेकर सियासी माहौल पूरी तरह गरमा गया है। 9 सितंबर को होने वाले इस महत्वपूर्ण चुनाव से पहले सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी इंडिया गठबंधन अपने-अपने उम्मीदवारों के समर्थन में रणनीति बनाने में जुटे हैं। आज कई महत्वपूर्ण बैठकों और विचार-विमर्श का दौर चलेगा, जिसमें दोनों पक्ष अपने सांसदों के साथ अंतिम रणनीति को पक्का करेंगे।
चुनाव की पृष्ठभूमि
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के 21 जुलाई 2025 को स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा देने के बाद यह पद खाली हुआ था। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 68(2) के तहत, इस रिक्ति को यथाशीघ्र भरने के लिए भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने 9 सितंबर को मतदान की तारीख तय की। नामांकन की प्रक्रिया 7 अगस्त से शुरू होकर 21 अगस्त तक चली, जिसमें 22 अगस्त को नामांकन पत्रों की जांच और 25 अगस्त तक नाम वापसी का समय था। मतदान संसद भवन के कमरा नंबर एफ-101 वसुधा में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक होगा, और उसी दिन परिणाम घोषित होंगे।
उम्मीदवार और रणनीति
एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन, जो वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं, को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने विपक्ष से समर्थन मांगते हुए निर्विरोध चुनाव की उम्मीद जताई है। एनडीए के पास लोकसभा में 542 में से 293 सांसद और राज्यसभा में 129 सांसदों (मनोनीत सहित) का समर्थन है, जो कुल 422 वोट बनाता है। जीत के लिए 349 वोट चाहिए, जिससे एनडीए की स्थिति मजबूत दिख रही है।
वहीं, इंडिया गठबंधन ने जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी, पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज, को अपना उम्मीदवार बनाया है। विपक्षी नेता, विशेष रूप से कांग्रेस और राहुल गांधी, एकजुट होकर सुदर्शन रेड्डी के लिए समर्थन जुटा रहे हैं। राहुल गांधी ने हाल ही में सांसदों से देश हित में सोच-समझकर मतदान करने की अपील की। हालांकि, विपक्ष के पास संख्याबल कम है, लेकिन गुप्त मतदान के कारण क्रॉस वोटिंग की संभावना बनी हुई है, जिससे सियासी समीकरण रोमांचक हो गए हैं।
विपक्ष के आरोप और सियासी तनाव
विपक्ष ने जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को सरकारी दबाव का परिणाम बताया है, जिसे सत्तापक्ष ने खारिज किया। इंडिया गठबंधन ने संयुक्त उम्मीदवार उतारकर एक मजबूत राजनीतिक संदेश देने की रणनीति बनाई है। चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी के समर्थन को लेकर भी सस्पेंस बना हुआ है, क्योंकि कुछ पोस्ट्स में दावा किया गया है कि नायडू एनडीए से अलग हो सकते हैं, जिससे दिल्ली के सियासी गलियारों में हलचल मच सकती है। हालांकि, यह दावा अभी पुष्ट नहीं है।
चुनाव प्रक्रिया
उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें मनोनीत सांसद भी मतदान कर सकते हैं। कुल 788 सांसदों में से 6 सीटें (राज्यसभा में 5, लोकसभा में 1) खाली हैं, जिससे निर्वाचक मंडल में 782 सांसद हैं। जीत के लिए 391 वोट (50%+1) चाहिए। मतदान गुप्त होता है, और प्रत्येक उम्मीदवार को 20 सांसदों के प्रस्तावक और 20 सांसदों के समर्थक चाहिए। राज्यसभा महासचिव पीसी मोदी को निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किया गया है।
आज का एजेंडा
आज, 8 सितंबर को, एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों अपने सांसदों के साथ महत्वपूर्ण बैठकें करेंगे। एनडीए जहां अपने गठबंधन की एकजुटता और अतिरिक्त समर्थन सुनिश्चित करने पर जोर देगा, वहीं विपक्ष क्रॉस वोटिंग की संभावनाओं को भुनाने की कोशिश करेगा। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अगुवाई में इंडिया गठबंधन की बैठक में उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी के लिए रणनीति पर चर्चा होगी।
क्या होगा असर?
यह चुनाव न केवल देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद को भरेगा, बल्कि लोकसभा और राज्यसभा में सत्तापक्ष और विपक्ष के संख्याबल की परीक्षा भी लेगा। गुप्त मतदान के कारण अनिश्चितता बनी हुई है, और क्रॉस वोटिंग या गठबंधन की एकजुटता इस चुनाव का परिणाम तय करेगी। नया उपराष्ट्रपति पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगा, जिसका असर राज्यसभा की कार्यवाही और संवैधानिक प्रक्रियाओं पर भी पड़ेगा।




