Sunday, April 20, 2025
Homeराष्ट्रीयअनेकता में एकता की ताकत भारत के भीतर ही निहित : मोदी

अनेकता में एकता की ताकत भारत के भीतर ही निहित : मोदी

नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि प्रयागराज में गंगा यमुना एवं अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर आयोजित महाकुंभ ने आज के बिखराव भरे विश्व में भारत की एकता एवं राष्ट्रीय चेतना का विराट प्रदर्शन किया है और हमारा दायित्व है कि अनेकता में एकता को हम बढ़ाते रहें एवं राष्ट्रीय चेतना काे जागृत रखें।

श्री मोदी ने लोकसभा में मंगलवार को शून्यकाल में महाकुंभ पर एक वक्तव्य दिया। श्री मोदी ने कहा, “आज मैं इस सदन के माध्यम से कोटि-कोटि देशवासियों को नमन करता हूं, जिनकी वजह से महाकुंभ का सफल आयोजन हुआ। महाकुंभ की सफलता में अनेक लोगों का योगदान है। मैं सरकार के, समाज के सभी कर्मयोगियों का अभिनंदन करता हूं। मैं देशभर के श्रद्धालुओं को, उत्तर प्रदेश की जनता विशेषतौर पर प्रयागराज की जनता का धन्यवाद करता हूं।”

उन्होंने कहा, “हम सब जानते हैं, गंगा जी को धरती पर लाने के लिए एक भगीरथ प्रयास लगा था, वैसा ही महाप्रयास इस महाकुंभ के भव्य आयोजन में भी हमने देखा है। मैंने लाल किले से सबका प्रयास के महत्व पर जोर दिया था। पूरे विश्व ने महाकुंभ के रूप में भारत के विराट स्वरूप के दर्शन किए। सबका प्रयास का यही साक्षात स्वरूप है। ये जनता जनार्दन का, जनता जनार्दन के संकल्पों के लिए जनता जनार्दन की श्रद्धा से प्रेरित महाकुंभ था।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष, अयोध्या के राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हमने महसूस किया था कि कैसे देश एक हजार वर्षों के लिए तैयार हो रहा है। इसके ठीक एक साल बाद, महाकुंभ के आयोजन ने हम सबके इस विचार को और दृढ़ किया है। देश की ये सामूहिक चेतना देश का सामर्थ्य बताती है।

उन्होंने काह कि मानव जीवन के इतिहास में ऐसे मोड़ आते हैं जो सदियों तक याद किये जाते हैं, ऐसे पल आते हैं जो देश को नई दिशा देने और जागृति लाने का काम करते हैं। भक्ति आंदोलन में भारत की आध्यात्मिक चेतना फिर से जागृत हुई थी। स्वामी विवेकानंद का शिकागो में भाषण ने भारतीयों के मन में स्वसंस्कृति के प्रति स्वाभिमान एवं गौरव का भाव जगा दिया था। प्रयागराज महाकुंभ भी ऐसा ही एक महापड़ाव था जिसमें देश में अपनी संस्कृति के प्रति गौरव एवं स्वाभिमान के भाव काे जागृत देखा।

श्री मोदी ने कहा, “ये उमंग उत्साह यहीं तक सीमित नहीं रहा। पिछले हफ़्ते मैं मॉरीशस में था और मैंने महाकुंभ के दौरान त्रिवेणी संगम से पवित्र जल लाया था। जब इसे मॉरीशस के गंगा तालाब में मिलाया गया तो आस्था एवं उत्साह का माहौल देखते हुए बन रहा था। नज़ारा देखने लायक था। इससे पता चला कि हमारी परंपरा एवं संस्कृति का जश्न मनाया जा रहा है।”

उन्होंने कहा कि वह देख रहे हैं कि पीढ़ी दर पीढ़ी संस्कार कैसे आगे जा रहे हैं। युवा पीढ़ी श्रद्धाभाव से महाकुंभ के उत्सव से जुड़ी रही। समाज में विरासत को लेकर गर्व का भाव बढ़ता है तो ऐसी तस्वीरें बनतीं हैं जो महाकुंभ में दिखायीं दीं। अपनी विरासत से जुड़ने की भावना एक पूंजी है।

उन्होंने कहा कि इस महाकुंभ से अनेक अमृत निकले हैं। एकता इसका पवित्र प्रसाद है। देश के कोने कोने से आये लोग संगम में स्नान करके एक हो गये। अलग अलग बोली भाषा बोलने वाले संगम तट पर हर हर गंगे बोल कर एक हो गये। छोटे बड़े का कोई भेद नहीं था। यह भारत का बहुत बड़ा सामर्थ्य दिखायी दिया। इसने दिखाया कि एकता का बहुत सशक्त तंत्र देश के भीतर ही रचा बसा है जो उसे भेदने के सारे प्रयास को ही भेद देता है।

प्रधानमंत्री ने कहा, “विश्व में आज बिखराव की स्थितियां हैं और इस बीच भारत में एकजुटता का विराट प्रदर्शन हमारी बहुत बड़ी ताकत है। हमारा दायित्व है कि हम अनेकता में एकता को हम समृद्ध करते रहें।” उन्होंने कहा कि इस महाकुंभ से प्रेरणाएं मिलीं हैं। देश में अनेक छोटी बड़ी नदियां हैं। इस बारे में जरूर सोचना चाहिए। नदियों की साफ सफाई को बल मिलेगा।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

वेब वार्ता समाचार एजेंसी

संपादक: सईद अहमद

पता: 111, First Floor, Pratap Bhawan, BSZ Marg, ITO, New Delhi-110096

फोन नंबर: 8587018587

ईमेल: webvarta@gmail.com

सबसे लोकप्रिय

Recent Comments