नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर केंद्र सरकार और चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि एसआईआर के नाम पर दलितों, पिछड़े वर्गों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के वोट जानबूझकर काटे जा रहे हैं। साथ ही, प्रवासी मजदूरों के नाम भी मतदाता सूची से हटा दिए गए हैं, जो उनके संवैधानिक अधिकारों का सीधा उल्लंघन है।
संसद में चर्चा से भाग रही है सरकार : खरगे
विजय चौक पर इंडी गठबंधन की बैठक में मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि विपक्ष लगातार एसआईआर पर संसद में चर्चा की मांग कर रहा है, लेकिन सरकार जानबूझकर इस संवेदनशील मुद्दे से बच रही है। खरगे ने चेतावनी दी कि यदि सरकार इस विषय पर चर्चा से पीछे हटती है तो यह साबित होगा कि वह लोकतंत्र और संविधान के मूल्यों में विश्वास नहीं रखती।
यह सिर्फ एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि अधिकारों से जुड़ा मसला है
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि यह मुद्दा सिर्फ एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि नागरिकों के मौलिक अधिकारों से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि दलित, आदिवासी, ओबीसी और मुस्लिम समाज के मतों को काटकर उन्हें चुनावी प्रक्रिया से बाहर किया जा रहा है। यह न केवल पक्षपातपूर्ण है बल्कि चुनावी लोकतंत्र के लिए भी खतरा है।
सभापति के पुराने बयान का हवाला
खरगे ने याद दिलाया कि 21 जुलाई 2023 को राज्यसभा के तत्कालीन सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा था कि संसद में धरती पर हो रही हर बात पर चर्चा हो सकती है। लेकिन अब कहा जा रहा है कि चुनाव आयोग और एसआईआर से जुड़े मामलों पर चर्चा नहीं हो सकती, जो कि चिंताजनक है और लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए सही संकेत नहीं है।
विपक्ष एकजुट, सरकार मौन
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इंडी गठबंधन की सभी पार्टियां लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा सभापति से इस विषय पर चर्चा की मांग कर चुकी हैं। बावजूद इसके, सरकार इस विषय पर न तो जवाब दे रही है और न ही चर्चा के लिए तैयार है। यह रवैया लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा है।