नई दिल्ली, 23 नवंबर (वेब वार्ता)। कांग्रेस ने विभिन्न राज्यों में बूथ स्तर के अधिकारियों की मौत को लेकर भाजपा और चुनाव आयोग को घेरा है। पार्टी का आरोप है कि एसआईआर के नाम पर देश में अफरा-तफरी मचा रखी है। तीन सप्ताह में 16 बीएलओ की जान चली गई। एसआईआर कोई सुधार नहीं है, बल्कि यह एक थोपा गया जुल्म है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा कि चुनाव आयोग ने ऐसा सिस्टम बनाया है, जिसमें नागरिकों को खुद को तलाशने के लिए 22 साल पुरानी मतदाता सूची के हजारों स्कैन पन्ने पलटने पड़े। मकसद साफ है कि सही मतदाता थककर हार जाए और गड़बड़ी बिना रोक-टोक जारी रहे।
राहुल गांधी ने कहा कि भारत दुनिया के लिए अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर बनाता है, मगर भारत का चुनाव आयोग आज भी कागजों का जंगल खड़ा करने पर ही अड़ा है। आयोग की नीयत पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि नीयत साफ होती तो लिस्ट डिजिटल, सर्चेबल और मशीन-रीडेबल होती। चुनाव आयोग को 30 दिन की हड़बड़ी के बजाय उचित समय ले कर पारदर्शिता और जवाबदेही पर ध्यान देना चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि मतदाता सूची में कथित गड़बड़ी अब जानलेवा रूप ले चुकी है।
एसआईआर को नोटबंदी और लॉकडाउन से जोड़ते हुए पार्टी ने एसआईआर को एक जल्दबाजी में लिया गया फैसला करार दिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक खबर भी साझी की, जिसमें कहा गया है कि एसआईआर के दौरान 19 दिन में 16 बीएलओ की मौत हो चुकी है। खरगे ने मरने वाले बीएलओ के परिवारों के प्रति संवेदना जताते हुए कहा कि हकीकत यह है कि मृतकों की वास्तविक संख्या बताई गई संख्या से कहीं ज्यादा है, जो बेहद चिंताजनक है। इन परिवारों को न्याय कौन दिलाएगा? उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा गड़बड़ी से हासिल सत्ता की मलाई खाने में व्यस्त है और निर्वाचन आयोग मूकदर्शक बनकर सिर्फ तमाशा देख रहा है।




