नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान में एक और बड़ा मील का पत्थर हासिल किया है। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में जाकर न सिर्फ वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम दिया, बल्कि खेती करके भी इतिहास रच दिया। उन्होंने अपने मिशन के दौरान अंतरिक्ष में मेथी और मूंग की खेती कर यह साबित किया कि भविष्य में स्पेस फार्मिंग एक हकीकत बन सकती है।
रविवार को नई दिल्ली में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुभांशु शुक्ला एवं अन्य गगन यात्रियों को सम्मानित किया। इस अवसर पर राजनाथ सिंह ने कहा –
“आपके अंदर का किसान अंतरिक्ष में जाकर भी बाहर नहीं निकला। भारत का कोई किसान अंतरिक्ष में जाकर मेथी और मूंग की खेती करेगा, ऐसा कभी किसी ने नहीं सोचा था। निश्चित रूप से आपका यह अनुभव हमारे आगामी मिशन के लिए बहुत मददगार साबित होगा।”
भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षा और गगनयान मिशन का महत्व
भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम पिछले कुछ वर्षों में विश्व स्तर पर अपनी छाप छोड़ चुका है। चंद्रयान-3 और मंगलयान जैसी सफलताओं के बाद अब भारत गगनयान मिशन की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। गगनयान मिशन सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के विज़न का प्रतीक है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि आज हम ऐसे युग में हैं जहाँ अंतरिक्ष सिर्फ तकनीकी शक्ति का नहीं, बल्कि मानव सभ्यता की सामूहिक प्रगति का प्रतीक बन गया है। उन्होंने कहा:
“हम अंतरिक्ष को सिर्फ रिसर्च के लिए नहीं देख रहे हैं, बल्कि यह आने वाले समय की अर्थव्यवस्था, सुरक्षा, ऊर्जा और मानवता के भविष्य की कुंजी है।”
अंतरिक्ष में खेती – भविष्य की बड़ी चुनौती
अंतरिक्ष में खेती करना किसी विज्ञान कथा का हिस्सा नहीं, बल्कि मानवता की लॉन्ग-टर्म स्पेस कॉलोनाइजेशन योजना का अहम कदम है। शुभांशु शुक्ला द्वारा अंतरिक्ष में मेथी और मूंग उगाने का प्रयोग आने वाले समय में स्पेस स्टेशन और मंगल मिशनों के लिए फूड प्रोडक्शन की दिशा में एक मजबूत नींव है। यह प्रयोग यह साबित करता है कि सीमित संसाधनों के बावजूद भी मनुष्य प्रकृति को अपने साथ अंतरिक्ष में ले जा सकता है।
शुभांशु शुक्ला – प्रेरणा की नई मिसाल
रक्षा मंत्री ने कहा कि शुभांशु शुक्ला ने केवल वायुसेना के ही नहीं, बल्कि पूरे भारत और मानवता का प्रतिनिधित्व किया है। राजनाथ सिंह ने यह भी उल्लेख किया कि सामान्यतः एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग प्रक्रिया 2 से 2.5 साल तक चलती है, लेकिन शुभांशु ने इसे सिर्फ ढाई महीने में पूरा कर दिखाया। यह न सिर्फ उनकी व्यक्तिगत क्षमता का प्रमाण है, बल्कि भारत के मेहनती और समर्पित व्यक्तित्व का भी प्रतीक है।
“यह सिर्फ विज्ञान की विजय नहीं, बल्कि विश्वास की गूंज भी है। यह केवल भारत का गौरव नहीं है, बल्कि सम्पूर्ण मानवता की प्रगति का प्रमाण है।” – राजनाथ सिंह
भारत का अंतरिक्ष विज़न और आने वाले कदम
भारत आने वाले वर्षों में डीप स्पेस एक्सप्लोरेशन, स्पेस माइनिंग, और ऑर्बिटल सर्विसिंग जैसे क्षेत्रों में वैश्विक नेतृत्व हासिल करना चाहता है। रक्षा मंत्री ने कहा कि अंतरिक्ष से मिलने वाली तकनीकें आज भारत के गाँव-गाँव तक सेवा पहुंचा रही हैं – चाहे वह संचार उपग्रह हों, मौसम की निगरानी हो, या आपदा प्रबंधन। भविष्य में यह तकनीकें हमारी अर्थव्यवस्था और सुरक्षा को और भी मजबूत करेंगी।
निष्कर्ष
शुभांशु शुक्ला की उपलब्धि न सिर्फ विज्ञान और तकनीक के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह संदेश देती है कि “यदि हृदय में श्रद्धा हो और कर्म में शक्ति हो, तो आकाश भी हमारी सीमा नहीं।”
Attended the felicitation function of India’s Gaganyatris, Gp Capt Shubhanshu Shukla, Gp Capt PB Nair, Gp Capt Ajit Krishnan and Gp Capt Angad Pratap in New Delhi.
⁰Our astronauts are pioneers of India’s aspirations. India proudly stands tall among the world’s leading space… pic.twitter.com/mPd90OeEfn— Rajnath Singh (@rajnathsingh) August 24, 2025