नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शनिवार को एक सनसनीखेज दावा करते हुए कहा कि तीन विवादित कृषि कानूनों पर उनके विरोध के चलते तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने उन्हें धमकाया था। यह टिप्पणी उन्होंने विज्ञान भवन में आयोजित कांग्रेस के राष्ट्रीय कानूनी सम्मेलन में दी।
लेकिन, अरुण जेटली के पुत्र और दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (DDCA) के अध्यक्ष रोहन जेटली ने इस बयान को झूठा और भ्रामक बताया है। उन्होंने कहा कि उनके पिता का देहांत 2019 में हुआ था, जबकि कृषि कानून 2020 में संसद में पेश किए गए थे। ऐसे में राहुल गांधी का दावा तथ्यों के विरुद्ध है।
🔍 राहुल गांधी ने क्या कहा?
राहुल गांधी ने कहा—
“जब मैंने तीन कृषि कानूनों का विरोध किया, तो अरुण जेटली ने मुझसे कहा कि यदि मैं सरकार के खिलाफ लड़ता रहा तो मेरे खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। लेकिन मैंने साफ कर दिया कि कांग्रेस कायरों की पार्टी नहीं है। यह पार्टी कभी झुकी नहीं, चाहे वो अंग्रेजों के सामने हो या अब।”
उन्होंने कहा कि देश का संविधान सिर्फ एक किताब नहीं बल्कि भारत की सांस्कृतिक आत्मा और विरासत का प्रतीक है। उसमें बुद्ध, संतों और ऋषियों की विचारधारा बसती है। उन्होंने संविधान पर हो रहे राजनीतिक हमलों की आलोचना करते हुए कहा कि यह केवल कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि भारत की पहचान है।
🔥 प्रियंका गांधी की चेतावनी पर राहुल का जवाब
राहुल ने कहा कि उनकी बहन प्रियंका गांधी ने उन्हें चेताया था कि वह “आग से खेल रहे हैं”, लेकिन उन्होंने यह कहकर जवाब दिया कि—
“मुझे आग से खेलने का डर नहीं है, क्योंकि मेरे परिवार ने मुझे यही सिखाया है। डर को स्वीकार करना सबसे बड़ी कायरता है।”
🔁 रोहन जेटली का करारा पलटवार
रोहन जेटली ने X (पूर्व में ट्विटर) पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा:
“मेरे पिता 2019 में दिवंगत हुए थे और कृषि कानून तो 2020 में पेश हुए। ऐसे में राहुल गांधी का यह दावा पूरी तरह झूठ और बदनीयती से प्रेरित है।”
उन्होंने आगे कहा:
“मेरे पिता लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति कट्टर आस्थावान थे। वह किसी को भी धमकाने में विश्वास नहीं रखते थे, बल्कि खुले विचार-विमर्श और सहमति से समाधान निकालने के पक्षधर थे। राहुल गांधी को उन लोगों पर टिप्पणी करते समय संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का परिचय देना चाहिए जो अब इस दुनिया में नहीं हैं।”
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि राहुल गांधी ने पहले भी मनोहर पर्रिकर के अंतिम दिनों का राजनीतिकरण करने की कोशिश की थी, जो कि गंभीर और अपमानजनक था।