नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। छत्तीसगढ़ में दो ननों की गिरफ्तारी को लेकर सियासत गरमा गई है। नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले से तीन आदिवासी लड़कियों को आगरा ले जाने के दौरान केरल की दो ननों पर धर्मांतरण और मानव तस्करी का आरोप लगा है। इस घटनाक्रम का विरोध करते हुए कांग्रेस महासचिव और वायनाड सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने संसद परिसर के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया।
क्या है मामला?
दिनांक 25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन से दो ननों — सिस्टर प्रीथी मैरी और सिस्टर वंदना फ्रांसिस, एवं एक अन्य व्यक्ति सकुमन मंदावी को गिरफ्तार किया गया। उन पर नारायणपुर जिले की तीन आदिवासी लड़कियों को कथित रूप से धर्म परिवर्तन और मानव तस्करी के उद्देश्य से आगरा ले जाने का आरोप है।
इस गिरफ्तारी के पीछे एक स्थानीय बजरंग दल कार्यकर्ता की शिकायत को आधार बनाया गया है। इसके तहत पुलिस ने धार्मिक स्वतंत्रता और मानव तस्करी से संबंधित धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज किया है।
प्रियंका गांधी का विरोध प्रदर्शन
प्रियंका गांधी ने संसद भवन के सामने धरना देते हुए कहा:
“हम अल्पसंख्यकों पर इस तरह के हमले का विरोध कर रहे हैं। यह सिर्फ दो ननों का मामला नहीं है, यह महिलाओं और धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़ा सवाल है। सरकार कार्रवाई नहीं करती, लेकिन हम चुप नहीं बैठेंगे।”
उन्होंने इसे महिलाओं के खिलाफ अन्यायपूर्ण व्यवहार और धार्मिक भेदभाव करार दिया।
प्रियंका गांधी के प्रमुख बयान
“ननों को इस तरह से बंधक नहीं बनाया जा सकता। ये महिलाएं हैं, इनके साथ सम्मान का व्यवहार होना चाहिए।”
“हम संसद में इस मुद्दे को उठाते रहेंगे। यह सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि मानव अधिकारों का मामला है।”
“सरकार चुप है, लेकिन हम आवाज़ उठाते रहेंगे।”
वायनाड में भूस्खलन पर भी उठाई आवाज
वायनाड सांसद ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में पिछले वर्ष आए भूस्खलन की पीड़ितों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि:
“एक साल बाद भी लोग कठिनाई में हैं। केंद्र सरकार ने जो धनराशि भेजी, वह ऋण के रूप में भेजी गई, जबकि यह आर्थिक सहायता होनी चाहिए थी।”
प्रियंका ने केंद्र सरकार से ऋण माफी की मांग की ताकि वायनाड के लोग पुनर्वास और पुनर्निर्माण में सक्षम हो सकें।
राजनीतिक असर और अल्पसंख्यक अधिकारों की बहस
इस घटना ने राजनीतिक गलियारों में धर्मांतरण कानूनों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। प्रियंका गांधी का यह प्रतिरोध दर्शाता है कि कांग्रेस इस मुद्दे को राजनीतिक और सामाजिक दोनों मोर्चों पर गंभीरता से ले रही है।
इस मामले से जुड़े मुख्य बिंदु:
गिरफ्तारी: दो नन और एक अन्य व्यक्ति 25 जुलाई को दुर्ग से गिरफ्तार।
आरोप: धर्मांतरण और मानव तस्करी का प्रयास।
शिकायतकर्ता: बजरंग दल कार्यकर्ता।
प्रियंका गांधी का रुख: संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन, सरकार की निष्क्रियता पर सवाल।
निष्कर्ष
यह मामला केवल एक कानूनी विवाद नहीं, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता, महिला अधिकारों, और राजनीतिक हस्तक्षेप का प्रतीक बन चुका है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा संसद और सड़कों दोनों पर चर्चा का केंद्र बना रहेगा।
Some nuns from Kerala were badly ill-treated. They were accused of things they were not doing. They were manhandled and then taken away by the Chhattisgarh police. We are protesting against these kinds of attacks on minorities.
: Congress General Secretary & MP Smt.… pic.twitter.com/41lkThzSbW
— Congress (@INCIndia) July 30, 2025