-कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने चुनाव आयोग के रवैये पर कड़ा सवाल उठाया
नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा लगाए गए मतदाता सूची में धांधली के गंभीर आरोपों पर चुनाव आयोग (ECI) ने फैक्ट-चेक जारी करते हुए इन दावों को “भ्रामक” बताया है। आयोग ने राहुल गांधी से वोटर रजिस्ट्रेशन नियम 1960 के 20(3)(बी) के तहत शपथपत्र (हलफनामा) पर हस्ताक्षर करके महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को सौंपने को कहा, ताकि आवश्यक कार्रवाई हो सके।
हालाँकि, इस पूरे मामले पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने चुनाव आयोग के रवैये पर कड़ा सवाल उठाया और जांच न करने पर नाराज़गी जताई।
📌 “जांच क्यों नहीं हो रही?” — प्रियंका गांधी का सवाल
प्रियंका गांधी ने कहा,
“अगर कोई जानबूझकर गलती हुई है, तो आपको इसकी जांच करनी चाहिए। आप हमें मतदाता सूची क्यों नहीं दे रहे हैं? आप जांच क्यों नहीं कर रहे हैं? इसके बजाय आप कह रहे हैं कि हलफनामा साइन करके दो। इससे बड़ी शपथ क्या है जो हम सदन में लेते हैं?”
उन्होंने स्पष्ट किया कि याचिका के अनुसार 30 दिनों के भीतर हलफनामा दिया जा सकता है, लेकिन सिर्फ कागजी औपचारिकता की मांग करना और वास्तविक जांच न करना, पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है।
📌 “राहुल गांधी बड़ा खुलासा कर रहे हैं”
प्रियंका ने कहा कि राहुल गांधी ने लोकसभा में बताया कि एक विधानसभा क्षेत्र में एक लाख से अधिक फर्जी वोट दर्ज हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि
“जिस क्षेत्र में फर्जी वोट पड़ेगा, वहीं की जीत तय हो जाएगी। चुनाव लड़ने वाला समझ सकता है कि एक लाख से ज्यादा वोट का क्या असर होता है।”
📌 विपक्ष की रणनीति
जब विपक्ष की अगली रणनीति के बारे में पूछा गया तो प्रियंका गांधी ने कहा,
“इंडिया गठबंधन के नेता मिलकर तय करेंगे कि आगे क्या करना है। लेकिन यह सभी जानते हैं कि विधानसभा चुनाव में प्रत्येक वोट का कितना महत्व है। लगभग एक लाख मतदाताओं को हटाकर चुनाव नतीजों को प्रभावित किया जा सकता है।”
📌 शिक्षक वाला उदाहरण देकर निशाना
प्रियंका ने व्यंग्य करते हुए कहा,
“अगर आप टीचर से कहें कि मैम, चीटिंग हो रही है, तो क्या टीचर आपको थप्पड़ मारेंगी या जांच करेंगी? यहां तो शिकायत करने वाले से ही हलफनामा मांगा जा रहा है और कार्रवाई के बजाय सवाल उठाए जा रहे हैं।”
📌 बीजेपी के जवाब पर टिप्पणी
प्रियंका गांधी ने कहा कि बीजेपी नेताओं के जो जवाब सामने आ रहे हैं, वे खुद इस पूरे मामले को स्पष्ट कर देते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार और आयोग दोनों ही इस मुद्दे पर गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं।