Saturday, March 15, 2025
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बदलते वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में नवाचार और मजबूत साझेदारी की जरूरत: राजनाथ सिंह

बेंगलुरु, (वेब वार्ता)। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि उभरते वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में नवोन्मेषी दृष्टिकोण और मजबूत साझेदारी की जरूरत है। एयरो इंडिया 2025 के तहत आयोजित रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत का मानना ​​है कि कमजोर रहकर अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था और शांति सुनिश्चित नहीं की जा सकती।

सिंह ने कहा, ‘‘आज, संघर्षों की बढ़ती संख्या हमारे विश्व को और अधिक अप्रत्याशित स्थान बना रही है। वर्चस्व की नई लड़ाई, हथियार निर्माण के नए तरीके एवं साधन, सरकार से इतर तत्वों की बढ़ती भूमिकाएं तथा विघटनकारी प्रौद्योगिकियों ने विश्व व्यवस्था को और अधिक नाजुक बना दिया है।’’

साथ ही, सीमाओं की सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा के बीच का अंतर कम होता जा रहा है, क्योंकि ‘हाइब्रिड’ युद्ध (युद्ध का अपारंपरिक तरीका, जिसमें किसी विरोधी देश की सरकार को अस्थिर करने और कमजोर करने के लिए कूटनीति, राजनीति, मीडिया, साइबरस्पेस और सैन्य बल का प्रयोग किया जाता है) शांति काल में भी महत्वपूर्ण राष्ट्रीय बुनियादी ढांचे को निशाना बना सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘आज अग्रिम मोर्चे की परिभाषा तेजी से बदल रही है। इसके अलावा, साइबरस्पेस और बाहरी अंतरिक्ष के आयाम संप्रभुता की स्थापित परिभाषा को चुनौती दे रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरा दृढ़ विश्वास है कि उभरते वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य में नवीन दृष्टिकोण और मजबूत साझेदारी की आवश्यकता है। वैश्विक मंच पर भारत की भागीदारी सभी के लिए सुरक्षा और विकास को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता का उदाहरण है।’’

अधिकारियों के अनुसार, ‘हाइब्रिड मोड’ (भौतिक व डिजिटल माध्यम से भागीदारी) में आयोजित रक्षा मंत्रियों के सम्मेलन का उद्देश्य तेजी से विकसित हो रहे वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य के बीच मित्र देशों के साथ रक्षा सहयोग को मजबूत करना है। इस वर्ष का विषय ‘बिल्डिंग रेजिलिएंस थ्रू इंटरनेशनल डिफेंस एंड ग्लोबल इंगेजमेंट (ब्रिज)’ है, जो रक्षा क्षेत्र में आपूर्ति श्रृंखला में लचीलापन और रणनीतिक सहयोग के महत्व को रेखांकित करता है।

अधिकारियों ने पहले कहा था कि सम्मेलन में 80 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों के भाग लेने की संभावना है और मित्र देशों के रक्षा/सेना प्रमुखों एवं स्थायी सचिवों के अलावा लगभग 30 रक्षा मंत्री भी इस कार्यक्रम में भाग लेंगे।

शांति सुनिश्चित करने के लिए भारत के दृढ़ विश्वास को दोहराते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘हम अपनी रक्षा क्षमताओं में बदलाव लाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। हमने एक बहुत ही अनुकूल नीति व्यवस्था लागू की है जो आधुनिक अत्याधुनिक भूमि, समुद्री और वायु प्रणालियों की एक पूरी श्रृंखला में निवेश तथा उत्पादन को प्रोत्साहित करती है।’’ उन्होंने कहा कि रक्षा में अनुसंधान, विकास और नवाचार के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में भारत का उभरना हमारी क्षमताओं और आकांक्षाओं का प्रमाण है।

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