Friday, August 1, 2025
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मोदी ने तमिलनाडु में 4800 करोड़ रुपये की परियोजना का किया लोकार्पण-शिलान्यास

चेन्नई/नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को तमिलनाडु में तूतीकोरिन हवाई अड्डे पर नये टर्मिनल भवन के उद्घाटन के साथ ही कई विकास परियोजनाओं की शुरुआत की, जिससे राज्य के दक्षिणी जिलों में आर्थिक विकास को बड़ी गति मिलेगी।

श्री मोदी ने राज्य के दक्षिणी तूतीकोरिन जिले में 4800 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी और राष्ट्र को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि तूतीकोरिन हवाई अड्डे पर नया टर्मिनल भवन, विशेष रूप से तमिलनाडु के दक्षिणी भाग में वाणिज्य और संपर्क के लिए परिवर्तनकारी कदम होगा। उन्होंने कुशल क्षेत्रीय संपर्क के लिए 3600 करोड़ रुपये से अधिक की कई रेल और सड़क परियोजनाओं को भी राष्ट्र को समर्पित किया।

श्री मोदी ने आज जिन परियोजनाओं का उद्घाटन किया, उनसे क्षेत्रीय संपर्क और रसद दक्षता में वृद्धि होगी। स्वच्छ ऊर्जा अवसंरचना को मजबूती मिलेगी और तमिलनाडु के नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार होगा।

विश्व स्तरीय हवाई अवसंरचना विकसित करने और संपर्क बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप श्री मोदी ने तूतीकोरिन हवाई अड्डे पर लगभग 450 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित नये टर्मिनल भवन का उद्घाटन किया, जिसे दक्षिणी क्षेत्र की बढ़ती विमानन मांगों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। उन्होंने तूतीकोरिन हवाई अड्डे पर नये टर्मिनल भवन का अवलोकन भी किया।

सत्रह हजार 340 वर्ग मीटर में फैले इस टर्मिनल में व्यस्त समय में 1,350 यात्रियों और सालाना 20 लाख यात्रियों को लाने-ले जाने की क्षमता है। आने वाले समय में इसकी क्षमता बढ़ाकर 1,800 व्यस्त समय में 25 लाख यात्री प्रति वर्ष की जा सकती है। 100 प्रतिशत एलईडी लाइटिंग, ऊर्जा-कुशल ईएंडएम सिस्टम और ऑन-साइट सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के माध्यम से उपचारित जल के पुन: उपयोग के साथ इस टर्मिनल को जीआरआईएचए -4 सस्टेनेबिलिटी रेटिंग प्राप्त करने के लिए बनाया गया है।

यह आधुनिक बुनियादी ढांचा क्षेत्रीय हवाई संपर्क को बढ़ायेगा और दक्षिणी तमिलनाडु में पर्यटन, व्यापार और निवेश में वृद्धि करेगा। सड़क अवसंरचना क्षेत्र में प्रधानमंत्री ने दो महत्वपूर्ण राजमार्ग परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया।

परियोजना एनएच-36 के 50 किलोमीटर लंबे सेठियाथोप-चोलापुरम खंड को 4-लेन बनाना है, जिसे विक्रवंडी-तंजावुर कॉरिडोर के तहत 2,350 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से निर्मित किया गया है। इसमें तीन बाईपास, कोल्लिडम नदी पर एक किलोमीटर लंबा चार लेन का पुल, चार प्रमुख पुल, सात फ्लाईओवर और कई अंडरपास शामिल हैं। इससे सेठियाथोप-चोलापुरम के बीच यात्रा का समय 45 मिनट कम हो जाएगा और डेल्टा क्षेत्र के सांस्कृतिक और कृषि केंद्रों से संपर्क बढ़ेगा।

एक अन्य परियोजना 5.16 किलोमीटर लंबे एनएच-138 तूतीकोरिन पोर्ट रोड को छह लेन का बनाना है, जिसका निर्माण लगभग 200 करोड़ रुपये की लागत से हुआ है। अंडरपास और पुलों की सुविधा के साथ यह कार्गो प्रवाह को आसान बनाएगा, परिवहन लागत में कटौती करेगा और वी.ओ. चिदंबरनार पोर्ट के आसपास बंदरगाह-आधारित औद्योगिक विकास को समर्थन देगा।

पोर्ट बुनियादी अवसंरचना और स्वच्छ ऊर्जा पहलों को बढ़ाने के लिए एक बड़े प्रोत्साहन के रूप में श्री मोदी ने वीओसी पोर्ट पर लगभग 285 करोड़ रुपये की लागत से 6.96 एमएमटीपीए की कार्गो हैंडलिंग क्षमता वाले नॉर्थ कार्गो बर्थ-तृतीय का उद्घाटन किया। इससे क्षेत्र में ड्राई बल्क कार्गो की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी, जिससे समग्र बंदरगाह दक्षता में सुधार होगा और कार्गो हैंडलिंग लॉजिस्टिक्स का अनुकूलन होगा।

तिरुवनंतपुरम-कन्याकुमारी परियोजना के अंतर्गत 21 किलोमीटर लंबे नागरकोइल टाउन-कन्याकुमारी खंड का 650 करोड़ रुपये की लागत से दोहरीकरण, जिससे तमिलनाडु और केरल के बीच संपर्क मजबूत होगा।

इसके अतिरिक्त अरलवयमोझी-नागरकोइल जंक्शन (12.87 किमी) और तिरुनेलवेली-मेलाप्पालयम (3.6 किमी) खंडों का दोहरीकरण, जिससे चेन्नई-कन्याकुमारी जैसे प्रमुख दक्षिणी मार्गों पर यात्रा का समय कम होगा और यात्री और माल ढुलाई क्षमता में सुधार करके क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा मिलेगा।

राज्य के विद्युत बुनियादी ढांचे को मजबूत प्रदान करते हुए प्रधानमंत्री ने एक प्रमुख विद्युत पारेषण परियोजना – कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र की इकाई तीन और चार (2×1000 मेगावाट) से बिजली आपूर्ति के लिए अंतर-राज्यीय पारेषण प्रणाली (आईएसटीएस) की आधारशिला रखी।

लगभग 550 करोड़ रुपये की लागत से विकसित इस परियोजना में कुडनकुलम से तूतीकोरिन-द्वितीय जीआईएस सबस्टेशन और संबंधित टर्मिनल उपकरणों तक 400 केवी (क्वाड) डबल-सर्किट ट्रांसमिशन लाइन शामिल होगी।

यह राष्ट्रीय ग्रिड को मजबूत करने, विश्वसनीय स्वच्छ ऊर्जा वितरण सुनिश्चित करने और तमिलनाडु तथा अन्य लाभार्थी राज्यों की बढ़ती बिजली मांगों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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