पोर्ट लुईस/नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को मॉरिशस में भारतीय मूल के नागरिकों की सातवीं पीढ़ी को भी ओसीआई (ओवरसीज सीटिजन ऑफ इंडिया) कार्ड के पात्र बनाने के निर्णय की घोषणा की। श्री मोदी दो दिवसीय मॉरिशस यात्रा पर आज सुबह यहां पहुंचे और बुधवार को मॉरिशस के राष्ट्रीय दिवस कार्यक्रम में भाग लेंगे।
श्री मोदी ने यहां शाम को मॉरिशस में भारतीय समुदाय द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में यह घोषणा करते हुए कहा, “एक फैसला किया गया है कि मॉरिशस में रह रहे प्रवासी भारतीयों की सातवीं पीढ़ी तक को ओसीआई कार्ड के लिए पात्र माना जायेगा। मुझे मॉरिशस के राष्ट्रपति और उनकी धर्मपत्नी को यह कार्ड ओसीआई प्रस्तुत करने का आज सौभाग्य मिला। इसी तरह मैं मॉरिशस के प्रधानमंत्री और उनकी पत्नी को भी यह सम्मान भेंट करते हुए गौरव महसूस कर रहा हूँ।”
श्री मोदी ने समारोह में कहा, “मैं जब मॉरिशस आता हूँ तो ऐसा लगता है कि मैं अपनों के बीच आया हूँ। यहां की हवा में, यहां की मिट्टी में, यहां के पानी में अपनेपन का अहसास होता है।” श्री मोदी के साथ कार्यक्रम में मॉरीशस प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम और उनकी पत्नी भी मौजूद थीं। उनके सम्मान में कार्यक्रम के प्रारम्भ में दोनों देशों के राष्ट्रगान बजाए गए। श्री मोदी ने इस अवसर पर मॉरीशस के प्रधानमंत्री और उनकी पत्नी वीना रामगुलाम को भारतीय मूल के प्रवासियों को दिये जाने वाला ओसीआई कार्ड प्रदान किया।
इससे पहले दिन में प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति गोकुल के साथ एक मुलकात में उन्हें और मॉरिशस की प्रथम महिला वृंदा गोकुल को ओसीआई कार्ड सौंपे तथा उपहार के रूप में बनारसी रेशम साड़ी और गणेश प्रतिमा के अलावा बिहार का मखाना भेंट किया था।
स्वागत समारोह में श्री रामगुलाम ने प्रधानमंत्री मोदी को मॉरिशस का सर्वोच्च सम्मान पुरस्कार ‘द ग्रैंड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार एंड की ऑफ द इंडियन ओशन’ की घोषणा की।
श्री मोदी ने कहा, “मॉरिशस के लोगों ने, यहां की सरकार ने मुझे अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने का फैसला किया है। मैं आपके निर्णय को विनम्रता से स्वीकार करता हूँ । यह भारत और मॉरिशस के ऐतिहासिक रिश्तों का सम्मान है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि मॉरिशस के राष्ट्रीय दिवस पर पिछले साल भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु मुख्य अतिथि थी। यह दर्शाता है कि दोनों देशों के संबंध कितने गहरे हैं। उन्होंने कहा कि मॉरिशस का राष्ट्रीय दिवस 12 मार्च को पड़ता है जो दोनों देशों के साझे इतिहास की भी झलक है। इसी दिन महात्मा गांधी ने अन्याय और दमन के खिलाफ दंडी सत्याग्रह शुरू किया था।
श्री मोदी ने 1998 में यहां हुए अंतर्राष्ट्रीय रामायण सम्मेलन में अपनी भागीदारी को भी याद किया। वह उस समय एक सामान्य कार्यकर्ता के तौर पर यहां आये थे। उन्होंने कहा, “संजोग देखिये कि नवीन जी उस समय भी प्रधानमंत्री थे। जब में प्रधानमंत्री बना तो नवीन जी मेरे शपथग्रहण समारोह में हिस्सा लेने दिल्ली आये थे।” प्रधानमंत्री ने कहा कि मॉरिशस के प्रधानमंत्री में प्रभु राम और रामायण के प्रति जो आस्था, भाव सालों पहले महसूस किया था उसका अनुभव उन्हें आज भी होता है।
प्रधानमंत्री ने उपस्थित समुदाय से कहा कि हमारे पूर्वजों को भारत के विभिन्न क्षेत्र से यहां लाया गया था। जब हम यहां भाषा, बोलियाें और खानपान की विविधता देखते हैं तो लगता है कि मॉरिशस एक लघु हिन्दुस्तान है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में रामलला के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा आयोजन से हमारा पांच सौ साल का इंतजार खत्म हुआ। उस समय भारत में जो उत्सव था, यहां मॉरिशस में भी उतना ही बड़ा महोत्सव देखा था। मॉरिशस में उस दिन आधे दिन का अवकाश घोषित किया गया था।
श्री मोदी ने कहा, “भारत और मॉरिशस के बीच आस्था का यह संबंध हमारी मित्रता का बहुत बड़ा आधार है।” प्रधानमंत्री ने उपस्थित जन समुदाय को प्रयागराज में कुछ दिन पहले संपन्न भव्य महाकुम्भ आयोजन के बारे में बताया और कहा कि मॉरिशस के जो लोग चाह कर भी महाकुम्भ में न आ पाये, उनकी भावनाओं को ध्यान करते हुए “मैं आपके लिए पवित्र संगम का और महाकुम्भ के उसी समय का पवित्र जल लेकर आया हूँ। इस पवित्र जल को कल गंगा तालाब को अर्पित किया जायेगा।