नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर अमेरिका द्वारा परमाणु बम गिराए जाने की भयावह त्रासदी की 80वीं वर्षगांठ पर सोमवार को भारतीय लोकसभा में उन निर्दोष पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी गई। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सदन की कार्यवाही शुरू करते हुए इस दुखद घटना को याद किया और सदस्यों से मौन रखकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने की अपील की।
80 साल पहले हुई थी मानवता पर सबसे बड़ी मार
6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर “लिटिल बॉय” नामक परमाणु बम गिराया था और इसके तीन दिन बाद 9 अगस्त को नागासाकी पर “फैट मैन” नामक बम। इस हमले में लाखों निर्दोष नागरिक मारे गए, जबकि हज़ारों लोग जीवनभर के लिए अपंग और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हो गए।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने इस अवसर पर कहा, “यह घटना दुनिया के इतिहास में सबसे त्रासदीपूर्ण घटनाओं में से एक है। इससे दुनिया को पहली बार परमाणु हथियारों के विनाशकारी प्रभाव का पता चला था।”
परमाणु हथियारों के उन्मूलन की पुनः प्रतिज्ञा
बिड़ला ने कहा कि भारत की संसद यह संकल्प दोहराती है कि दुनिया को सामूहिक विनाश के हथियारों से मुक्त कराने के लिए हमें मिलकर काम करना होगा। भारत हमेशा से वैश्विक शांति, अहिंसा और सौहार्द्र का समर्थक रहा है और आगे भी रहेगा।
उन्होंने कहा, “यह सभा यह भी संकल्प लेती है कि हम वैश्विक शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए परमाणु हथियारों के उन्मूलन हेतु निरंतर प्रयासरत रहेंगे।”
सदन में रखा गया मौन
श्रद्धांजलि स्वरूप लोकसभा में सभी सांसदों ने कुछ पल का मौन रखा और जापान की उस भीषण त्रासदी में मारे गए निर्दोष नागरिकों के प्रति संवेदना प्रकट की। यह कदम एक ऐसे समय में विशेष महत्व रखता है जब विश्व में फिर से सामरिक तनाव और हथियारों की दौड़ तेज होती जा रही है।
भारत का वैश्विक दृष्टिकोण और गांधी का मार्ग
भारत ने हमेशा शांति, अहिंसा और सहअस्तित्व की नीति को अपनाया है। महात्मा गांधी के सिद्धांतों को आधार बनाकर भारत ने परमाणु हथियारों के पूर्णतः उन्मूलन की वकालत की है। भारत का मानना है कि केवल सैन्य शक्ति से नहीं, बल्कि संवाद, सहयोग और समर्पण से ही स्थायी शांति संभव है।
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारत की भूमिका
भारत ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों जैसे संयुक्त राष्ट्र, G-20, BRICS आदि में हमेशा परमाणु हथियारों की समाप्ति और विश्व शांति की आवश्यकता को प्रमुखता से उठाया है। भारत ने परमाणु हथियार न फैलने की संधि (NPT) पर भी अपने विचारों को स्पष्ट किया है और पारदर्शी एवं न्यायसंगत वैश्विक परमाणु शासन की मांग की है।