नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शनिवार को एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर लोकतंत्र और संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि सत्ता में बैठे लोगों की विचारधारा संविधान विरोधी है और वह न्यायपालिका, चुनाव आयोग तथा उपराष्ट्रपति जैसी संस्थाओं की स्वायत्तता खत्म कर संसदीय परंपराओं को नष्ट कर रहे हैं।
वह विज्ञान भवन में कांग्रेस विधि विभाग के वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान सिर्फ एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि देश की लोकतांत्रिक आत्मा है। लेकिन आज इसी आत्मा पर हमला किया जा रहा है।
🛑 भाजपा-आरएसएस की मंशा पर सवाल
खरगे ने स्पष्ट किया कि भाजपा और आरएसएस संविधान की प्रस्तावना से “समाजवाद” और “धर्मनिरपेक्षता” जैसे शब्द हटाने के पक्षधर हैं, जबकि यह दोनों शब्द खुद उनके पार्टी संविधान में शामिल हैं। यह दोहरापन उनकी असली मंशा को उजागर करता है।
उन्होंने कहा, “इनकी विचारधारा संविधान विरोधी है, और इसलिए ये संस्थानों की स्वायत्तता को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं।”
⚖️ न्यायपालिका और चुनाव आयोग की स्वतंत्रता खतरे में
खरगे ने कहा कि जब एक न्यायाधीश किसी धर्म विशेष के लोगों के लिए अपमानजनक टिप्पणी करता है और उस पर कोई कार्रवाई नहीं होती, तब यह लोकतंत्र नहीं बल्कि तानाशाही का संकेत होता है। चुनाव आयोग से लेकर मीडिया तक सभी संस्थाओं को नियंत्रित करने का प्रयास लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव आयोग द्वारा आधार कार्ड, राशन कार्ड और अन्य दस्तावेजों को मतदाता प्रमाण नहीं मानना वोटर अधिकार को सीमित करने की साजिश है।
📉 शिक्षा, स्वास्थ्य और अवसरों में असमानता
कांग्रेस अध्यक्ष ने शिक्षा और स्वास्थ्य प्रणाली की गिरती स्थिति पर भी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि निजीकरण के चलते उच्च शिक्षा आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गई है।
“एक सामान्य स्नातक की डिग्री के लिए अब 60 लाख रुपये तक का शुल्क देना पड़ता है। सरकारी स्कूल बंद कर निजी स्कूलों को बढ़ावा दिया जा रहा है।”
🛑 लोकतंत्र पर खतरे के संकेत
खरगे ने विपक्षी दलों के नेताओं पर झूठे मुकदमे चलाए जाने, राज्य सरकारों को गिराने और सूचना के अधिकार (RTI) को कमजोर करने की घटनाओं को लोकतंत्र की हत्या करार दिया। उन्होंने कहा कि यह सब ‘तानाशाही मानसिकता’ के तहत किया जा रहा है।
🏛️ संसद में स्वायत्तता पर हमले
खरगे ने राज्यसभा में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को एक बड़ी साजिश बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि जैसे ही उपराष्ट्रपति ने न्यायिक अभियोग के प्रस्ताव पर कार्यवाही शुरू की, सरकार ने उन्हें पद से हटने पर मजबूर किया।
“यह पहली बार हुआ है कि किसी उपराष्ट्रपति को अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करने पर इस्तीफा देना पड़ा। यह संस्थाओं पर कब्जे का सबसे बड़ा प्रमाण है।”
🚨 CISF की संसद में तैनाती पर आपत्ति
खरगे ने संसद में अर्धसैनिक बल CISF की तैनाती को अलोकतांत्रिक बताया और इसे विपक्षी सांसदों को डराने की रणनीति करार दिया। उन्होंने कहा कि संसद की अपनी सुरक्षा सेवा होती है, जिसे खत्म कर सीधे गृह मंत्रालय को जवाबदेह बल को तैनात करना अनुचित है।
📢 बड़ा आंदोलन छेड़ने की घोषणा
खरगे ने एलान किया कि कांग्रेस संविधान और लोकतांत्रिक संस्थाओं को बचाने के लिए बड़ा आंदोलन शुरू करेगी। उन्होंने कहा कि जो राज्य भाजपा शासित हैं, वहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं को झूठे मुकदमों में फंसाकर प्रताड़ित किया जा रहा है।
“हम डरेंगे नहीं, झुकेंगे नहीं। संविधान को बचाने के लिए कांग्रेस पूरी ताकत से मैदान में उतरेगी।”