Thursday, July 31, 2025
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जेपी नड्डा ने तत्कालीन संप्रग सरकार पर आतंकवाद से निपटने में ढिलाई बरतने का लगाया आरोप

नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान बुधवार को सदन के नेता जेपी नड्डा ने तत्कालीन कांग्रेस-नीत संप्रग सरकार को आईना दिखाते हुए आतंकवाद से निपटने में ढिलाई बरतने का आरोप लगाया। नड्डा ने संप्रग सरकार के दस साल और मोदी सरकार में आतंकवाद से निपटने के उठाए गए कदमों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 2005 के दिल्ली सीरियल बम धमाकों, 2006 के वाराणसी बम धमके और 2006 के मुंबई लोकल ट्रेनों में हुए बम धमाकों के बावजूद तत्कालीन संप्रग सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।

नेता सदन नड्डा ने कहा कि जौनपुर में श्रमजीवी एक्सप्रेस में हरकत-उल-जिहाद ने बम ब्लास्ट किया था। 14 लोग मारे गए और 62 घायल हुए, लेकिन उस वक्त कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। हमसे पूछा जा रहा है कि पहलगाम का क्या हुआ। वो पहले खुद के गिरेबान में झांक कर देखें।

सदन में पहलगाम घटना की निंदा करते हुए नड्डा ने कहा कि राजनीतिक नेतृत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। क्योंकि यही नेतृत्व है जो सेना को आदेश देता है। इसलिए एक ज़िम्मेदार सरकार, एक संवेदनशील सरकार और परिस्थिति के अनुसार प्रतिक्रिया देने वाली सरकार के बीच स्पष्ट अंतर है। इंडियन मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा ने मिलकर मुंबई ट्रेन में बम ब्लास्ट किया। 209 लोग मारे गए, 700 से अधिक घायल हुए। वहीं प्रधानमंत्री मोदी पहलगाम की घटना की खबर मिलते ही साउदी अरब की अपनी यात्रा को बीच में छोड़ कर स्वदेश लौटे। हमारी संवेदनशील सरकार है। घटना की जानकारी मिलते ही शाम पांच बजे अमित शाह घटनास्थल पर पहुंच चुकेथे। ऑपरेशन सिंदूर चला कर पाकिस्तान स्थित आतंकवादी ठिकानों को मिटा दिया।

नड्डा ने कहा कि मोदी सरकार समय पर एक्शन लेती है। पहलगाम की घटना को अकेले नहीं देखना, संपूर्णता में देखने की जरूरत है। उन्होंने साल 2004-2014 और 2014 -2025 में सरकार की तुलना करते हुए जे पी नड्डा ने कहा कि पहले आतंकवादी हमलों पर कार्रवाई नहीं की जाती थी। राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं थी। हमले होते रहे, सरकार मिठाई खिलाती रही, लेकिन मोदी सरकार ने दुनिया को संदेश दिया कि आतंकवाद और बातचीत दोनों एक साथ नहीं चलेगी। उन्होंने कहा कि इस सरकार में पिछले दस सालों में जम्मू कश्मीर को छोड़ कर देश में कही भी आतंकवादी घटनाएं नहीं हुईं। कांग्रेस के समय 7217 आतंकवादी घटनाएं हुई थीं।

पिछले दस साल में यह घटनाएं घटकर 2015 हो गई हैं। इनमें मरने वालों की संख्या में भी कमी आई है। 2004 से 2014 के बीच आतंकवादी घटनाओं में 1770 नागरिकों की मौत हुई थी जबकि एनडीए सरकार में यह संख्या घटकर 357 रही यानि 70 फीसदी की कमी आई है। कांग्रेस के शासन काल में आतंकवादी घटनाओं में 1060 सैनिकों की मौत हुई जबकि मौजूदा सरकार में 542 सैनिकों की मौत हुई है। वहीं, आतंकवादियों की मौत का प्रतिशत 123 हो गया है। साफ दिखाई दे रहा है कि कैसे देश का राजनीतिक नेतृत्व अलग है।

नड्डा ने कहा कि 1947 के बाद यह पहली बार था जब भारतीय प्रधानमंत्री ने खुलकर कहा कि (उरी) हमले के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा… और तीन दिनों के भीतर सर्जिकल स्ट्राइक की गईं और आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया गया। यह बदलता भारत है। प्रधानमंत्री देश के साथ दुनिया को संदेश देते हैं। उन्होंने कहा कि उन लोगों की तुलना में राजनीतिक इच्छाशक्ति देखिए जिन्होंने कहा था कि हम देखेंगे कि क्या करना है। नड्डा ने कहा कि एक पूर्व रक्षा मंत्री ने कहा था, भारत की नीति है कि रक्षा सीमाओं का विकास न करना है। अविकसित सीमा विकसित सीमा से ज़्यादा सुरक्षित है।

उन्होंने कहा कि कश्मीर में बदलाव हो रहा है। वहां पहले 2654 पत्थर फेंकने की घटनाएं हुआ करती थी, साल में 132 दिन तक शहर बंद रहा करता था। लेकिन अब स्थानीय आंतकवाद खत्म हो गया है। सात दिन के अंदर आतंकवादी का खातमा हो जाता है। पहलगाम घटना के अंजाम देने वाले ऑपरेशन महादेव के तहत मारे गए हैं। उन्होंने विपक्ष का भी आभार व्यक्त करते हुए कहा कि गम टीम इंडिया के रूप में 32 देशों में डेलिगेशन ले कर गए और देश की बात रखी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी पहलगाम आतंकवादी घटना की निंदा की। देश का सवाल है विपक्ष को भी साथ देना चाहिए।

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