नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। हाल ही में एक एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा से मुलाकात की थी। दलाई लामा से मुलाकात करने वाले दल में पूर्व यूएस हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी भी शामिल थी। इस मुलाकात को लेकर चीन की सरकार ने कड़ी आपत्ति जाहिर की थी। हालांकि, आज शुक्रवार को भारत ने चीन को दलाई लामा के मामले में दो टूक जवाब दे दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि दलाई लामा एक सम्मानित धार्मिक नेता हैं।
क्या बोला भारत?
शुक्रवार को भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि मैं परम पावन दलाई लामा पर भारत की स्थिति को दोहराना चाहूंगा। वह एक सम्मानित धार्मिक नेता हैं और भारत के लोग उनका गहरा सम्मान करते हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि दलाई लामा को उनकी धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों के संचालन के लिए उचित शिष्टाचार और स्वतंत्रता दी गई है।
क्यों शुरू हुआ विवाद?
दलाई लामा से मुलाकात करने वाले अमेरिकी संसद की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष माइकल मैककॉल ने कहा था कि तिब्बती लोगों को आत्मनिर्णय का अधिकार है। उन्होंने जोर देकर यह भी कहा कि उनकी (तिब्बतियों की) एक अनूठी संस्कृति और धर्म है और उन्हें अपने धर्म का स्वतंत्र रूप से पालन करने में सक्षम होना चाहिए। यही कारण है कि हम आज ‘चीन की कम्युनिस्ट पार्टी’ की अवहेलना करते हुए यहां पहुंचे हैं।