नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। देश के वरिष्ठ राजनेता और पूर्व राज्यपाल चौधरी सत्यपाल मलिक का मंगलवार को 79 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे बीते दो महीने से दिल्ली स्थित राम मनोहर लोहिया (RML) अस्पताल में भर्ती थे, जहाँ उन्होंने अंतिम सांस ली। सत्यपाल मलिक के निधन से राजनीतिक, प्रशासनिक और सामाजिक जगत में गहरा शोक फैल गया है।
लंबे समय से चल रहा था इलाज
मलिक को मई 2025 में गंभीर मूत्र संक्रमण और किडनी की विफलता के चलते अस्पताल में भर्ती किया गया था। उनकी हालत लगातार गंभीर बनी रही। उन्होंने स्वयं सोशल मीडिया पर अपनी तबीयत को लेकर जानकारी दी थी और मदद के लिए संपर्क नंबर भी साझा किया था। उनका अंतिम संदेश, एक संवेदनशील अपील के रूप में वायरल हुआ था।
राजनीतिक जीवन की उल्लेखनीय यात्रा
सत्यपाल मलिक का सार्वजनिक जीवन चार दशकों से अधिक लंबा रहा। वे 2017 में बिहार के राज्यपाल बने, इसके बाद उन्होंने ओडिशा, जम्मू‑कश्मीर, गोवा और मेघालय के राज्यपाल के रूप में कार्य किया।
उनका सबसे उल्लेखनीय कार्यकाल जम्मू‑कश्मीर में रहा, जहाँ उनके शासनकाल के दौरान ही अनुच्छेद 370 को हटाने जैसा ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। यह कदम भारत के संवैधानिक इतिहास में एक मील का पत्थर माना जाता है।
ईमानदार और स्पष्टवक्ता नेता
मलिक अपने बेबाक और ईमानदार विचारों के लिए जाने जाते थे। उन्होंने भ्रष्टाचार के विरुद्ध कई मंचों से आवाज़ उठाई थी और समय-समय पर केंद्र सरकार सहित कई संस्थानों की कार्यप्रणाली पर खुलकर टिप्पणी की थी।
आधिकारिक पुष्टि
उनके निधन की पुष्टि उनके आधिकारिक X (पूर्व ट्विटर) अकाउंट के माध्यम से की गई। पोस्ट में लिखा गया:
पूर्व गवर्नर चौधरी सत्यपाल सिंह मलिक जी नहीं रहें।#satyapalmalik
— Satyapal Malik (@SatyapalMalik6) August 5, 2025
देशभर से श्रद्धांजलियाँ
उनकी मृत्यु की खबर फैलते ही राजनीतिक नेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों और सामाजिक संगठनों की ओर से श्रद्धांजलियों की बाढ़ आ गई। प्रधानमंत्री से लेकर विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री, राज्यपालों और मंत्रियों ने मलिक के योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
निष्कर्ष
चौधरी सत्यपाल मलिक का जीवन ईमानदारी, पारदर्शिता और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक रहा। वे एक ऐसे राजनीतिज्ञ थे जिन्होंने संवैधानिक पदों पर रहते हुए भी जनसरोकारों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। देश ने एक सच्चा जनसेवक खो दिया है।