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चुनाव आयोग करेगा देशभर में वोटर वेरिफिकेशन, 10 सितंबर को दिल्ली में होगी महत्वपूर्ण बैठक

नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। चुनाव आयोग (ECI) ने देशभर में मतदाता सूची को अपडेट और पारदर्शी बनाने के लिए वोटर वेरिफिकेशन प्रक्रिया शुरू करने का फैसला किया है। यह कदम बिहार विधानसभा चुनावों से पहले उठाया गया है, जहां हाल ही में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विवाद हो रहा था। आयोग ने 10 सितंबर को दिल्ली में मुख्य चुनाव अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है, जिसमें वर्ष के अंत तक वोटर वेरिफिकेशन को पूरे देश में लागू करने का अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

वोटर वेरिफिकेशन का उद्देश्य: मतदाता सूची को शुद्ध और विश्वसनीय बनाना

चुनाव आयोग का यह कदम Special Intensive Revision (SIR) को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की दिशा में है, जो बिहार में जून-जुलाई में शुरू किया गया था। SIR का मुख्य लक्ष्य डुप्लिकेट वोटरों, मृत मतदाताओं, और प्रवासित व्यक्तियों को सूची से हटाना है, ताकि मतदान प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी हो। बिहार में इस प्रक्रिया के दौरान 78.9 मिलियन वोटरों का सत्यापन किया गया, जिसमें 6.5 मिलियन नाम हटाए गए (2.2 मिलियन मृत, 700,000 डुप्लिकेट, और 3.6 मिलियन प्रवासी)।

आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली बैठक में 10 प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा होगी, जिसमें मौजूदा वोटरों की संख्या, पिछली SIR की स्थिति, डिजिटाइजेशन, पोलिंग स्टेशनों का तर्कसंगतकरण, और BLOs (Booth Level Officers) की नियुक्ति एवं प्रशिक्षण शामिल हैं। बिहार में SIR 30 सितंबर तक चलेगा, और राष्ट्रीय स्तर पर इसे समानांतर रूप से लागू किया जाएगा।

बिहार SIR विवाद: विपक्ष की आलोचना और सुप्रीम कोर्ट की भूमिका

बिहार में SIR को लेकर विपक्षी दलों ने कड़ी आलोचना की है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे “वोट चोरी” का माध्यम बताते हुए दावा किया कि 2024 लोकसभा चुनावों में अनियमितताओं के कारण उनकी पार्टी को 48 सीटें गंवानी पड़ीं। उन्होंने महादेवपुरा जैसे क्षेत्रों में 100,000 से अधिक फर्जी वोटरों का उदाहरण दिया, जिसमें डुप्लिकेट वोटर, अमान्य पते, और एक ही स्थान पर बल्क रजिस्ट्रेशन शामिल थे।

चुनाव आयोग ने इन आरोपों को “असंगत और भ्रामक” बताते हुए खारिज किया है। आयोग का कहना है कि SIR डुप्लिकेट और मृत वोटरों को हटाने के लिए है, लेकिन आलोचकों का मानना है कि जल्दबाजी के कारण प्रवासियों और अल्पसंख्यकों के नाम गलत तरीके से हटाए गए। सुप्रीम कोर्ट इसकी सुनवाई कर रहा है और नाम हटाने के कारणों की मांग कर रहा है। कोर्ट ने कहा कि यह “ट्रस्ट डेफिसिट” का मामला लगता है, लेकिन यदि बड़े पैमाने पर वोटरों को हटाया साबित हुआ तो हस्तक्षेप करेगा।

राहुल गांधी ने बिहार में Voter Adhikar Yatra शुरू की है, जो 16 दिनों की 1,300 किमी यात्रा है, ताकि मतदाता अधिकारों पर जागरूकता फैलाई जा सके। विपक्ष impeachment motion पर विचार कर रहा है, लेकिन संख्या की कमी के कारण यह संभव नहीं लग रहा।

राष्ट्रीय स्तर पर वेरिफिकेशन: साल के अंत तक लक्ष्य

चुनाव आयोग ने जून में बिहार SIR के आदेश में ही राष्ट्रीय स्तर पर इसे लागू करने का संकेत दिया था। Representation of the People Act, 1950 की धारा 21 के तहत आयोग को मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण करने का अधिकार है। दिल्ली बैठक में आधार को प्रमाण के रूप में शामिल करने के सुझाव भी मांगे गए हैं। आयोग का लक्ष्य वर्ष के अंत तक लगभग 1 अरब वोटरों का सत्यापन करना है, ताकि आगामी चुनावों में पारदर्शिता सुनिश्चित हो।

जनता और विपक्ष की प्रतिक्रिया

विपक्ष का कहना है कि SIR से लाखों वोटर वंचित हो रहे हैं, खासकर प्रवासी मजदूर। CSDS सर्वे के अनुसार, 2025 में ECI पर विश्वास में कमी आई है – उत्तर प्रदेश में 11% से बढ़कर 31% लोग ECI पर भरोसा नहीं करते। आयोग ने डिजिटल वोटर रोल जारी करने और नाम हटाने के कारणों को स्पष्ट करने का वादा किया है।

यह प्रक्रिया बिहार चुनावों (नवंबर 2025) से पहले महत्वपूर्ण है, जहां मतदाता सूची की शुद्धता पर सवाल उठ रहे हैं।

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वेब वार्ता समाचार एजेंसी

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