चेन्नई, (वेब वार्ता)। अमेरिकी उपग्रह ब्लू बर्ड-2 के आगामी प्रक्षेपण के लिए शनिवार को इसरो के एलवीएम3 प्रक्षेपण यान के क्रायोजेनिक अपर स्टेज इंजन को श्रीहरिकोटा के शार रेंज के लिए रवाना किया गया। यह उपग्रह अंतरिक्ष से स्मार्टफोन का उपयोग करके कॉल करने में सक्षम बनाएगा।
रविवार को एक अपडेट में, इसरो ने कहा कि अध्यक्ष डॉ वी नारायणन ने शनिवार को इसरो के एलवीएम3 प्रक्षेपण यान के क्रायोजेनिक अपर स्टेज (सी 25) को तमिलनाडु के महेंद्रगिरि के इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स (आईपीआरसी) से श्रीहरिकोटा के प्रक्षेपण परिसर के लिए रवाना किया।
इसरो प्रणोदन परिसर (आईपीआरसी), द्रव प्रणोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी) और सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी शार) के निदेशकों ने भी इस समारोह में हिस्सा लिया।
इस चरण को आईपीआरसी में एकीकृत किया गया है और इसे एनएसआईएल और एएसटी तथा साइंस एलएलसी के बीच एक वाणिज्यिक समझौते के अंतर्गत एलवीएम3 (एलवीएम3-एम5) के पांचवें परिचालन मिशन के लिए चिह्नित किया गया है, जिसका उद्देश्य उनके ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 उपग्रह को प्रक्षेपित करना है।
इस चरण को एलवीएम3 प्रक्षेपण यान के विकास के दौरान द्रव प्रणोदन प्रणाली केंद्र (एलपीएससी) द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया तथा यह चरण 28.5 टन प्रणोदक भार के साथ स्वदेशी उच्च प्रणोद क्रायोजेनिक इंजन (सीई20) द्वारा संचालित है।
इसरो पहली बार उन्नत अमेरिकी संचार उपग्रह ‘ब्लूबर्ड’ को इस महीने के अंत में शार रेंज से प्रक्षेपित करेगा। इसरो के अनुसार, इस उपग्रह को एलवीएम-3, जिसे लोकप्रिय रूप से “बाहुबली” रॉकेट के नाम से जाना जाता है, का उपयोग करके प्रक्षेपित किया जाएगा।
यह किसी भारतीय रॉकेट द्वारा बड़े पैमाने पर अमेरिकी उपग्रह प्रक्षेपित करने का पहला उदाहरण होगा, जो इसरो के बढ़ते वैश्विक वाणिज्यिक पहुंच में एक नया मील का पत्थर स्थापित करेगा।
ब्लूबर्ड उपग्रह में क्रांतिकारी तकनीक है जो लोगों को अंतरिक्ष से स्मार्टफोन का उपयोग करके कॉल करने में सक्षम बनाएगी। 64 वर्गमीटर में फैले एक अभिनव एंटीना और लगभग 6,000 किलोग्राम वजन के साथ, उपग्रह पृथ्वी की निचली कक्षा में काम करेगा, जिससे उपग्रह से स्मार्टफोन तक सीधा संपर्क संभव होगा।
यह क्षमता उपयोगकर्ताओं को पारंपरिक भू-आधारित टावरों पर निर्भर हुए बिना अंतरिक्ष से कॉल करने और ब्रॉडबैंड इंटरनेट का उपयोग करने की अनुमति देगी। यह इसरो का एक वाणिज्यिक मिशन होगा, जिसे इसरो की वाणिज्यिक शाखा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) द्वारा सुविधा प्रदान की जाएगी।