नयी दिल्ली, 13 मई (वेब वार्ता) उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली में उत्पन्न होने वाले ठोस कचरे को संसाधित करने में विफलता को लेकर सोमवार को अधिकारियों को लताड़ लगाई और इसे ‘खेदजनक स्थिति’ करार दिया।
शीर्ष अदालत ने पाया कि राष्ट्रीय राजधानी में हर दिन तीन हजार टन ठोस कचरा अनुपचारित रह जाता है।
न्यायमूर्ति एएस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) सहित विभिन्न प्राधिकरणों की ओर से पेश हुए वकीलों से पूछा,”इसका समाधान क्या है। पीठ ने कहा कि नगर निगम के ठोस कचरे के प्रसंस्करण का मुद्दा राष्ट्रीय राजधानी के लिए बेहद अहम है, इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी है और दिन के वक्त इस मुद्दे पर फिर सुनवाई होगी।
शीर्ष अदालत ने 22 अप्रैल को मामले की सुनवाई करते हुए इस बात को ‘चौंकाने वाला’ करार दिया था कि दिल्ली में प्रतिदिन निकलने वाले 11 हजार टन ठोस कचरे में से तीन हजार टन का प्रसंस्करण नहीं किया जाता है।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि यह एक गंभीर मुद्दा है।
उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास सटे क्षेत्रों में प्रदूषण पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) की एक रिपोर्ट पर गौर करते हुए यह टिप्पणी की थी।